वाराणसी, 16 अक्टूबर 2024, बुधवार। इस वर्ष पंचांगों में अमावस्या तिथि 31 अक्टूबर को पूर्ण प्रदोष काल में व एक नवंबर को प्रदोष काल के कुछ भाग में ही प्राप्त हो रही है। अतः ऐसी स्थिति में शास्त्रोक्त समग्र वचनों का अनुशीलन करते हुए 31 अक्टूबर 2024 को ही दीपावली का पर्व मनाया जाना शास्त्र सम्मत है। काशी हिंदू विश्वविद्यालय के संस्कृत विद्या धर्मविज्ञान संकाय के ज्योतिष विभाग में मंगलवार को आयोजित पत्रकारवार्ता में वरिष्ठ विद्वानों ने बताया कि शास्त्रों में दीपावली निर्णय के लिए मुख्यकाल प्रदोष में अमावस्या का होना आवश्यक। इस वर्ष प्रदोष (2 घंटा 24 मिनट) एवं निशीथ (अर्धरात्रि) में अमावस्या 31 अक्टूबर 2024 को है इसलिए 31 अक्टूबर को दीपावली मनाना शास्त्रसम्मत है। देश के किसी भी भाग में एक नवंबर को पूर्णप्रदोष काल में अमावस्या की प्राप्ति नहीं है, अतः एक नवंबर को किसी भी मत से दीपावली मनाना शास्त्रोचित नहीं है। धर्मशास्त्र के ग्रंथों का पूर्वापर संबंध स्थापित करते हुए अध्ययन नहीं करने से भ्रम हुआ।
दीपावली उत्सव में उत्पन्न भ्रम के निवारण के लिए ज्योतिष विभाग, संस्कृतविद्या धर्मविज्ञान संकाय बीएचयू द्वारा श्रीकाशी विश्वनाथ न्यास परिषद्, श्रीकाशी विद्वत परिषद् के साथ-साथ काशी के सभी पंचांगकारों, धर्मशास्त्र एवं ज्योतिष के वरिष्ठ विद्वानों की बैठक में यह सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया है कि गणितीय मानों एवं धर्मशास्त्रीय वचनों के आधार पर दृश्य एवं पारंपरिक दोनों मतों से पूरे देश में 31 अक्टूबर 2024 को ही दीपावली पर्व मनाया जाना शास्त्रोचित है। इस बैठक व पत्रकारवार्ता में प्रो. विनय कुमार पांडेय, प्रो. रामचंद्र पांडेय, प्रो. नागेंद्र पाण्डेय, प्रो. चंद्रमौलि उपाध्याय, प्रो रामनारायण द्विवेदी, प्रो गिरिजा शंकर शास्त्री, प्रो शत्रुघ्न त्रिपाठी, प्रो शंकर कुमार मिश्र, डा. सुभाष पांडेय, डा. रामेश्वर शर्मा, डा. सुशील गुप्ता, डा. अजय कुमार पांडेय, डा अनिल कुमार मिश्र, डा सुनील कुमार चतुवेर्दी, डा मोहन कुमार शुक्ल, डा रामेश्वर ओझा, विशाल उपाध्याय व शिवमूर्ति उपाध्याय, रूपेश ठाकुर प्रसाद, अमित कुमार मिश्र आदि उपस्थित थे।