नई दिल्ली, 6 नवंबर 2024, बुधवार। शारदा सिन्हा ने अपना पूरा जीवन छठी मईया के गीत गाते हुए बिताया, लेकिन नहाय-खाय के दिन ही छठी मईया ने अपनी प्यारी बेटी को अपने आंचल में ले लिया। यह निधन न केवल बिहार के लिए, बल्कि पूरे देश और विदेशों में रहने वाले छठ प्रेमियों के लिए एक गहरा सदमा है। शारदा सिन्हा भले हमारे बीच अब नहीं है, लेकिन उनके गाए गीत हमेशा हमारे बीच रहेंगे और आने वाले कई वर्षों तक उनकी आवाज छठ महापर्व के दौरान गूंजती रहेगी।
शारदा सिन्हा की अंतिम इच्छा: सुहागन बनकर जाने की थी इच्छा, लेकिन…
छठ महापर्व के गीतों को नई ऊंचाई तक पहुंचाने वाली शारदा सिन्हा का निधन छठ के पहले दिन नहाय खाय के दिन ही हृदय विदारक है। उससे भी कहीं ज्यादा उनके आखिरी शब्द याद आएंगे। शारदा सिन्हा ने जाते-जाते भी छठी मईया को याद किया और अपने बेटे को अंतिम शब्द बोल दिया, जिसे सुनकर हर सुहागन की आंखों से आंसू छलक जाएंगे। शारदा सिन्हा की अंतिम इच्छा थी कि वह अपने पति का साथ जिंदगीभर न छोड़े। उनके बेटे अंशुमन सिन्हा ने केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह को बताया कि उनकी मां की अंतिम इच्छा थी कि उनका अंतिम संस्कार वहीं किया जाए जहां उनके पिता का अंतिम संस्कार हुआ था।
अंशुमन सिन्हा ने कहा, “मेरी मां की इच्छा थी कि वह सुहागन बनकर इस दुनिया से जाएं, लेकिन यह इच्छा पूरी नहीं हो सकी। इसलिए, उन्होंने मुझसे कहा था कि मेरा अंतिम संस्कार वहीं किया जाए जहां मैंने अपने पिता का अंतिम संस्कार किया था।” यह शारदा सिन्हा की अंतिम इच्छा थी जो उनके बेटे अंशुमन सिन्हा ने साझा की है। यह इच्छा उनके पति के प्रति उनके प्रेम और समर्पण को दर्शाती है।
पति के निधन ने तोड़ दिया था उनकी जीने की ललक
शारदा सिन्हा के पति का निधन दो महीने पहले लंबी बीमारी के बाद हो गया था। इसके बाद से ही शारदा सिन्हा अंदर से टूट गई थीं। वह खुद कैंसर से पिछले पांच-छह साल से लड़ रही थीं, लेकिन पति का साथ नहीं छोड़ा। बेटे अंशुमन सिन्हा के अनुसार, उनकी मां पति के निधन के बाद काफी निराश रहने लगी थीं। उन्हें लगता है कि उनकी मां को अंदर से जीने की ललक खत्म हो गई थी। यह एक दुखद कहानी है जो शारदा सिन्हा के जीवन की अंतिम चरण को दर्शाती है। उनकी मृत्यु ने हमें एक महान गायिका और एक प्रेमपूर्ण पत्नी की याद दिला दी है।
शारदा सिन्हा का अंतिम संस्कार: पटना के गंगाघाट पर होगा अंतिम विदाई
शारदा सिन्हा के पति बृजकिशोर सिन्हा का दो महीने पहले निधन हो गया था, और उनका अंतिम संस्कार पटना के गंगाघाट में किया गया था। अब, उनके बेटे अंशुमन अपनी मां की इच्छा को पूरा करने के लिए उनका पार्थिव शरीर पटना लेकर जाएंगे। आज दोपहर बाद शारदा सिन्हा का अंतिम संस्कार पटना के गंगा घाट पर किया जाएगा। यह एक विचित्र संयोग है कि जब एक ओर डूबते हुए सूर्य की छठव्रती अर्घ्य दिया जा रहा होगा, तब शारदा सिन्हा का पटना के गंगाघाट पर चिता जल रही होगी। यह एक भावपूर्ण विदाई होगी जो शारदा सिन्हा को उनके प्रिय पति के पास ले जाएगी।
शारदा सिन्हा का जीवन परिचय: एक लोक गायिका और शिक्षिका की यात्रा
शारदा सिन्हा का जन्म बिहार के सुपौल में हुआ था, लेकिन उनका ससुराल बेगूसराय में था। उनके पति बृजकिशोर सिन्हा शिक्षा विभाग में काम करते थे। शारदा सिन्हा ने अपने जीवन में दोहरी भूमिका निभाई – एक लोक गायिका के रूप में और समस्तीपुर कॉलेज में प्रोफेसर के रूप में। रिटायर होने के बाद, शारदा सिन्हा और उनके पति दिल्ली से सटे इंदिरापुरम में अपने बेटे के साथ रहने लगे थे। उनके दो बच्चे हैं – एक बेटा और एक बेटी। शारदा सिन्हा का जीवन एक संघर्षशील और सफल महिला की कहानी है, जिन्होंने अपने जीवन में कई उपलब्धियां हासिल कीं।