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Thursday, July 24, 2025

शारदा सिन्हा का पान प्रेम: संगीत और स्वाद का संगम

पटना, 7 नवंबर 2024, गुरुवार। बिहार की संगीत जगत की एक अनमोल धड़कन, शारदा सिन्हा, जिन्हें बिहार कोकिला के नाम से जाना जाता है, हमारे बीच नहीं रहीं। उनकी आवाज़ ने बिहार की संस्कृति और परंपराओं को दुनिया भर में प्रसिद्ध किया और उन्हें एक अद्वितीय पहचान दिलाई। शारदा सिन्हा का जीवन एक संगीतमय यात्रा थी, जिसने लाखों दिलों को छुआ। उनके गाने बिहार की मिट्टी की सोंधी खुशबू और वहां के लोगों की भावनाओं को बयां करते थे। वर्ष 2024 शारदा सिन्हा के परिवार के लिए एक दुखद वर्ष है, जो उनकी यादों को हमेशा सहेज कर रखेगा। उनकी अनुपस्थिति में भी उनकी आवाज़ और गाने हमेशा हमारे दिलों में जीवित रहेंगे।
शारदा सिन्हा के निधन से उनके बच्चों को एक और बड़ा दर्द मिला, जो उनके जीवन में कभी नहीं भरेगा। दो महीने में दो बड़े झटके, पिता की अनुपस्थिति और मां की विदाई, उनके बच्चों के दिल पर एक गहरा निशान छोड़ गए। लेकिन क्या आप जानते हैं कि शारदा सिन्हा की निजी जिंदगी में क्या खास बातें थीं? वे साधारण खाना खाती थीं, लेकिन पान की शौकीन रहीं। लेकिन इसके पीछे की वजह क्या थी? हर मंच पर, हर गायन के पहले, शारदा सिन्हा पान खाती दिखती थीं। उनके पास हमेशा पान की डिब्बी रहती थी, जो उनकी आवाज़ को सुर और मिठास देने का काम करती थी।
जबकि अधिकांश गायक पान खाने से बचते हैं, शारदा सिन्हा के लिए यह एक आवश्यक आदत थी। पान उनकी आवाज़ को आराम देता था और गाने के दौरान उनकी सांसों को नियंत्रित रखने में मदद करता था। इस अनोखी पसंद ने शारदा सिन्हा को एक अलग पहचान दिलाई और उनकी आवाज़ को हमेशा के लिए यादगार बना दिया। दरसल, मिथिलांचल, जहां पान को मां भगवती का प्रसाद माना जाता है, वहीं शारदा सिन्हा के लिए पान एक विशेष महत्व रखता था। उनका पान के प्रति लगाव सिर्फ एक आदत नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक और धार्मिक परंपरा का हिस्सा था।
शारदा सिन्हा अपने साथ में पान की डिब्बियां लेकर जाती थीं, जो उनकी संस्कृति और परंपरा के प्रति उनकी गहरी श्रद्धा को दर्शाती थीं। वह पान को न केवल अपने स्वास्थ्य के लिए उपयोगी मानती थीं, बल्कि यह उनके लिए एक पवित्र और धार्मिक प्रतीक भी था। जब भी वह मंच पर गाती थीं, उनके पास पान की डिब्बी रहती थी, जो उनकी आवाज़ को सुर और मिठास देने के साथ-साथ उनकी सांस्कृतिक जड़ों को भी मजबूत करती थी। शारदा सिन्हा का पान प्रेम एक अनोखी कहानी है, जो उनकी संस्कृति और परंपरा के प्रति उनकी गहरी श्रद्धा को दर्शाती है।
पान का हरा पत्ता: एक प्राकृतिक औषधि
पान का हरा पत्ता न केवल स्वाद के लिए उपयोगी है, बल्कि यह एक प्राकृतिक औषधि भी है। इसमें कई औषधीय गुण होते हैं जो स्वास्थ्य के लिए लाभदायक हैं। पान के हरे पत्ते में एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो मुंह के छालों और घावों को ठीक करने में मदद करते हैं। इसके अलावा, यह पत्ता पाचन तंत्र को मजबूत करने और अपच की समस्याओं को दूर करने में भी मदद करता है। इसके अलावा, पान के हरे पत्ते में विटामिन और मिनरल्स भी होते हैं, जो शरीर को मजबूत और स्वस्थ बनाने में मदद करते हैं। इसलिए, पान का हरा पत्ता एक प्राकृतिक औषधि है जो स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है।

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