लखनऊ, 29 मई 2025, गुरुवार। उत्तर प्रदेश में संस्कृत अब केवल शास्त्रों और मंत्रों तक सीमित नहीं रही, बल्कि यह आम लोगों की जुबान पर चढ़ने लगी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्रेरणा और दूरदर्शी सोच ने संस्कृत को एक जीवंत, बोलचाल की भाषा में बदलने का सपना साकार कर दिखाया है। 7 फरवरी 2018 को उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान के एक कार्यक्रम में सीएम योगी ने घोषणा की थी कि हर स्कूल में बच्चे संस्कृत में सहज संवाद करते नजर आएंगे। इस सपने को हकीकत में बदलने के लिए शुरू की गई योजनाओं ने अब रंग लाना शुरू कर दिया है।
मिस्ड कॉल से शुरू हुआ संस्कृत का सफर
संस्कृत को जन-जन तक पहुंचाने के लिए शुरू की गई अनूठी मिस्ड कॉल योजना ने कमाल कर दिखाया है। इस योजना ने संस्कृत को घर-घर की भाषा बनाने का बीड़ा उठाया, और नतीजे चौंकाने वाले हैं। अब तक 1.21 लाख से अधिक लोग इस अभियान से जुड़ चुके हैं, जबकि 53 हजार से ज्यादा लोगों ने संस्कृत संभाषण का प्रशिक्षण लिया है। खास बात यह है कि इसमें महिलाओं की भागीदारी लगभग 50% रही है, जो दर्शाता है कि यह अभियान समाज के हर वर्ग को छू रहा है। न केवल उत्तर प्रदेश, बल्कि देश के कोने-कोने से लोग इस पहल का हिस्सा बन रहे हैं, जिससे संस्कृत के प्रति उत्साह और जागरूकता का नया दौर शुरू हुआ है।
संवाद और अभ्यास से रचा जा रहा इतिहास
मिस्ड कॉल योजना के तहत 20 दिनों तक रोजाना एक घंटे की आकर्षक पीपीटी प्रस्तुतियों के जरिए संस्कृत संभाषण और भाषा अभ्यास कराया गया। हर 10वें दिन प्रेरणादायक सत्रों में संस्कृत के महत्व को रेखांकित किया गया, और अब तक 523 ऐसे सत्र आयोजित हो चुके हैं। प्रशिक्षण के अंतिम पड़ाव में इंटर्नशिप कार्यक्रम ने भी लोगों को जोड़ा, जहां प्रतिभागियों ने संस्कृत पढ़ने-पढ़ाने और प्रचार के लिए वीडियो निर्माण जैसे रचनात्मक कार्यों में हिस्सा लिया। यह सब दर्शाता है कि इच्छाशक्ति और सही दिशा हो, तो कोई भी भाषा फिर से जीवंत हो सकती है।
शिक्षकों की मेहनत और प्रशिक्षण का कमाल
सीएम योगी की प्रेरणा से 2019 में संस्कृत संभाषण को एक जन-आंदोलन का रूप दिया गया। इसके तहत हर जिले के डायट केंद्रों पर 100 प्राथमिक शिक्षकों को 5 दिन का गहन प्रशिक्षण दिया गया। 2020-21 में ऑनलाइन माध्यम से हर जिले के 50 शिक्षकों को प्रशिक्षित किया गया। अब तक 1400 से अधिक शिक्षक इस अभियान का हिस्सा बन चुके हैं। इसके अलावा, चुन्नू-मुन्नू संस्कारशाला और काशी संवादशाला जैसी पहलों के जरिए हर महीने 5 दिवसीय प्रशिक्षण आयोजित किए जा रहे हैं। गृहे-गृहे संस्कृतम् (घर-घर संस्कृत) अभियान के तहत स्कूली बच्चों, परिवारों और समाज में संस्कृत को निरंतर बढ़ावा दिया जा रहा है।
संस्कृत के प्रति बढ़ता उत्साह
उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान के पूर्व अध्यक्ष डॉ. वाचस्पति मिश्र का कहना है कि सीएम योगी के प्रेरक उद्बोधन ने संस्कृत संभाषण को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया है। लोग अब संस्कृत को न केवल सीखना चाहते हैं, बल्कि इसे अपनी रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा बनाना चाहते हैं। परिणाम इतने उत्साहजनक हैं कि ऐसा लगता है, मानो पूरा प्रदेश संस्कृत की लहर में डूबने को तैयार है। डॉ. मिश्र को भरोसा है कि आने वाले वर्षों में लाखों लोग संस्कृत संभाषण का हिस्सा बनेंगे, और यह प्राचीन भाषा एक बार फिर जीवंत होकर समाज को समृद्ध करेगी।
संस्कृत अब केवल किताबों की भाषा नहीं, बल्कि दिलों की धड़कन बन रही है। यह अभियान न केवल एक भाषा को पुनर्जनन दे रहा है, बल्कि हमारी सांस्कृतिक विरासत को भी नई पीढ़ी तक पहुंचा रहा है।