चिकित्सकों का कहना है कि इस बार वायरल बुखार बदले स्वरूप में है। इसका असर कई दिन तक शरीर में रहता है। इस बुखार में डॉक्टरों ने हर चार घंटे पर पैरासिटामॉल खाने की सलाह दी। वहीं डेंगू के नए मरीज भी प्रतिदिन जिले में मिल रहे हैं। इसके चलते बुखार की दवा की खपत काफी बढ़ गई। दवा विक्रेताओं के मुताबिक नवंबर माह में भी यह सिलसिला बना हुआ है।
बाजार में पैरासिटामॉल लगभग 10 ब्रांडेड और 15 जेनरिक दवाओं के रूप में उपलब्ध है। इसमें सबसे अधिक मांग डोलो की है। इसके अलावा लोग कालपोल, एसिक्लोफिनेक, पैरासिटामॉल विद डाइक्लोपिनेक, पैरासिटामॉल-निमोस्लाइड, पैरासिटामॉल-आइबूब्रूपेन भी खरीद रहे हैं। जिले के बाजार में इन दवाओं का एक माह में तीन करोड़ रुपये का कारोबार हुआ है। साथ ही ऑनलाइन फार्मेसी कंपनियों से भी लोग पैरासिटामॉल की होम डिलीवरी करा रहे हैं।
एजिथ्रोमाइसिन, कॉरिपिल की भी बिक्री बढ़ी
दाव कारोबारियों को मुताबिक लोग इन दिनों एजिथ्रोमाइसिन टैबलेट का काफी इस्तेमाल कर रहे हैं। यह एंटीबायोटिक दवा है। इसके अलावा डेंगू में प्लेटलेट्स घटने के चलते कॉरिपिल और विट-गो की बिक्री में भी उछाल आया। कई चिकित्सकों का मानना है कि कॉरिपिल और विट-गो टैबलेट कुछ हद तक प्लेटलेट्स काउंट बढ़ाने में कारगर हैं।
जिला अस्पताल में हर दिन चार हजार की पैरासिटामॉल खप रहीं
पैरासिटामॉल की मांग पिछले डेढ़ माह में तेजी से बढ़ी है। हालांकि मार्केट में इसकी कोई कमी नहीं है। कई कंपनियों की पैरासिटामॉल कई कांबिनेशन में बिकी है। शहर की बात करें तो 20 से 25 फीसदी की बिक्री बढ़ी है। जबकि जिले में लगभग तीन करोड़ रुपये का कारोबार हुआ है।- साहित्य रस्तोगी, अध्यक्ष ड्रगिस्ट एवं केमिस्ट वेलफेयर एसोसिएशन