लखनऊ, 4 जुलाई 2025: समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने योगी आदित्यनाथ सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश में हजारों प्राइमरी स्कूल बंद किए जा रहे हैं, जबकि शराब की दुकानों को खोलने की छूट दी जा रही है। आजमगढ़ में सपा के नए कार्यालय-सह-आवास ‘PDA भवन’ के उद्घाटन के दौरान उन्होंने कहा, “यह शर्मनाक है कि बच्चों का भविष्य दांव पर लगाकर सरकार शराब को प्राथमिकता दे रही है। यह दिखाता है कि बीजेपी की नजर में शिक्षा की कोई कीमत नहीं।”
PDA भवन: सामाजिक न्याय का नया प्रतीक
अखिलेश ने नए कार्यालय का नाम ‘PDA भवन’ रखकर सामाजिक न्याय की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने कहा, “PDA यानी ‘पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक’—वही समुदाय जिनके लिए बाबासाहेब अंबेडकर ने संघर्ष किया। यह ‘पीड़ित, दुखी, अपमानित’ लोगों का भी प्रतीक है। हम इनके लिए सामाजिक न्याय सुनिश्चित करेंगे।” यह उद्घाटन 2027 के विधानसभा चुनावों के लिए सपा का बिगुल माना जा रहा है।
2027 के लिए सपा का रोडमैप
अखिलेश ने कार्यकर्ताओं को गाजियाबाद से सोनभद्र तक हर सीट पर PDA की जीत सुनिश्चित करने का आह्वान किया। उन्होंने बड़े वादे भी किए: सपा की सरकार बनने पर हर परिवार को 300 यूनिट मुफ्त बिजली, महिलाओं को 3,000 रुपये की समाजवादी पेंशन और आईपैड, साथ ही केंद्र की अग्निवीर योजना को खत्म कर सेना में भर्ती की पुरानी व्यवस्था बहाल करने का ऐलान।
मुलायम-कांशी राम की विरासत को याद किया
अखिलेश ने आजमगढ़ को सपा का गढ़ बताते हुए मुलायम सिंह यादव और BSP संस्थापक कांशी राम की साझा लड़ाई को याद किया। उन्होंने कहा, “1990 के दशक में नेताजी और कांशी राम ने बीजेपी के खिलाफ एकजुट होकर सामाजिक न्याय की लड़ाई लड़ी थी। वह तस्वीर आज भी प्रेरणा देती है।”
विवादों ने भी दी दस्तक
कार्यक्रम शांतिपूर्ण रहा, लेकिन आजमगढ़ में कुछ ब्राह्मण परिवारों ने अखिलेश के खिलाफ काले झंडे लहराए। यह विरोध इटावा में यादव कथा वाचकों को समर्थन देने के उनके रुख के खिलाफ था, जिसे ब्राह्मण संगठनों ने अपने पारंपरिक कार्यक्षेत्र पर अतिक्रमण माना।
बीजेपी पर निशाना
अखिलेश ने बीजेपी पर PDA समुदाय का अपमान करने का आरोप लगाया और कहा कि उनकी प्राथमिकताएं जनविरोधी हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि सपा 2027 में शिक्षा, सामाजिक न्याय और समृद्धि के एजेंडे के साथ सत्ता में वापसी करेगी। यह सियासी बयानबाजी और सामाजिक मुद्दों का मिश्रण यूपी की राजनीति में नया तापमान बढ़ाने वाला साबित हो सकता है।