नई दिल्ली, 17 जुलाई 2025: संसद के मॉनसून सत्र से पहले सियासी सरगर्मी तेज हो गई है। केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कांग्रेस नेता और विपक्ष के नेता राहुल गांधी को विदेश नीति जैसे संवेदनशील मुद्दों पर बोलने से बचने की नसीहत दी, जिसके जवाब में कांग्रेस ने तीखा पलटवार किया है। इस बयानबाजी ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है।
रिजिजू ने राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा कि विपक्ष के नेता के तौर पर उन्हें देशविरोधी बयान देने से परहेज करना चाहिए। खासकर विदेश नीति पर उनकी टिप्पणियां “पाकिस्तान जैसी भाषा” बोलने और देश को गुमराह करने वाली हैं, जो राष्ट्रहित में नुकसानदायक है। उन्होंने सुझाव दिया कि राहुल को प्रधानमंत्री पर आरोप लगाने के बजाय देश को एकजुट करने की दिशा में काम करना चाहिए। रिजिजू ने तंज कसते हुए कहा, “विपक्ष का मतलब देश को कोसना नहीं है।”
कांग्रेस का जवाब: ‘रिजिजू को इतिहास याद करें’
रिजिजू के बयान पर कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया दी। पार्टी नेता प्रमोद तिवारी ने रिजिजू को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि राहुल गांधी को देशभक्ति का सर्टिफिकेट लेने की जरूरत नहीं है। तिवारी ने रिजिजू को उनकी पुरानी कांग्रेस पृष्ठभूमि याद दिलाई और कहा, “रिजिजू साहब, आप भूल गए कि आप खुद कांग्रेस में थे। आपको याद होना चाहिए कि नेहरू-गांधी परिवार ने देश के लिए बलिदान और त्याग किया है। जिस पार्टी में आप अब हैं, उसका मातृ संगठन अंग्रेजों की चापलूसी और मुखबिरी करता था।”
तिवारी ने रिजिजू के ‘ज्ञान’ पर भी तंज कसा और कहा, “राहुल गांधी दो डिग्रियों के साथ दुनिया की सबसे प्रशिक्षित-शिक्षित हस्तियों में से हैं। वे न सिर्फ रिजिजू को, बल्कि प्रधानमंत्री को भी विदेश नीति समझा सकते हैं। रिजिजू अपने प्रधानमंत्री का ज्ञान टेस्ट कर लें।”
सियासी जंग का नया अध्याय
यह तीखी बयानबाजी संसद सत्र से पहले सियासी माहौल को और गर्माने का संकेत दे रही है। रिजिजू की नसीहत और कांग्रेस के पलटवार ने दोनों दलों के बीच तनाव को और बढ़ा दिया है। अब देखना यह है कि संसद सत्र में यह मुद्दा कितना तूल पकड़ता है और क्या राहुल गांधी इस बहस को नई दिशा देते हैं। सियासत की इस जंग में अगला कदम कौन उठाएगा?