वाराणसी, 22 अप्रैल 2025, मंगलवार। वाराणसी के शिवपुर क्षेत्र में एक दिल दहला देने वाली घटना ने पूरे शहर को स्तब्ध कर दिया। ज्ञानदीप स्कूल के डायरेक्टर रामबहादुर सिंह के बेटे राज विजेंद्र सिंह ने 12वीं के छात्र हेमंत सिंह की गोली मारकर हत्या कर दी। यह वारदात छात्रों के बीच किसी विवाद को लेकर हुई, जिसने एक मासूम की जान ले ली और पूरे इलाके में आक्रोश की लहर दौड़ा दी।
क्या हुआ उस दिन?
मंगलवार को हेमंत को बहाने से स्कूल के पार्किंग क्षेत्र के पास बने एक कमरे में बुलाया गया। हेमंत अपने दो दोस्तों के साथ वहां पहुंचा, लेकिन राज विजेंद्र ने दोनों दोस्तों को वहां से भगा दिया। इसके बाद हेमंत और राज विजेंद्र के बीच तीखी बहस हुई। गुस्से में आकर राज विजेंद्र ने अपनी लाइसेंसी पिस्टल निकाली और हेमंत की कनपटी पर सटाकर गोली चला दी। गोली हेमंत के सिर को आर-पार कर गई। गोली की आवाज सुनकर आसपास के लोग दौड़े, लेकिन तब तक हेमंत खून से लथपथ जमीन पर गिर चुका था। आनन-फानन में हेमंत को बीएचयू के ट्रॉमा सेंटर ले जाया गया, लेकिन डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। इस घटना ने हेमंत के परिवार, दोस्तों और पूरे शहर को गहरे सदमे में डाल दिया।

इसी कमरे में हुई छात्र की हत्या
आरोपी फरार, पुलिस पर सवाल
घटना के बाद से स्कूल के डायरेक्टर रामबहादुर सिंह, उनका बेटा राज विजेंद्र और स्कूल के प्रिंसिपल फरार हैं। पुलिस ने दो लोगों को हिरासत में लिया है, लेकिन मुख्य आरोपी अभी भी पकड़ से बाहर हैं। हेमंत के वकील पिता कृपाशंकर सिंह और उनके साथ सैकड़ों अधिवक्ता शिवपुर थाने पर जमा हो गए। आक्रोशित अधिवक्ताओं ने सवाल उठाया कि अगर पुलिस ने आरोपियों को पकड़ा है, तो उन्हें सामने क्यों नहीं लाया जा रहा? देर रात तक इस मामले में FIR दर्ज नहीं हो सकी, जिससे लोगों का गुस्सा और भड़क गया।
पिता का दर्द: “मेरे बेटे को बुलाकर मारा”
हेमंत के पिता कृपाशंकर ने बताया कि उनका बेटा ज्ञानदीप स्कूल में पढ़ता था और इस साल उसने 12वीं की परीक्षा दी थी। रामबहादुर सिंह, जो स्कूल के डायरेक्टर और स्थानीय भाजपा नेता हैं, और उनका बेटा राज विजेंद्र राजनीति में सक्रिय हैं। कृपाशंकर का आरोप है कि राज विजेंद्र ने उनके बेटे को सुनियोजित तरीके से बुलाया, उसके दोस्तों को भगाया और फिर उसकी हत्या कर दी।

स्कूल के डायरेक्टर राम बहादुर सिंह व उनकी पत्नी
3330 नंबर की गाड़ियां और रसूख का रुतबा
स्थानीय लोगों के अनुसार, रामबहादुर सिंह और उनके परिवार का इलाके में खासा रसूख है। उनकी पांच गाड़ियां, जिनका नंबर 3330 है, शहर में उनकी पहचान का प्रतीक हैं। लोग बताते हैं कि वे कैबिनेट मंत्री अनिल राजभर के करीबी हैं, जिसके चलते उनके खिलाफ कार्रवाई में देरी की आशंका जताई जा रही है।
पुलिस और फोरेंसिक जांच तेज
घटना की सूचना मिलते ही डीआईजी राजेश कुमार, डीसीपी प्रमोद कुमार सहित कई वरिष्ठ अधिकारी मौके पर पहुंचे। फोरेंसिक और क्राइम ब्रांच की टीम ने घटनास्थल की जांच की। स्कूल के बाहर लगे सीसीटीवी की DVR को पुलिस ने कब्जे में लिया है। डीसीपी वरुणा ने बताया कि मामले की गहन जांच की जा रही है और जल्द ही आरोपियों को पकड़ लिया जाएगा।
शहर में तनाव, अधिवक्ताओं का आक्रोश
घटना के बाद हेमंत के रिश्तेदारों और अधिवक्ताओं ने स्कूल के सामने सड़क जाम करने की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने उन्हें समझा-बुझाकर शांत किया। थाने पर मौजूद सैकड़ों अधिवक्ता नारेबाजी कर रहे हैं और इंसाफ की मांग कर रहे हैं। इस हत्याकांड ने न केवल एक परिवार को तोड़ा, बल्कि स्कूल जैसे पवित्र स्थान की सुरक्षा पर भी सवाल खड़े कर दिए।
सवालों के घेरे में स्कूल प्रबंधन
आखिर हेमंत और राज विजेंद्र के बीच विवाद की जड़ क्या थी? स्कूल में लाइसेंसी पिस्टल का इस्तेमाल कैसे हुआ? और क्यों स्कूल प्रबंधन इस घटना के बाद फरार है? इन सवालों के जवाब अब पुलिस जांच और आरोपी से पूछताछ के बाद ही मिल सकेंगे। यह हत्याकांड वाराणसी के लिए एक काला धब्बा बन गया है। हेमंत के परिवार का गम, अधिवक्ताओं का गुस्सा और शहरवासियों का डर इस बात की गवाही दे रहा है कि इस मामले में इंसाफ की राह आसान नहीं होगी।