नई दिल्ली, 1 सितंबर 2025: भारत के सांस्कृतिक और आध्यात्मिक इतिहास में राज दरभंगा की ऐतिहासिक भूमिका को रेखांकित करने के लिए रविवार को राजधानी दिल्ली में एक भव्य संगोष्ठी का आयोजन किया गया। ‘भारत के आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और राष्ट्र निर्माण में राज दरभंगा का योगदान’ विषय पर आयोजित इस कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले, केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव सहित देश के प्रख्यात चिंतक, नीति-निर्माता और सांस्कृतिक हस्तियां शामिल हुईं।
संगोष्ठी में राज दरभंगा के ऐतिहासिक योगदान पर प्रकाश डाला गया। स्वतंत्रता के बाद राज दरभंगा के महाराज कामेश्वर सिंह ने बिहार भूमि सुधार कानून को पटना हाईकोर्ट में चुनौती दी थी, जिसे असंवैधानिक घोषित कर रद्द कर दिया गया। इस घटना ने भारत के संवैधानिक इतिहास में महत्वपूर्ण मोड़ लाते हुए 1951 में प्रथम संविधान संशोधन का मार्ग प्रशस्त किया, जिसने भूमि सुधार जैसे कानूनों को न्यायिक समीक्षा से संरक्षण प्रदान किया।
पुस्तक विमोचन और युवा उत्तराधिकारी का सम्मान
कार्यक्रम में लेखक तेजाकर झा की पुस्तक “राज दरभंगा: धर्म संरक्षण से लोक कल्याण” का विमोचन भी हुआ। यह पुस्तक राज दरभंगा की सांस्कृतिक और राष्ट्रीय योगदान की गाथा को विस्तार से प्रस्तुत करती है। यह आयोजन इसलिए भी विशेष रहा क्योंकि यह राज दरभंगा वंश के सबसे युवा उत्तराधिकारी कुमार अरिहंत सिंह के 18वें जन्मदिन के अवसर पर हुआ।
RSS की सराहना: राज दरभंगा की दूरदर्शिता
दत्तात्रेय होसबोले ने अपने संबोधन में राज दरभंगा के महाराजाओं की दूरदर्शिता की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि औपनिवेशिक काल में मंदिरों के जीर्णोद्धार, उच्च शिक्षा और सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण में इस राजवंश का योगदान अनुकरणीय रहा। उन्होंने नागरिकों से बिहार की ऐतिहासिक महत्ता को पुनर्जनन के लिए प्रेरणा लेने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, “यूरोप में राजाओं को प्रजा का शोषक माना गया, लेकिन भारत में राजा जनक और राम जैसे आदर्शों से प्रेरित होकर जनकल्याण के लिए कार्य करते थे। राज दरभंगा इसका जीवंत उदाहरण है।”
बिहार के सांस्कृतिक पुनर्जागरण की प्रतिबद्धता
केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने मिथिला और बिहार की सांस्कृतिक गरिमा को पुनर्जनन के लिए सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने कहा, “मिथिला प्राचीन काल से विद्या और अध्यात्म का केंद्र रहा है। राजा जनक से लेकर राज दरभंगा तक, इस परंपरा का संरक्षण और प्रसार हुआ है।”
परोपकार की परंपरा को आगे बढ़ाने का संकल्प
कुमार कपिलेश्वर सिंह ने परिवार के ट्रस्ट द्वारा संचालित जनकल्याणकारी योजनाओं पर प्रकाश डाला और कहा, “हमारी प्राथमिकता हमेशा परोपकार रही है। इस सेवा परंपरा को हम भविष्य में भी पूरी निष्ठा से आगे बढ़ाएंगे।”
राज दरभंगा की गौरवपूर्ण विरासत
ब्रिटिश काल में देश की सबसे बड़ी जागीरों में से एक रहे राज दरभंगा ने सनातन धर्म, मैथिली भाषा, मंदिरों के जीर्णोद्धार और शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दिया। इस शाही परिवार ने परंपरा और आधुनिक राष्ट्र-निर्माण के बीच सेतु स्थापित कर भारत के सांस्कृतिक इतिहास पर अमिट छाप छोड़ी।