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Thursday, December 26, 2024

बांग्लादेश के पीड़ित हिंदुओं से शंकराचार्य की मुलाकात: धर्म के लिए अनूठी बहादुरी की कहानी

वाराणसी, 25 दिसंबर 2024, बुधवार। शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने वाराणसी के विद्यामठ में बांग्लादेश के पीड़ित हिंदुओं से मुलाकात की। उन्होंने सभी हिंदुओं से बारी-बारी से बात की और उनकी पीड़ा और अनुभव सुने। इन हिंदुओं ने बताया कि बांग्लादेश में उन्हें उत्पीड़न, लूट, हत्या, आगजनी और उनकी बहन-बेटियों के साथ पाशविक व्यवहार का सामना करना पड़ता है। उन्होंने बताया कि कैसे उनके घरों को जलाया जाता है, उनकी सम्पत्ति को लूटा जाता है, और उनके परिवार के सदस्यों को मारा जाता है।
शंकराचार्य ने इन हिंदुओं से पूछा कि वे अपना धर्म क्यों नहीं बदल लेते, जिससे उनकी सभी विपत्तियां एक साथ समाप्त हो सकती हैं। लेकिन उनका उत्तर था कि वे अपना धर्म कभी नहीं बदलेंगे। उन्होंने कहा कि उनका धर्म उनकी पहचान है, और वे इसके लिए किसी भी कीमत पर समझौता नहीं करेंगे। शंकराचार्य ने इन हिंदुओं की बहादुरी और धर्मपरायणता की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश के ये बहादुर हिंदू भारत के उन कुछ हिंदुओं से तो बहुत बेहतर हैं जो थोड़े से लालच में अपने पूर्वजों का मान बेच देते हैं और अपना धर्म बदल लेते हैं।
इस मुलाकात के दौरान, शंकराचार्य ने इन हिंदुओं को आश्वासन दिया कि वे उनके साथ हैं और उनकी लड़ाई में उनका साथ देंगे। उन्होंने कहा कि वे इन हिंदुओं के अधिकारों की रक्षा के लिए हर संभव प्रयास करेंगे। बांग्लादेश में हिंदू समुदाय की स्थिति बहुत चिंताजनक है। शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने बताया कि हिंदुओं पर धर्मांतरण के लिए भारी दबाव है, और अगर वे मना करते हैं तो उनकी जान को खतरा हो सकता है। यह समस्या एक दिन में नहीं बनी, बल्कि यह वर्षों से चली आ रही है।
गौरतलब है कि, बांग्लादेश में हिंदू समुदाय के साथ हिंसा, लूट, हत्या, और धर्मांतरण के लिए दबाव डालने की घटनाएं आम हो गई हैं। चुनाव हारने पर या किसी अन्य कारण से हिंदुओं की हत्या और उनकी संपत्तियों की लूट होती रहती है। मंदिरों को तोड़ना, उनकी संपत्तियों की लूट की घटनाएं भी आम हो गई हैं। शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने बताया कि मोहम्मद यूनुस बांग्लादेश में सरकार के सलाहकार बनकर सत्ता में आने के बाद से इन घटनाओं में कई गुना वृद्धि हुई है। हिंदू समुदाय के लोगों को अपनी जान बचाने के लिए बांग्लादेश छोड़ने की अनुमति नहीं मिल रही है, जिससे वे अपने जरूरी काम, शिक्षा, व्यवसाय, और बीमारियों के इलाज के लिए कहीं नहीं जा पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस समस्या का समाधान निकालने के लिए सरकार और समाज को मिलकर काम करना होगा। हिंदू समुदाय के लोगों को सुरक्षा और न्याय दिलाने के लिए कठोर कदम उठाने होंगे।
बांग्लादेश के हिंदू समुदाय की स्थिति बहुत चिंताजनक है। शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने बताया कि हिंदुओं ने उनसे कुछ मांगे रखी हैं, जो निम्नलिखित हैं:
हिन्दुओं के लिए अलग राष्ट्र या स्वायत्त सेफ जोन: बांग्लादेश में हिंदुओं के लिए एक अलग राष्ट्र या स्वायत्त सेफ जोन बनाया जाए, जहां उन्हें सुरक्षा और स्वतंत्रता मिल सके।
आबादी की अदला-बदली: भारत और बांग्लादेश के बीच आबादी की अदला-बदली की जाए, जिससे बांग्लादेश के हिंदू भारत में और मुस्लिम आबादी बांग्लादेश में बस सकें।
नागरिकता संशोधन कानून: नागरिकता संशोधन कानून के अधीन नियत तारीख के पूर्व तक भारत में निवास करते रहने की बाध्यता को समाप्त किया जाए।
दुनिया भर के हिंदुओं को भारतीय नागरिकता: दुनिया भर में जन्म लेने वाले हिंदुओं को स्वाभाविक रूप से भारतीय नागरिकता प्रदान की जाए।
वीजा अवधि का विस्तार: बांग्लादेश के हिंदुओं की वीजा अवधि को तब तक बढ़ाया जाए जब तक बांग्लादेश में स्थिति सामान्य न हो जाए।
रोजगार की व्यवस्था: जबरन रोजगार और नौकरी से निकाले गए हिंदुओं के लिए रोजगार की व्यवस्था की जाए।
प्रतिनिधिमंडल का गठन: बांग्लादेश में हिंदुओं के समर्थन और सहयोग के लिए शंकराचार्य पीठ की तरफ से एक प्रतिनिधिमंडल का गठन किया जाए।
शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि इन मांगों का समर्थन किया जाना चाहिए और उनके लिए प्रयास किया जाना चाहिए। हालांकि इन प्रयासों का परिणाम आने में समय लगेगा, लेकिन यह पहला कदम है जो हिंदू समुदाय की स्थिति में सुधार लाने के लिए उठाया जा सकता है।

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