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Sunday, June 29, 2025

शिवसेना का कहना है- सिने जगत के लोगों ने किसान आंदोनल के संदर्भ में विचित्र भूमिका निभाई और उन्होंने किसानों का समर्थन नहीं किया

टैक्स चोरी को लेकर फिल्म निर्माता अनुराग कश्यप, अभिनेत्री तापसी पन्नू, विकास बहल और मधु मंटेना समेत कई फिल्मी सितारों पर आयकर विभाग का शिकंजा कसता चला जा रहा है। अनुराग कश्यप-तापसी पन्नू समेत अन्य पर हुई छापेमारी में आयकर विभाग को करीब 650 करोड़ की वित्तीय अनियमित्ताओं का पता चला है। आयकर विभाग की इस कार्रवाई पर अब सियासत भी होने लगी है। शिवसेना का कहना है कि तापसी पन्नू और अनुराग कश्यप किसान आंदोलन के पक्ष में शुरू से ही खड़े रहे हैं, जिसकी कीमत उन्हें आईटी विभाग की कार्रवाई के रूप में चुकानी पड़ रही है। 

शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में लिखा कि मोदी सरकार के खिलाफ बोलने वाले कलाकर और सिने जगत के निर्माता-निर्देशकों पर इनकम टैक्स के छापे पड़ने लगे हैं। शिवसेना का कहना है कि सिने जगत के जिन लोगों ने किसान आंदोनल के संदर्भ में विचित्र भूमिका निभाई और उन्होंने किसानों का समर्थन नहीं किया, उनके खिलाफ ऐसी कोई कार्रवाई नहीं हुई, मगर तापसी पन्नू और अनुराग कश्यप जैसे गिने-चुने लोगों ने किसानों के समर्थन में आवाज उठाई, इसलिए इनके यहां छापे पड़े। 

शिवसेना ने सामना में लिखा, ‘देश की राजनीतिक तस्वीर साफ होती जा रही है, अधिक गड़बड़ाती जा रही है या पेचीदा होती जा रही है? केंद्र सरकार के खिलाफ बोलना देशद्रोह नहीं है, ऐसा मत सर्वोच्च न्यायालय ने रखा और उसी दौरान मोदी सरकार के खिलाफ बोलनेवाले कलाकार और सिने जगत के निर्माता-निर्देशकों पर ‘इन्कम टैक्स’ के छापे पड़ने लगे इनमें तापसी पन्नू, अनुराग कश्यप, विकास बहल और वितरक मधु मंटेना का नाम प्रमुख है। तापसी पन्नू और अनुराग कश्यप खुलकर अपने विचार व्यक्त करते रहते हैं। सवाल इसलिए पैदा होता है कि हिंदी सिने जगत का व्यवहार और काम-धाम स्वच्छ और पारदर्शी है, अपवाद केवल तापसी और अनुराग कश्यप का है। सिने जगत की कई महान उत्सव मूर्तियों ने किसान आंदोलन के संदर्भ में विचित्र भूमिका अपनाई। उन्होंने किसानों को समर्थन तो नहीं दिया, उलटे दुनिया भर से जो लोग किसानों को समर्थन दे रहे थे उनके बारे में इन उत्सव मूर्तियों ने कहा कि ये हमारे देश में दखलंदाजी है। लेकिन तापसी और अनुराग कश्यप जैसे गिने-चुने लोग किसान आंदोलन के पक्ष में खड़े रहे। उन्हें इसकी कीमत चुकानी पड़ रही है।’

सामना आगे लिखता है, ‘2011 में किए गए एक लेन-देन के संदर्भ में ये छापे पड़े हैं। इन लोगों ने एक ‘प्रोडक्शन हाउस’ बनाया और उसके टैक्स से संबंधित ये मामला है। जिस हिसाब से इनकम टैक्स ने छापे मारे हैं, उसे देखते हुए कहा जा सकता है कि कहीं कुछ गड़बड़ तो है ही। लेकिन छापे मारने के लिए या कार्रवाई करने के लिए सिर्फ इन्हीं लोगों को क्यों चुना गया?’

शिवेसना ने सवाल किया, ‘तुम्हारे उस ‘बॉलीवुड’ में रोज जो करोड़ों रुपए उड़ रहे हैं, वो क्या गंगाजल के प्रवाह से आ गए? लेकिन कहीं-न-कहीं फंसने पर सरकार के इशारों पर नाचना और बोलना होता आया है। इनमें कुछ लोग स्वाभिमानी और अलग ही मिट्टी के बने होते हैं। ‘बॉलीवुड’ में कोरोना काल में कई मुश्किलें हैं। फिल्मांकन और नए निर्माण बंद हैं। थिएटर बंद हैं। एक बड़ा उद्योग-व्यवसाय जब आर्थिक संकट में पड़ा हो, ऐसे में राजनीतिक बदला लेने के लिए ऐसे हमले करना ठीक नहीं है।’

शिवसेना ने आरोप लगाया कि सिने जगत में मोदी सरकार की खुलकर चमचागीरी करने वाले कई लोग हैं। उनमें कई लोग तो मोदी सरकार के सीधे लाभार्थी हैं। जांच एजेंसियों पर सवाल उठाते हुए शिवसेना ने कहा कि जांच एजेंसियों के पास इन्हीं तीन-चार लोगों के बारे में अच्छी-खासी जानकारी है। सब लोग सत्ताधारियों की पालकी ढोनेवाले होंगे ये जरूरी नहीं है। कुछ लोगों की रीढ़ की हड्डी मजबूत होती है और समय आने पर वे बता भी देते हैं और वे पर्दे पर जिस तरह की संघर्षमय भूमिका अदा करते हैं, वैसा ही असल जीवन में भी जीने का प्रयास करते हैं। ‘पिंक’, ‘थप्पड़’ और ‘बदला’ जैसी फिल्मों में तापसी का जोरदार अभिनय जिन्होंने देखा होगा वे ऐसा नहीं पूछेंगे कि तापसी इतनी मुखर क्यों हैं? अनुराग कश्यप के बारे में भी यही कहना पड़ेगा। उनके विचारों से सहमति भले न हो लेकिन उन्हें उनका विचार व्यक्त करने का पूरा अधिकार है।’

newsaddaindia6
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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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