N/A
Total Visitor
32.8 C
Delhi
Monday, August 11, 2025

शंकराचार्य का सरकार को अल्टीमेटम: बांके बिहारी मंदिर को हाथ न लगाएं, धर्म की रक्षा करें!

वाराणसी, 3 जून 2025, मंगलवार: काशी की पावन धरती पर प्रवास के दौरान शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने वृंदावन के पवित्र बांके बिहारी मंदिर को सरकार द्वारा अधिग्रहण किए जाने की कोशिशों पर गहरी नाराजगी जताई है। उन्होंने धर्माचार्यों से भावुक अपील की कि वे इस ऐतिहासिक मंदिर को किसी भी कीमत पर सरकारी ट्रस्ट के हवाले न होने दें।

“धर्मनिरपेक्ष सरकार को मंदिरों पर कब्जा करने का क्या हक?”

शंकराचार्य ने एक जोरदार वीडियो संदेश में कहा, “हमें आश्चर्य हो रहा है कि एक तरफ सनातन धर्म के लिए धर्माचार्य देशभर में मंदिरों को सरकारी कब्जे से मुक्त कराने की मुहिम चला रहे हैं, वहीं दूसरी ओर वृंदावन में बांके बिहारी मंदिर, जो सदियों से गोस्वामियों और सेवायतों की देखरेख में है, उसे दिनदहाड़े ट्रस्ट बनाकर सरकार अपने नियंत्रण में ले रही है।” उन्होंने सवाल उठाया, “जब सरकार मंदिर का अधिग्रहण कर सरकारी अधिकारियों को वहां बिठा देगी, तो क्या वहां धर्म की भावना बची रहेगी?”

“गोस्वामियों की परंपरा का सम्मान करें”

शंकराचार्य ने जोर देकर कहा कि बांके बिहारी मंदिर की पवित्र परंपरा गोस्वामियों के हाथों में ही रहनी चाहिए। अगर मंदिर में कोई कमी या अनियमितता है, तो उसे सुधारने का प्रयास होना चाहिए, न कि धर्मनिरपेक्ष सरकार द्वारा मंदिर को अपने कब्जे में ले लिया जाए। उन्होंने चेतावनी दी, “अगर ऐसा हुआ, तो यह धर्मस्थल नहीं, बल्कि धर्मनिरपेक्ष स्थान बनकर रह जाएगा।” उन्होंने हिंदुस्तान के धर्मस्थानों को उनकी मूल भावना में बनाए रखने की अपील की, ताकि वे धर्मनिरपेक्षता की आड़ में अपनी पहचान न खो दें।

काशी विश्वनाथ मंदिर का जिक्र: “चोरी का बहाना, अधिग्रहण का खेल”

शंकराचार्य ने काशी विश्वनाथ मंदिर का उदाहरण देते हुए कहा कि 1982 में चोरी के नाम पर सरकार ने मंदिर को अपने कब्जे में ले लिया, लेकिन आज तक उस चोरी को सुप्रीम कोर्ट में साबित नहीं किया जा सका। इसके बाद भी वहां कई चोरियां हुईं, मगर सरकारी नियंत्रण के कारण कोई जवाबदेही नहीं दिखती।

“गोरखनाथ मंदिर पर भी बनाए ट्रस्ट, फिर देखें!”

शंकराचार्य ने तीखा सवाल उठाते हुए कहा, “अगर बांके बिहारी मंदिर को ट्रस्ट बनाकर अधिग्रहण किया जा सकता है, तो गोरखपुर के गोरखनाथ मंदिर का क्या? क्या उसे भी ट्रस्ट बनाकर सरकारी कब्जे में लिया जाए? क्या योगी जी को यह स्वीकार होगा कि उनके मंदिर को सार्वजनिक स्थान बनाकर जनता की सुविधा के नाम पर सरकारी नियंत्रण में दे दिया जाए?” उन्होंने धर्माचार्यों और समाज से इस पर गंभीरता से विचार करने का आह्वान किया।

“मंदिरों को बचाएं, धर्म की रक्षा करें”

शंकराचार्य का यह संदेश सनातन धर्म के अनुयायियों के लिए एक जागृति का आह्वान है। उन्होंने स्पष्ट किया कि मंदिर केवल इमारतें नहीं, बल्कि आस्था और परंपरा के जीवंत प्रतीक हैं। बांके बिहारी मंदिर को सरकारी अधिग्रहण से बचाने की उनकी यह अपील धर्मप्रेमियों के बीच गहरी चर्चा का विषय बन रही है।

Advertisement

spot_img

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

2,300FansLike
9,694FollowersFollow
19,500SubscribersSubscribe

Advertisement Section

- Advertisement -spot_imgspot_imgspot_img

Latest Articles

Translate »