वाराणसी, 18 दिसंबर 2024, बुधवार। काशी में गंगा में दिसम्बर माह में बीच गंगा के पानी में रेत का टीला दिखना चिन्ताजनक है। यह एक बड़ा सवाल है कि जब जाड़े में यह हाल है, तो गर्मी में क्या स्थिति होगी? यह एक बड़ी चुनौती है कि गंगा का पानी कम होने से इसकी अविरलता को बनाए रखना मुश्किल हो जाएगा। इसके लिए हमें गंगा की रक्षा करनी होगी और इसकी अविरलता को बनाए रखना होगा। बता दें, गर्मी में गंगा की स्थिति और भी खराब हो सकती है, इसलिए हमें अभी से ही इसके लिए तैयार रहना होगा। हमें गंगा की रक्षा करनी होगी और इसकी अविरलता को बनाए रखना होगा, ताकि हमारी आने वाली पीढ़ियों को भी गंगा का पानी मिल सके।
वाराणसी में गंगा के लहरों के बीच दिसंबर माह में ही रेत का टीला सामने घाट क्षेत्र में दिखना यह एक आम बात नहीं है, बल्कि यह गंगा की गहराई में छुपी हुई एक बड़ी सच्चाई को उजागर करता है। वहीं, गंगा वैज्ञानिक बीडी त्रिपाठी ने इस घटना के पीछे के चार मुख्य कारण बताए हैं। उन्होंने कहा कि गंगा का पानी बांध बनाकर उत्तराखंड में रोका जा रहा है, जिससे गंगा का प्रवाह कम हो गया है। दूसरा कारण है कि हरिद्वार से चैनल के माध्यम से दूसरे प्रदेशों में पानी का हस्ताक्षरित करना, जिससे गंगा का पानी कम हो गया है।
तीसरा कारण है कि गंगा की दोनों ओर लिफ्ट कैनाल बनाकर पानी को खेतों में सप्लाई करना, जिससे फसलों की सिंचाई होती है। चौथा कारण है कि पिछले 2 दशकों से लगातार गंगा बेसिन में भूजल स्तर का तेजी से नीचे गिरना, जिससे गंगा का पानी नीचे जा रहा है। इसके चार्जिंग के लिए भी गंगा का पानी नीचे जा रहा है। वैज्ञानिक बीडी त्रिपाठी ने कहा कि जनवरी में कुंभ के समय स्नान के लिए पानी छोड़ा जाएगा, तब यह रेत के टीले नहीं दिखाई देंगे। लेकिन वर्तमान स्थिति में जब पानी कम है तो मिट्टी और बालू जमने की प्रक्रिया बढ़ जाती है।
वैज्ञानिक प्रो. बीडी त्रिपाठी ने बताया कि गंगा के लहरों के बीच रेत का टीला दिखने का अर्थ है कि गंगा का पानी कम हो रहा है। यह एक बड़ा संकट है, जिसके परिणामस्वरूप गंगा की गहराई कम हो जाएगी और इसकी अविरलता खतरे में पड़ जाएगी। वैज्ञानिक प्रो. त्रिपाठी ने बताया कि गंगा के सिमटने का मुख्य कारण है इसका पानी कम होना। इसके अलावा, अस्सी नदी का मुहाना बदल दिया गया है, जिससे इसका प्रवाह कम हो गया है। इसके साथ ही, गंगा के किनारे बनाए गए घाटों की स्थिति भी बदल गई है, जिससे गंगा का पानी कम हो रहा है।
वैज्ञानिक प्रो. बीडी त्रिपाठी ने बताया कि गंगा के सिमटने के परिणामस्वरूप गंगा की गहराई कम हो जाएगी और इसकी अविरलता खतरे में पड़ जाएगी। इसके अलावा, गंगा के पानी में सिल्ट और रेत की मात्रा बढ़ जाएगी, जिससे गंगा की गुणवत्ता खराब हो जाएगी। उन्होंने बताया कि गंगा की अविरलता को बनाए रखने के लिए हमें गंगा के पानी को बचाना होगा और इसकी गुणवत्ता को सुधारना होगा। इसके लिए हमें गंगा के किनारे बनाए गए घाटों की स्थिति को सुधारना होगा और अस्सी नदी के मुहाने को बदलना होगा। इसके अलावा, हमें गंगा के पानी में सिल्ट और रेत की मात्रा को कम करना होगा और गंगा की गुणवत्ता को सुधारना होगा।