60 से अधिक पीड़ितों को एयरलिफ्ट कर बची जान, चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में भी संजीदा प्रयास
ऋषिकेश, 25 जुलाई 2025: उत्तराखंड के दुर्गम पहाड़ी क्षेत्रों में आपदा, सड़क दुर्घटना और चिकित्सा आपातकाल में त्वरित सहायता प्रदान करने के लिए शुरू की गई संजीवनी हेलीकॉप्टर इमरजेंसी मेडिकल सेवा जीवन रक्षक साबित हो रही है। एम्स ऋषिकेश के सहयोग से संचालित इस सेवा ने अब तक 60 से अधिक पीड़ितों को एयरलिफ्ट कर नया जीवनदान दिया है।

74 घंटे की उड़ान, 60 से अधिक जिंदगियां बचाईं
29 अक्टूबर 2024 को शुरू हुई भारत की पहली निशुल्क हेली एम्बुलेंस सेवा ने उत्तराखंड के लिए नई उम्मीद जगाई है। यह सेवा सड़क दुर्घटना, गर्भावस्था आपात स्थिति, भूस्खलन और बाढ़ जैसी परिस्थितियों में प्रभावी सिद्ध हुई है। आंकड़ों के अनुसार, हेली एम्बुलेंस ने 74 घंटे 12 मिनट की उड़ान में 23 सड़क दुर्घटना पीड़ितों, 18 गर्भवती महिलाओं और 19 अन्य चिकित्सा आपातकाल के मरीजों को सुरक्षित अस्पताल पहुंचाया। विशेष रूप से, 5 नवंबर 2024 को अल्मोड़ा बस दुर्घटना और 1 मार्च 2025 को जोशीमठ हिमस्खलन में इस सेवा ने अहम भूमिका निभाई।

मुनस्यारी में मौसम बना बाधा
11 जुलाई 2025 को पिथौरागढ़ के मुनस्यारी क्षेत्र के धापा गांव में जंगली मशरूम खाने से एक महिला और उनकी नातिन की हालत गंभीर हो गई। स्थानीय स्वास्थ्य केंद्र से हल्द्वानी रेफर किए जाने के बाद जिलाधिकारी ने उत्तराखंड नागरिक उड्डयन विकास प्राधिकरण (UCADA) से हेलीकॉप्टर की मांग की। प्राधिकरण ने तत्काल स्वीकृति दी, लेकिन खराब मौसम के कारण डीजीसीए के सुरक्षा मानकों के चलते उड़ान संभव नहीं हो सकी। सरकार ने स्पष्ट किया है कि आपात स्थिति में जिलाधिकारी की मांग पर प्राथमिकता से सेवा उपलब्ध कराई जाती है, बशर्ते मौसम अनुकूल हो।

मुख्यमंत्री ने की सराहना
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा, “उत्तराखंड की विषम भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए यह सेवा संजीवनी बनकर उभरी है। मौसम की बाधाओं के बावजूद प्रशासन को वैकल्पिक व्यवस्थाओं के साथ तत्पर रहने के निर्देश दिए गए हैं।”

उत्तराखंड देश के उन अग्रणी राज्यों में शामिल हो गया है, जो निशुल्क हेली एम्बुलेंस सेवा प्रदान कर रहे हैं। यह सेवा न केवल आपातकाल में राहत प्रदान कर रही है, बल्कि पहाड़ी क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं को सशक्त बनाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।