नई दिल्ली, 18 जून 2025, बुधवार। ओडिशा के गंजम जिले का खूबसूरत गोपालपुर समुद्र तट, जो अपनी शांति और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए जाना जाता है, रविवार रात एक ऐसी भयावह घटना का गवाह बना, जिसने पूरे देश को झकझोर दिया। एक 20 वर्षीय कॉलेज छात्रा के साथ 10 हैवानों, जिनमें चार नाबालिग शामिल हैं, ने कथित तौर पर सामूहिक बलात्कार किया। इस जघन्य अपराध ने समाज की संवेदनाओं को हिलाकर रख दिया है, और पुलिस ने वादा किया है कि दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दिलाई जाएगी।
सुनसान बीच पर टूटा भरोसा
यह खौफनाक वारदात रविवार रात करीब 9:30 बजे हुई। एक प्राइवेट कॉलेज की छात्रा अपने सहपाठी मित्र के साथ गोपालपुर बीच की सैर कर रही थी। दोनों एक सुनसान कोने में थे, तभी तीन मोटरसाइकिलों पर सवार 10 युवकों का झुंड वहां पहुंचा। इन दरिंदों ने पहले जोड़े की तस्वीरें खींचकर उन्हें सोशल मीडिया पर वायरल करने की धमकी दी। फिर, उन्होंने छात्रा के मित्र पर बेरहमी से हमला किया, उसे रस्सी से जकड़ दिया, और पीड़िता को पास के एक सुनसान, बंद पड़े घर में ले जाकर बारी-बारी से उसके साथ बलात्कार किया। इस अमानवीय कृत्य के बाद, पीड़िता और उसके मित्र ने रात 11 बजे गोपालपुर पुलिस स्टेशन पहुंचकर शिकायत दर्ज की।
पुलिस की त्वरित कार्रवाई, सभी आरोपी गिरफ्तार
बर्हामपुर के पुलिस अधीक्षक (SP) विवेक सरवाना ने बताया कि शिकायत मिलते ही पुलिस ने बिजली की तेजी से कार्रवाई शुरू की। शुरुआत में सात संदिग्धों को हिरासत में लिया गया, और जल्द ही सभी 10 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया। ये सभी गंजम जिले के हिंजिलीकट क्षेत्र के निवासी हैं। पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 70(1) (सामूहिक बलात्कार), 296 (अश्लील कृत्य), 351(3) (गंभीर धमकी), और 310(2) (आपराधिक संगठन) के तहत मामला दर्ज किया है।
चार नाबालिग आरोपियों, जिनकी उम्र 17 वर्ष है, को किशोर न्याय बोर्ड (JJB) के सामने पेश किया गया। पुलिस ने इस अपराध की गंभीरता को देखते हुए JJB से मांग की है कि इन नाबालिगों पर भी वयस्कों की तरह मुकदमा चलाया जाए। SP ने कहा, “इस तरह के जघन्य अपराध में उम्र कोई ढाल नहीं बनेगी।”
राष्ट्रीय महिला आयोग का सख्त रुख
राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) ने इस मामले में तुरंत स्वत: संज्ञान लिया। NCW की अध्यक्ष विजया राहटकर ने ओडिशा के DGP वाई.बी. खुरानिया को पत्र लिखकर न केवल त्वरित जांच और सभी आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग की, बल्कि पीड़िता को मुफ्त चिकित्सा सुविधा, मनोवैज्ञानिक सहायता, और BNS की धारा 396 के तहत मुआवजा प्रदान करने का निर्देश भी दिया। उन्होंने तीन दिनों के भीतर कार्रवाई की विस्तृत रिपोर्ट मांगी है।
समाज में आक्रोश, न्याय की मांग
यह घटना न केवल ओडिशा, बल्कि पूरे देश में चर्चा का विषय बन गई है। सोशल मीडिया से लेकर सड़कों तक, लोग पीड़िता के लिए न्याय की मांग कर रहे हैं। यह वारदात एक बार फिर समाज के सामने सवाल खड़ा करती है कि आखिर कब तक महिलाएं सुरक्षित महसूस कर पाएंगी? गोपालपुर बीच की यह घटना सिर्फ एक अपराध नहीं, बल्कि हमारी व्यवस्था और सामाजिक नैतिकता पर एक गहरा धब्बा है।
पुलिस ने आश्वासन दिया है कि जांच में कोई कोताही नहीं बरती जाएगी, और दोषियों को जल्द से जल्द सजा दिलाने के लिए हर संभव प्रयास किया जाएगा। अब सबकी निगाहें इस मामले के नतीजे पर टिकी हैं, ताकि पीड़िता को न्याय मिले और भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकी जा सके।