प्रयागराज, 19 जून 2025, गुरुवार: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज स्थित नैनी सेंट्रल जेल की हाई सिक्योरिटी सेल में एक बार फिर सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठे हैं। माफिया अतीक अहमद के बेटे अली अहमद की बैरक से भारी मात्रा में नकदी और कई प्रतिबंधित सामान बरामद होने के बाद जेल प्रशासन में हड़कंप मच गया है। इस मामले में त्वरित कार्रवाई करते हुए वरिष्ठ जेल अधीक्षक ने डिप्टी जेलर शांति देवी और वार्डन संजय द्विवेदी को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है।
घटना का खुलासा बुधवार शाम को तब हुआ, जब डीआईजी जेल राजेश कुमार श्रीवास्तव ने अचानक नैनी सेंट्रल जेल में छापेमारी की। इस दौरान अली अहमद की हाई सिक्योरिटी बैरक की गहन तलाशी ली गई, जिसमें न केवल भारी मात्रा में नकदी, बल्कि कई प्रतिबंधित वस्तुएं भी बरामद हुईं। जेल जैसे संवेदनशील स्थान पर इस तरह की वस्तुओं का मिलना सुरक्षा व्यवस्था में गंभीर चूक को दर्शाता है।
सूत्रों के अनुसार, छापेमारी के दौरान बरामद सामानों की सूची और नकदी की सटीक मात्रा का अभी खुलासा नहीं किया गया है, लेकिन इस घटना ने जेल प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह पहली बार नहीं है जब नैनी सेंट्रल जेल की सुरक्षा व्यवस्था विवादों में आई हो। इससे पहले भी जेल से कैदियों के फरार होने, मोबाइल फोन और अन्य प्रतिबंधित सामानों की बरामदगी जैसे मामले सामने आ चुके हैं।
वरिष्ठ जेल अधीक्षक ने मामले की गंभीरता को देखते हुए डिप्टी जेलर शांति देवी और वार्डन संजय द्विवेदी के खिलाफ निलंबन की कार्रवाई की। साथ ही, इस मामले की विस्तृत जांच के आदेश दिए गए हैं। डीआईजी जेल राजेश श्रीवास्तव ने कहा, “जेल की सुरक्षा से कोई समझौता नहीं किया जाएगा। दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।”
नैनी सेंट्रल जेल, जो अपनी हाई सिक्योरिटी व्यवस्था के लिए जानी जाती है, में इस तरह की घटना ने प्रशासनिक लापरवाही को उजागर किया है। विशेषज्ञों का मानना है कि जेल के अंदर प्रतिबंधित सामानों की उपलब्धता न केवल सुरक्षा के लिए खतरा है, बल्कि यह कैदियों के बीच आपराधिक गतिविधियों को बढ़ावा देने का कारण भी बन सकती है।
यह जेल स्वतंत्रता संग्राम के दौर से ऐतिहासिक महत्व रखती है, जहां जवाहरलाल नेहरू, मोतीलाल नेहरू और इंदिरा गांधी जैसे स्वतंत्रता सेनानी कैद रहे थे। वर्तमान में यह जेल करीब 3,600 कैदियों की क्षमता के साथ उत्तर प्रदेश की सबसे बड़ी जेलों में से एक है। हालांकि, हाल के वर्षों में यह सुरक्षा चूक और प्रशासनिक लापरवाही के मामलों के कारण बार-बार चर्चा में रही है।
स्थानीय लोगों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस घटना पर चिंता जताते हुए जेल प्रशासन से पारदर्शी जांच की मांग की है। एक सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा, “ऐसी घटनाएं जेल सुधार प्रणाली की विफलता को दर्शाती हैं। सरकार को इस दिशा में ठोस कदम उठाने चाहिए।”
फिलहाल, जेल प्रशासन इस मामले की जांच में जुटा है, और यह देखना बाकी है कि इस सुरक्षा चूक के लिए जिम्मेदार अन्य लोगों के खिलाफ क्या कार्रवाई की जाती है। इस घटना ने एक बार फिर नैनी सेंट्रल जेल की सुरक्षा व्यवस्था को कटघरे में खड़ा कर दिया है।