N/A
Total Visitor
29.5 C
Delhi
Wednesday, April 2, 2025

वाराणसी जेल में घोटाला: डिप्टी जेलर और डॉक्टर पर गिरी गाज

वाराणसी, 1 अप्रैल 2025, मंगलवार। वाराणसी की जिला कारागार में एक सनसनीखेज मामला सामने आया है, जिसमें पूर्व डिप्टी जेलर मीना कन्नौजिया और जिला चिकित्सालय के डॉक्टर शिवेश जायसवाल की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं। यह पूरा विवाद तब शुरू हुआ जब चंदौली की एक दुष्कर्म पीड़िता ने जेल प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए। अब जिलाधिकारी एस राजलिंगम ने दोनों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की सिफारिश करते हुए शासन को पत्र लिखा है। यह कदम जेल अधीक्षक राजेश कुमार की रिपोर्ट के आधार पर उठाया गया है, जिसने इस मामले में कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं।

दुष्कर्म पीड़िता का आरोप: जेल में चल रहा था खेल

मामला चंदौली के एक दुष्कर्म आरोपी मुरली उर्फ प्रभु जी से जुड़ा है, जिसे सितंबर 2024 में पीड़िता की शिकायत पर गिरफ्तार किया गया था। चंदौली पुलिस ने उसे अगले ही दिन वाराणसी की चौकाघाट जिला कारागार में भेज दिया, क्योंकि चंदौली में कोई जेल नहीं है। गिरफ्तारी के समय उसका मेडिकल परीक्षण हुआ, जिसमें वह पूरी तरह स्वस्थ पाया गया। लेकिन इसके बावजूद, कुछ ही दिनों में वह जिला अस्पताल के प्राइवेट वार्ड नंबर 7 में भर्ती हो गया। पीड़िता के पति ने पुलिस कमिश्नर मोहित अग्रवाल से शिकायत की कि आरोपी 32 दिनों तक बिना किसी बीमारी के अस्पताल में रहा, जहां उसकी पत्नी हर रात उसके साथ रहती थी और दिन में 12 से 15 लोग उससे मिलने आते थे। हैरानी की बात यह कि उसकी अभिरक्षा में चंदौली पुलिस के दो जवान भी तैनात थे, जो नियमों के खिलाफ था।

जांच में खुली पोल: डिप्टी जेलर और डॉक्टर पर सवाल

पुलिस कमिश्नर ने इस शिकायत को गंभीरता से लेते हुए डीएम को मेडिकल बोर्ड गठित कर जांच करने का निर्देश दिया। डीएम ने एडीएम भू राजस्व विपिन कुमार और डिप्टी सीएमओ डॉ पीयूष राय की एक समिति बनाई, जिसने 28 दिसंबर 2024 को जेल में जांच की। रिपोर्ट में साफ हुआ कि आरोपी 30 नवंबर से 31 दिसंबर 2024 तक भर्ती रहा, लेकिन उसकी हालत ऐसी नहीं थी कि उसे इतने लंबे समय तक अस्पताल में रखने की जरूरत हो। बेड हेड टिकट के मुताबिक, उसका इलाज जरूरत से ज्यादा खींचा गया। इसके अलावा, अभिरक्षा में तैनात हेड कांस्टेबल सुशील यादव के पास मुलाकातियों का कोई रजिस्टर नहीं मिला। जांच में डिप्टी जेलर मीना कन्नौजिया, डॉ शिवेश जायसवाल और चंदौली पुलिस के जवानों मोहन कुमार और मेराज खान की संलिप्तता सामने आई।

नियमों की अनदेखी का खेल

जेल अधीक्षक राजेश कुमार की रिपोर्ट ने मामले को और पुख्ता किया। उन्होंने बताया कि अगर कोई कैदी जेल में बीमार होता है, तो उसकी अभिरक्षा में वाराणसी के जवान तैनात किए जाते हैं। लेकिन मीना कन्नौजिया ने नियमों को ताक पर रखकर चंदौली के जवानों को तैनात किया, जो पूरी तरह गैरकानूनी था। इस रिपोर्ट के आधार पर डीएम ने कड़ा रुख अपनाते हुए शासन को पत्र लिखा। डॉ शिवेश जायसवाल के खिलाफ चिकित्सा स्वास्थ्य, परिवार कल्याण एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव को और मीना कन्नौजिया के खिलाफ कारागार प्रशासन एवं सुधार सेवा के पुलिस महानिदेशक को कार्रवाई के लिए लिखा गया है।

अब क्या होगा?

यह मामला न सिर्फ जेल प्रशासन की लापरवाही को उजागर करता है, बल्कि सिस्टम में गहरी सड़ांध की ओर भी इशारा करता है। मीना कन्नौजिया, जो पहले ही पूर्व जेल अधीक्षक उमेश सिंह के खिलाफ मोर्चा खोल चुकी थीं, अब खुद विवादों के घेरे में हैं। दूसरी ओर, पीड़िता और उसके परिवार को इंसाफ की उम्मीद है, लेकिन सवाल यह है कि क्या इस जांच का नतीजा सचमुच सजा तक पहुंचेगा, या यह एक और फाइल बनकर दफ्तरों में दफन हो जाएगा? शासन का अगला कदम इस मामले की दिशा तय करेगा। तब तक, वाराणसी जेल का यह घोटाला चर्चा का विषय बना रहेगा।

Advertisement

spot_img

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

2,300FansLike
9,694FollowersFollow
19,500SubscribersSubscribe

Advertisement Section

- Advertisement -spot_imgspot_imgspot_img

Latest Articles

Translate »