नैमिषारण्य
रविवार को परिक्रमा पहले पड़ाव कोरौना को पार कर हरदोई जनपद में प्रवेश कर हरैया पहुंच गई । चौरासी कोसीय परिक्रमा में एक से बढ़ कर एक संत महंत, गृहस्थ, सखी परिक्रमा कर रहे हैं । परिक्रमा में संतों के दर्शन कर अपने आप को धन्य महसूस कर रहे है । परिक्रमा के दौरान नैमिष के वरिष्ठ संतों और महंतो से स्वदेश संवाददाता ने बातचीत की । जिस पर उन्होंने कहा कि इस दिव्य परिक्रमा में शामिल हर भक्त पर भगवान श्रीराम कृपा सब पर बरसे । महर्षि दधीचि, भगवान राम, बलराम की परम्परा का अनुसरण कर रहे यह संत मार्ग की कठिनता को भूल विश्व कल्याण की भावना से परिक्रमा कर रहे हैं ।
संतों महंतों की पंक्ति में रथ पर सबसे आगे चल रहे चौरासी कोसीय परिक्रमा महंत नारायण दास नन्हकू चल रहे थे । महंत जी ने कहा कि मैं अपने गुरुदेव भगवान ब्रह्मलीन भरत दास जी के आशीर्वाद से उनकी गुरु परंपरा के अनुसार परिक्रमा कर रहा हूं । लाखों लोग परिक्रमा में साथ चल रहे है ।
महर्षि दधीचि के मूर्ति से सजे रथ पर सवार व्यास पीठाधीश अनिल कुमार शास्त्री का वैभव परिक्रमा में सबसे अलग नजर आ रहा है । उनके रथों से वेदमंत्रों की ध्वनि गुंजायमान है । शास्त्री जी ने बताया कि परिक्रमा करके हम स्वयं को ऊर्जावान बना रहे है । इस परिक्रमा की महिमा पूरे विश्व में फैले ताकि फाल्गुन मास ही नहीं वर्ष भर यह परिक्रमा चले ।
चौरासी कोसीय परिक्रमा समिति सचिव बनगढ़ महंत संतोष दास खाकी ने बताया कि यह परिक्रमा अठ्ठासी हजार ऋषि मुनियों, मर्यादा पुरूषोतम श्री राम की एवं महर्षि दधीचि की प्राचीन परम्परा का प्रतिवर्ष अवगाहन है । हम स्वयं को धन्य मानते हैं कि हम नैमिष की पावन धरा पर जन्म लिया है ।
आनंद धाम आश्रम के महंत एवं प्रसिद्ध कथाव्यास स्वामी वीरेंद्रानंद पुरी जीप से परिक्रमा कर रहे हैं । उन्होंने कहा कि यह संतों की परिक्रमा है, इसमें हर वर्ष दिव्य संतों, तीर्थों और देवालयों का अनुग्रह और दर्शन प्राप्त होता है । यही कारण है कि हर वर्ष परिक्रमा के समय नैमिषारण्य आ जाता हूँ । महाराज जी रोज शाम को दो घंटे परिक्रमार्थियों के साथ सत्संग करते हैं ।
श्रीमद्भागवत को काव्य में लिख चुके स्वामी पगलानंद सरस्वती ने अपना अनुभव व्यक्त करते हुए बताया कि यह यात्रा जीवन के सभी दुखों को मिटाने वाली है । सभी तीर्थों का दर्शन, संतों महंतों का सानिध्य जीवन के सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाला है ।