देहरादून, 4 मई 2025, रविवार। हिमालय की गोद में बसा उत्तराखंड, जिसे देवभूमि के नाम से जाना जाता है, आज एक बार फिर आध्यात्मिक उत्साह और भक्ति के रंग में रंग गया। भारत के चारधामों में से एक, भू-बैकुंठ कहे जाने वाले श्री बदरीनाथ धाम के कपाट आज, 4 मई रविवार को प्रातः 6 बजे वैदिक मंत्रोच्चार और पूरे विधि-विधान के साथ श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए। इस पावन अवसर ने न केवल तीर्थयात्रियों के दिलों में उत्साह भरा, बल्कि उत्तराखंड की चारधाम यात्रा का विधिवत शुभारंभ भी कर दिया।
सेना के बैंड की धुनों पर खुला भक्ति का द्वार
श्री बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने का समारोह किसी उत्सव से कम नहीं था। सुबह 4 बजे से ही मंदिर समिति के अधिकारी, कर्मचारी, और तीर्थ पुरोहित मंदिर परिक्रमा में जुट गए। जैसे ही वैदिक मंत्रों की गूंज हिमालय की वादियों में फैली, सेना के बैंड की मधुर धुनों ने वातावरण को और भी दिव्य बना दिया। यह नजारा श्रद्धालुओं के लिए एक अनुपम अनुभव था, जहां आधुनिकता और परंपरा का अद्भुत संगम देखने को मिला। सेना की धुनों ने न केवल भक्ति का माहौल बनाया, बल्कि देश की शक्ति और श्रद्धा के प्रतीक के रूप में भी अपनी छाप छोड़ी।
हेलीकॉप्टर से पुष्प वर्षा: आकाश से आशीर्वाद
इस पवित्र अवसर को और भी यादगार बनाने के लिए हेलीकॉप्टर से श्रद्धालुओं पर पुष्प वर्षा की गई। जैसे ही कपाट खुले, आकाश से फूलों की बारिश ने मंदिर परिसर को सुगंधित और रंगीन बना दिया। यह दृश्य हर भक्त के लिए एक स्वप्निल अनुभव था, मानो स्वयं भगवान बद्री विशाल अपने भक्तों पर आशीर्वाद बरसा रहे हों। पुष्प वर्षा ने न केवल श्रद्धालुओं का मन मोह लिया, बल्कि इस पल को ऐतिहासिक बना दिया।
भगवान बद्री विशाल: आध्यात्मिक शांति का केंद्र
श्री बदरीनाथ धाम, भगवान विष्णु को समर्पित एक ऐसा तीर्थस्थल है, जिसे हिंदू धर्म में असीम महत्व प्राप्त है। अलकनंदा नदी के तट पर, नर और नारायण पर्वत श्रेणियों के बीच 3,050 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह मंदिर आध्यात्मिक शांति और मोक्ष का प्रतीक है। शास्त्रों में कहा गया है, “जो जाए बदरी, वो ना आए ओदरी,” अर्थात जो बदरीनाथ के दर्शन कर लेता है, उसे पुनर्जनम का चक्र भेदने की आवश्यकता नहीं पड़ती। यहां भगवान विष्णु की शालग्राम शिला से निर्मित चतुर्भुज मूर्ति योगमुद्रा में विराजमान है, जो भक्तों को ध्यान और शांति का संदेश देती है।
चारधाम यात्रा का शुभारंभ
श्री बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने के साथ ही उत्तराखंड की चारधाम यात्रा—यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ, और बदरीनाथ—का विधिवत आरंभ हो गया है। यह यात्रा 30 अप्रैल को गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट खुलने के साथ शुरू हुई थी, और 2 मई को केदारनाथ धाम के कपाट खोले गए। बदरीनाथ के कपाट खुलने के साथ यह यात्रा अब अपने पूर्ण स्वरूप में है। हर साल लाखों श्रद्धालु इस पवित्र यात्रा में शामिल होकर अपने पापों से मुक्ति और आध्यात्मिक उन्नति की कामना करते हैं।
परंपरा और आधुनिकता का संगम
इस वर्ष की यात्रा को सुगम और सुरक्षित बनाने के लिए उत्तराखंड सरकार ने व्यापक तैयारियां की हैं। ऑनलाइन और ऑफलाइन पंजीकरण की व्यवस्था, यात्रा मार्गों की मरम्मत, चिकित्सा सुविधाएं, और सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। 60% पंजीकरण ऑनलाइन और 40% ऑफलाइन होंगे, जिसके लिए श्रद्धालु उत्तराखंड सरकार की वेबसाइट registrationandtouristcare.uk.gov.in पर पंजीकरण करा सकते हैं। इसके अलावा, बदरीनाथ और केदारनाथ धाम में 24 घंटे बिजली आपूर्ति के लिए डबल और ट्रिपल फीडर सिस्टम तैयार किए गए हैं।
चुनौतियां और समाधान
हालांकि, कपाट खुलने के दिन कुछ श्रद्धालुओं ने व्यवस्था को लेकर असुविधा की शिकायत की। टूटे-फूटे रास्तों, पुलिस व्यवस्था में कमी, और वीआईपी दर्शन के लिए अलग गेट बनाए जाने से कुछ भक्तों को परेशानी हुई। प्रशासन ने इन समस्याओं को जल्द दूर करने का आश्वासन दिया है, ताकि सभी श्रद्धालु बिना किसी बाधा के भगवान बद्री विशाल के दर्शन कर सकें।
भक्तों की आस्था का केंद्र
श्री बदरीनाथ धाम केवल एक तीर्थस्थल नहीं, बल्कि आस्था, संस्कृति, और पर्यटन का संगम है। यहां हर साल लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं, और इस वर्ष भी भारी भीड़ की उम्मीद है। 2024 में 11 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने बदरीनाथ धाम के दर्शन किए थे, और इस साल यह संख्या और बढ़ने की संभावना है।