गोरखपुर, 31 मार्च 2025, सोमवार: चैत्र नवरात्रि के दूसरे दिन गोरखपुर से 15 किलोमीटर पूर्व में कुस्मही जंगल के बीच बसे बुढ़िया माई मंदिर में भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा। यह प्राचीन मंदिर, जो अपनी चमत्कारी शक्ति और अनूठी मान्यताओं के लिए प्रसिद्ध है, आज मां ब्रह्मचारिणी के रूप में पूजी जा रही बुढ़िया माता के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं से गुलजार है। देश-विदेश से आए भक्त माता के चरणों में शीश झुकाने और अपनी मनोकामनाएं पूरी करने के लिए लंबी कतारों में खड़े नजर आए।
बुढ़िया माई मंदिर: चमत्कारों की कहानी
कुस्मही जंगल के बीच बने इस मंदिर की महिमा अनोखी है। मान्यता है कि जो भक्त सच्चे दिल से यहां माता की आराधना करता है, उसे कभी असमय मृत्यु का भय नहीं सताता। माता अपने भक्तों की हर विपदा में रक्षा करती हैं। मंदिर से जुड़ी एक रोचक कथा इसे और भी खास बनाती है।
कहते हैं, बहुत समय पहले इस इलाके में घना जंगल था, जहां एक नाला बहता था। नाले पर लकड़ी का पुल था। एक दिन एक बरात नाले के पूरब तरफ रुकी। वहां सफेद वस्त्रों में एक बूढ़ी महिला बैठी थी। उसने नाच मंडली से नृत्य दिखाने को कहा, लेकिन मंडली ने उसका मजाक उड़ाया और आगे बढ़ गई। मंडली के जोकर ने हालांकि बांसुरी बजाकर पांच बार घूमते हुए नाच दिखाया। प्रसन्न होकर बूढ़ी महिला ने जोकर को चेतावनी दी, “वापसी में बरात के साथ पुल पार मत करना।” तीसरे दिन जब बरात लौटी, वह महिला पुल के पश्चिम तरफ दिखी। जैसे ही बरात पुल के बीच पहुंची, पुल टूट गया और पूरी बरात नाले में डूब गई। सिर्फ जोकर बच सका, जो बरात के साथ नहीं था। इसके बाद वह बूढ़ी महिला गायब हो गई। जोकर ने इस चमत्कार का खुलासा किया, और तभी से यह स्थान बुढ़िया माई के नाम से मशहूर हो गया। आज नाले के दोनों तरफ मंदिर बने हैं, जिनके बीच भक्त नाव से आवागमन करते हैं।
नवरात्रि में भव्य मेला और भक्ति का संगम
चैत्र और शारदीय नवरात्रि में बुढ़िया माई मंदिर का नजारा देखते ही बनता है। हजारों भक्त माता के दर्शन के लिए पहुंचते हैं, और मंदिर परिसर में भव्य मेला लगता है। दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा के लिए भक्तों की भीड़ सुबह से ही उमड़ पड़ी। लंबी कतारें, भक्ति में डूबे चेहरे और माता के जयकारों से पूरा इलाका गूंज उठा। साल भर यहां मुंडन, विवाह जैसे आयोजन होते रहते हैं, लेकिन नवरात्रि का उत्साह कुछ और ही होता है।
क्यों खास है बुढ़िया माई का आशीर्वाद?
मान्यता है कि बुढ़िया माता से सच्चे दिल से मांगी गई हर मन्नत पूरी होती है। भक्तों का विश्वास है कि माता के दर्शन से न सिर्फ मनोरथ सिद्ध होते हैं, बल्कि असमय काल का भय भी दूर होता है। परिवार के सुख-समृद्धि की कामना लेकर आने वाले श्रद्धालु माता के चरणों में अपनी अरदास लगाते हैं।
एक बार जरूर आएं बुढ़िया माई के दरबार
अगर आप भी चैत्र नवरात्रि के इस पावन मौके पर मां ब्रह्मचारिणी के दर्शन करना चाहते हैं, तो बुढ़िया माई मंदिर जरूर आएं। जंगल के बीच बसा यह मंदिर न सिर्फ आध्यात्मिक शांति देता है, बल्कि माता की कृपा से आपके जीवन को भी नई रोशनी से भर सकता है। तो परिवार के साथ निकल पड़िए माता के इस चमत्कारी दरबार में, जहां हर भक्त की पुकार सुनने वाली बुढ़िया माई आपका इंतजार कर रही हैं!