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Thursday, June 19, 2025

1984 सिख विरोधी दंगे मामले में सज्जन कुमार को उम्र कैद

नई दिल्ली, 25 फरवरी 2025, मंगलवार। दिल्ली की एक अदालत ने 1984 के सिख विरोधी दंगे से जुड़े हत्या के एक मामले में पूर्व कांग्रेस सांसद सज्जन कुमार को मंगलवार को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। विशेष न्यायाधीश कावेरी बावेजा ने एक नवंबर, 1984 को जसवंत सिंह और उनके बेटे तरुणदीप सिंह की कथित हत्या के मामले में यह फैसला सुनाया। अदालत ने 12 फरवरी को कुमार को अपराध के लिए दोषी ठहराया और मृत्युदंड की सजा वाले मामलों में ऐसी रिपोर्ट के अनुरोध के संदर्भ में उच्चतम न्यायालय के आदेश के मद्देनजर तिहाड़ केंद्रीय जेल से कुमार के मानसिक एवं मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन पर रिपोर्ट मांगी। हत्या के अपराध में अधिकतम सजा मृत्युदंड होती है, जबकि न्यूनतम सजा आजीवन कारावास होती है। शिकायतकर्ता जसवंत की पत्नी और अभियोजन पक्ष ने कुमार के लिए मौत की सजा की मांग की थी। कुमार फिलहाल तिहाड़ जेल में बंद है।
फैसले के बाद दंगा पीड़ितों के वकील एचएस फुल्का ने मीडिया से बातचीत में बताया कि आखिर सज्जन कुमार को फांसी क्यों नहीं हुई। उन्होंने कहा कि कोर्ट ने सज्जन कुमार को अधिकतम संभव जो सजा हो सकती थी, वो सुनाई है। उन्हें अदालत में मृत्युदंड नहीं दिया है। राउज एवेन्यू कोर्ट से बाहर आकर एचएस फुल्काने मीडिया से कहा कि दिल्ली की राउज एवेन्यू अदालत ने सज्जन कुमार को दो मामलों में उम्रकैद की सजा सुनाई है। एक हत्या और दूसरा घरों में आग लगाना। फैसले में न्यायाधीश ने लिखा है कि मृत्युदंड नहीं दिया गया है क्योंकि सज्जन कुमार 80 वर्ष के हैं और विभिन्न बीमारियों से पीड़ित हैं। उन्हें वॉशरूम जाने के लिए भी लोग चाहिए होते हैं। न्यायाधीश ने अधिकतम संभव कारावास की सजा सुनाई है।
सिख समुदाय के सदस्यों ने सज्जन कुमार के लिए मांग की थी ‘मौत की सजा’
सज्जन कुमार को फांसी न दिए जाने पर दिल्ली सिख गुरुद्वारा कमेटी खुश नहीं है, हालांकि कमेटी ने कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हुए कहा कि अगर उसे फांसी की सजा होती तो और बेहतर होता। दिल्ली में 1984 में हुये सिख विरोधी दंगों के मामले में विशेष अदालत द्वारा फैसला सुनाए जाने से पहले सिख समुदाय के कुछ सदस्यों ने मंगलवार को पूर्व कांग्रेस सांसद सज्जन कुमार के लिए मौत की सजा की मांग की थी। अदालत परिसर के बाहर विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे गुरलाद सिंह ने कहा, ”अब चार दशक बीत चुके हैं, और न्यायपालिका का यह कथन है कि न्याय में देरी, न्याय से इनकार है। हम सज्जन कुमार के लिए केवल मृत्युदंड की अपील करते हैं।” सिंह ने कहा कि यह अपराध ‘दुर्लभतम’ श्रेणी में आता है, क्योंकि 1984 के दंगे एक ‘पूर्व नियोजित नरसंहार’ थे।

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