वाराणसी, 5 जुलाई 2025: वाराणसी के बहुचर्चित गैंगरेप मामले में पुलिस ने बड़ी कार्रवाई करते हुए 14 आरोपियों के खिलाफ 410 पन्नों की चार्जशीट कोर्ट में दाखिल की है। विशेष जांच दल (SIT) की तीन महीने की गहन जांच के बाद जुटाए गए पुख्ता सबूतों के आधार पर यह कदम उठाया गया। अब इस हाई-प्रोफाइल केस का ट्रायल अगले सप्ताह से फास्ट ट्रैक कोर्ट में शुरू होने की उम्मीद है।
क्या है मामला?
लालपुर-पांडेयपुर थाना क्षेत्र की 19 वर्षीय युवती ने सनसनीखेज आरोप लगाया था कि 29 मार्च से 3 अप्रैल 2025 तक शहर के अलग-अलग स्थानों पर 23 युवकों ने उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया। 4 अप्रैल को पीड़िता बरामद हुई और अगले दिन अपनी मां के साथ थाने पहुंचकर 12 नामजद और 11 अज्ञात आरोपियों के खिलाफ FIR दर्ज कराई। इस मामले ने पूरे देश में आक्रोश पैदा किया था।
SIT की जांच और सबूतों का खजाना
मामले की गंभीरता को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संज्ञान लेने के बाद 17 अप्रैल को CP मोहित अग्रवाल ने DCP वरुणा जोन प्रमोद कुमार की अगुआई में 8 सदस्यीय SIT का गठन किया। SIT ने 950 पन्नों की विस्तृत जांच रिपोर्ट तैयार की, जिसमें से 410 पेज की चार्जशीट में निम्नलिखित साक्ष्य शामिल हैं:
- पीड़िता के बयान और कोर्ट स्टेटमेंट का मिलान।
- इंस्टाग्राम चैट, कॉल डिटेल और सीसीटीवी फुटेज।
- 35 गवाहों के बयान और 4 घटनास्थलों का फॉरेंसिक विश्लेषण।
- पीड़िता की तीन सहेलियों से पूछताछ और डिजिटल डेटा की जांच।
11 से 15 अप्रैल के बीच 14 आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया। SIT ने लोकेशन डेटा और फॉरेंसिक साक्ष्यों के आधार पर उनकी संलिप्तता पुख्ता की।
प्रशासन में फेरबदल, लापरवाही पर सख्ती
इस मामले में प्रारंभिक लापरवाही के आरोप में DCP चंद्रकांत मीना को हटा दिया गया और उन्हें लखनऊ DGP ऑफिस अटैच किया गया। यह कदम प्रशासन की ओर से सख्त रवैये का संदेश देता है।
पीड़िता की स्थिति
पीड़िता को हेपेटाइटिस-B पॉजिटिव पाया गया था, लेकिन वर्तमान में उसकी हालत स्थिर है और मेडिकल टीम उसका इलाज कर रही है।
पुलिस का दावा: “न्याय में नहीं होगी देरी”
DCP वरुणा प्रमोद कुमार ने कहा, “हमने सभी आरोपियों के खिलाफ ठोस सबूत जुटाए हैं। हमारा लक्ष्य है कि फास्ट ट्रैक कोर्ट में ट्रायल जल्द शुरू हो और अपराधियों को कड़ी से कड़ी सजा मिले।”
समाज में चेतावनी की गूंज
यह मामला न केवल वाराणसी बल्कि पूरे देश के लिए एक चेतावनी है कि अपराधियों को बख्शा नहीं जाएगा। फास्ट ट्रैक कोर्ट में ट्रायल शुरू होने के साथ ही पीड़िता और उसके परिवार को न्याय की उम्मीद जगी है। क्या यह केस महिलाओं की सुरक्षा को लेकर व्यवस्था में बदलाव लाएगा? यह सवाल हर किसी के जेहन में है।