ठाणे, 2 जून 2025, सोमवार: महाराष्ट्र के ठाणे के पडघा में सोमवार को उस वक्त हड़कंप मच गया, जब महाराष्ट्र एटीएस की टीम ने एक बार फिर आतंक के साये को खंगालने के लिए साकिब नाचन के ठिकाने पर धावा बोला। जी हां, वही साकिब नाचन, जिसका नाम आतंक की काली किताब में बार-बार उभरकर सामने आता है। आखिर कौन है ये शख्स, जिसके इर्द-गिर्द बम, बारूद और खौफ की कहानियां घूमती हैं?
साकिब नाचन: आतंक का पुराना ‘खिलाड़ी’
साकिब नाचन कोई नया नाम नहीं है। वह प्रतिबंधित संगठन स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) का सक्रिय सदस्य रह चुका है। उसका अतीत ऐसा है, जो खून खौलाने के लिए काफी है। 2002-2003 में मुंबई सेंट्रल रेलवे स्टेशन, विले पार्ले और मुलुंड में हुए दिल दहलाने वाले बम धमाकों में उसका नाम सामने आया था। इन हमलों में कई बेगुनाहों की जान गई थी, और साकिब को इन गुनाहों की सजा के तौर पर 10 साल की कैद हुई। जेल की सलाखों के पीछे वक्त काटने के बाद वह रिहा तो हुआ, लेकिन क्या वह सुधर गया? नहीं! आरोप है कि 2017 में सजा पूरी होने के बाद उसने फिर से कट्टरपंथ और आतंकी साजिशों का रास्ता चुना।
2023 में फिर पकड़ा गया ‘आतंक का मास्टरमाइंड’
साकिब की कहानी यहीं खत्म नहीं होती। अगस्त 2023 में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने उसे पुणे आईएसआईएस मॉड्यूल मामले में धर दबोचा। यह गिरफ्तारी उसकी खतरनाक मंशाओं का सबूत थी। एनआईए का कहना था कि साकिब नाचन एक नामित विदेशी आतंकी संगठन की साजिशों को हवा देने में जुटा था। वह इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (आईईडी) बनाने, प्रशिक्षण देने और उनके परीक्षण में शामिल था। उसके साथ जुल्फिकार अली बड़ौदावाला, मोहम्मद इमरान खान, मोहम्मद यूनुस साकी जैसे कई और संदिग्धों का नाम भी जुड़ा।
बम बनाने की ‘वर्कशॉप’ और स्लीपर सेल का खौफ
एनआईए की जांच ने जो खुलासा किया, वो रोंगटे खड़े करने वाला था। साकिब और उसके साथी पुणे के कोंढवा में एक घर को अपने खतरनाक मंसूबों का अड्डा बना चुके थे। वहां न सिर्फ बम बनाए जा रहे थे, बल्कि एक पूरी ‘वर्कशॉप’ चल रही थी, जहां बम बनाने की ट्रेनिंग दी जा रही थी। इतना ही नहीं, इन लोगों ने अपने बनाए आईईडी का परीक्षण करने के लिए एक नियंत्रित विस्फोट भी किया था। यह सारी साजिशें इतनी खामोशी से रची जा रही थीं कि कोई स्लीपर सेल की तरह काम कर रहा था, जो मौका मिलते ही देश में तबाही मचा सकता था।
ATS की पैनी नजर, साकिब फिर निशाने पर
अब एक बार फिर महाराष्ट्र एटीएस साकिब नाचन की कुंडली खंगाल रही है। ठाणे के पडघा में हुई छापेमारी इस बात का इशारा है कि साकिब की हरकतें अभी भी संदेह के घेरे में हैं। क्या वह फिर से कोई खतरनाक साजिश रच रहा है? क्या उसका आतंक का खेल अब भी जारी है? एटीएस और एनआईए की टीमें इस सवाल का जवाब तलाशने में जुटी हैं।
आखिर कब रुकेगा आतंक का ये सिलसिला?
साकिब नाचन की कहानी सिर्फ एक शख्स की नहीं, बल्कि उस सोच की है, जो बार-बार बेगुनाहों की जिंदगी छीनने की साजिश रचती है। बमों का ये ‘उस्ताद’ और आतंक का ये ‘कसाई’ अब तक कई बार कानून के शिकंजे में आ चुका है, लेकिन क्या उसकी सजा और निगरानी काफी है? यह सवाल हर उस शख्स के मन में है, जो देश में अमन और शांति चाहता है।
एटीएस और एनआईए की कार्रवाई से एक बात तो साफ है- कानून की नजर से कोई नहीं बच सकता। लेकिन साकिब नाचन जैसे लोग बार-बार सामने क्यों आते हैं? शायद इसका जवाब हमें मिलकर तलाशना होगा। तब तक, एटीएस की ये छापेमारी और साकिब की कहानी हमें सतर्क रहने की चेतावनी दे रही है।