अंबेडकरनगर, 13 मई 2025, मंगलवार। उत्तर प्रदेश के अंबेडकरनगर में पुलिस का एक और शर्मनाक कारनामा सामने आया है, जो कानून के रखवालों की असलियत को उजागर करता है। यहाँ पुलिस कभी जनता को पीटती है, कभी अपने ही साथियों को धुनती है, और अब एक नया किस्सा रिश्वतखोरी का! एक सिपाही का सरेराह रिश्वत माँगने का वीडियो सोशल मीडिया पर आग की तरह फैल गया, जिसने लोगों का गुस्सा भड़का दिया।
मामला इब्राहिमपुर थाने की एनटीपीसी पुलिस चौकी का है। वायरल वीडियो में एक सिपाही, चौकी के ठीक सामने, एक गरीब महिला से बेशर्मी से रिश्वत की माँग कर रहा है। महिला गिड़गिड़ाती है, “साहब, मैं गरीब हूँ, दस हजार कहाँ से लाऊँ? बकरी-छेगड़ी बेचकर पाँच हजार लाई हूँ। अभी-अभी बड़ा ऑपरेशन करवाया है, दया करो!” लेकिन सिपाही का दिल नहीं पसीजता। वह तंज कसते हुए कहता है, “इतनी बड़ी चोरी है! दया करते तो यहीं छोड़ देते। अब हमें चोर बना देंगे।”
क्या है पूरा मामला?
बताया जाता है कि फरीदपुर गाँव के शेषमणि वर्मा का गेहूँ चोरी हुआ था। पुलिस को पड़ोस के गाँव शेख चिक के विपिन पर शक हुआ, जो एक हिस्ट्रीशीटर है। पुलिस ने विपिन को जेल भेजने की धमकी दी और फिर “समझौते” के नाम पर रिश्वत का खेल शुरू कर दिया। सिपाही ने दस हजार रुपये की माँग की, लेकिन विपिन के परिवार ने गरीबी का हवाला देकर पाँच हजार देने की बात कही। इसके बाद भी पुलिस ने शांति भंग के नाम पर विपिन का चालान कर दिया।
वीडियो वायरल, एक्शन शुरू
वीडियो के सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद हड़कंप मच गया। लोगों के गुस्से को देखते हुए अंबेडकरनगर के एसपी ने तुरंत कार्रवाई की। रिश्वत माँगने वाले सिपाही को सस्पेंड कर दिया गया, और चौकी प्रभारी को लाइन हाजिर किया गया। अपर पुलिस अधीक्षक विशाल पांडे ने कहा कि मामले की गहन जाँच की जा रही है।
कानून के रखवाले या रिश्वत के सौदागर?
यह घटना सिर्फ एक सिपाही की करतूत नहीं, बल्कि सिस्टम की उस सड़ांध को दिखाती है, जहाँ गरीबों की मजबूरी का फायदा उठाया जाता है। एक तरफ महिला अपनी बकरी बेचकर, ऑपरेशन के बाद भीख माँगने की हालत में रिश्वत देने को मजबूर है, और दूसरी तरफ सिपाही का बेशर्म रवैया! सवाल यह है कि आखिर कब तक गरीबों की मजबूरी को रिश्वत का धंधा बनाया जाता रहेगा? कब तक कानून के रखवाले ही कानून को ताक पर रखेंगे?
इस घटना ने एक बार फिर पुलिस सुधारों की जरूरत को उजागर किया है। जनता का भरोसा जीतने के लिए सिर्फ सस्पेंशन या जाँच काफी नहीं, बल्कि ऐसी घटनाओं की जड़ तक जाकर सख्त कार्रवाई की जरूरत है। तब तक, सोशल मीडिया जैसे प्लेटफॉर्म ही ऐसे काले कारनामों को बेनकाब करते रहेंगे।