संभल, 3 जनवरी 2025, शुक्रवार। उत्तर प्रदेश के संभल में एक विवादित मामला सामने आया है, जिसमें जामा मस्जिद के सामने बन रही पुलिस चौकी को लेकर सवाल उठाए गए हैं। हैदराबाद के सांसद ओवैसी ने आरोप लगाया था कि यह पुलिस चौकी वक्फ की जमीन पर बनाई जा रही है, जिसे लेकर लोगों में आक्रोश फैल गया था। इस मामले की जांच के बाद पता चला है कि यह आरोप पूरी तरह से फर्जी है। जांच में यह भी पता चला है कि वक्फ की संपत्तियों में बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा हुआ है। प्रशासन को सौंपे गए दस्तावेज भी फर्जी पाए गए हैं।
वहीं, अब इस मामले में डीएम डॉ. राजेंद्र पैंसिया और एसपी कृष्ण कुमार बिश्नोई ने कहा है कि इस तरह की धांधली करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने यह भी कहा है कि अभी तक किसी भी व्यक्ति ने पुलिस चौकी की जमीन पर अपना दावा नहीं किया है। महज 50 रूपये के स्टांप पर पूरे शहर को वक्फ संपत्ति घोषित कर दी गई है।
संभल में वक्फ घोटाले का पर्दाफाश: गैरकानूनी तरीके से शहर की संपत्ति को वक्फ किया गया
वक्फ के दावे संबंधी अभिलेखों की जांच के लिए गठित कमेटी की रिपोर्ट में एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार, एक मदरसे के लिए की गई संपत्ति को गैरकानूनी तरीके से वक्फ किया गया है। यह वक्फनामा गैर रजिस्टर्ड है और इसमें बताया गया है कि पूरा संभल शहर वक्फ की संपत्ति पर बसा है, जिसमें जामा मस्जिद, विष्णु मंदिर और सभी सरकारी दफ्तर शामिल हैं।
डीएम ने बताया कि जामा मस्जिद के सामने बन रही सत्यव्रत पुलिस चौकी की जमीन का कोई विवाद नहीं है। उन्होंने आगे बताया कि कुछ दिन पहले एक डेलिगेशन ने उनसे मुलाकात की थी और कुछ कागजात सौंपे थे, जिसमें गांव बिछौली से शेरखां सराय तक के इलाके को वक्फ संपत्ति होने का दावा किया गया था।
रिपोर्ट के अनुसार, 1929 में अब्दुल समद नामक व्यक्ति ने यह संपत्ति वक्फ की थी, लेकिन वक्फनामा गैर रजिस्टर्ड है और वक्फ करने वाले व्यक्ति ने इस संपत्ति का स्वामित्व भी नहीं बताया है। इसलिए, यह वक्फ गैरकानूनी है और वक्फ की आड़ में करोड़ों की संपत्ति की गैरकानूनी खरीद-फरोख्त कर राजस्व का चूना लगाया गया है।