मथुरा, 5 अप्रैल 2025, शनिवार। वृंदावन की पावन धरती पर संत प्रेमानंद जी महाराज के भक्तों के लिए गुरुवार-शुक्रवार की रात एक दुखद मोड़ लेकर आई। हर रात की तरह भक्त अपने प्रिय गुरु के दर्शन और उनकी पवित्र पदयात्रा का इंतजार कर रहे थे, लेकिन अचानक खबर आई कि महाराज जी का स्वास्थ्य बिगड़ गया है। इस कारण उनकी प्रसिद्ध रात्रिकालीन पदयात्रा को रोकना पड़ा। आश्रम के परिकरों ने सड़कों पर खड़े सैकड़ों भक्तों से वापस लौटने की अपील की, लेकिन यह खबर सुनते ही भक्तों की आंखें नम हो गईं। कुछ तो फूट-फूटकर रोने लगे, क्योंकि उनके लिए महाराज जी का दर्शन केवल एक मुलाकात नहीं, बल्कि आत्मिक शांति और भक्ति का आधार है।
स्वास्थ्य संकट और भक्तों का दर्द
संत प्रेमानंद जी महाराज पिछले 18 सालों से किडनी की गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं। उनकी दोनों किडनियां खराब हो चुकी हैं और नियमित डायलिसिस उनकी जिंदगी का हिस्सा बन चुकी है। इसके बावजूद, वे हर रात 2 बजे अपने निवास श्रीकृष्ण शरणम् से रमणरेती स्थित श्री हित राधा केलि कुंज आश्रम तक पैदल यात्रा करते थे। इस दौरान सड़कों पर उमड़ने वाली भक्तों की भीड़ उनकी भक्ति और प्रभाव का जीवंत प्रमाण थी। लेकिन इस बार, अचानक स्वास्थ्य खराब होने के कारण यह क्रम टूट गया। इससे पहले भी 7 फरवरी को उनकी तबीयत बिगड़ी थी, जिसने भक्तों को चिंता में डाल दिया था। गुरुवार की रात भी कुछ ऐसा ही हुआ, और भक्तों के दिलों में अपने गुरु की सेहत को लेकर बेचैनी छा गई।
भक्ति का अनोखा रंग: आंसुओं में डूबी प्रार्थना
जब आश्रम के सेवादारों ने पदयात्रा रुकने की सूचना दी, तो सड़कों पर मौजूद भक्तों का हाल देखते ही बनता था। कोई हाथ जोड़कर राधारानी से प्रार्थना कर रहा था, तो कोई आंसुओं के साथ महाराज जी के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना कर रहा था। एक भक्त ने कहा, “महाराज जी हमारे लिए सब कुछ हैं। उनके बिना यह रात सूनी लगती है। हम बस यही चाहते हैं कि राधारानी उन्हें जल्द ठीक करें।” यह दृश्य वृंदावन की उन गलियों में देखने को मिला, जहां हर रात भक्ति का उत्सव सजता था। भक्तों का यह प्रेम और समर्पण संत प्रेमानंद जी महाराज के प्रति उनकी अटूट श्रद्धा को दर्शाता है।
18 सालों की तपस्या और भक्ति की मिसाल
संत प्रेमानंद जी महाराज का जीवन अपने आप में एक प्रेरणा है। 13 साल की उम्र में घर त्यागकर संन्यास लेने वाले इस संत ने अपनी जिंदगी राधा-कृष्ण की भक्ति में समर्पित कर दी। उनकी दोनों किडनियां खराब होने के बावजूद, वे पिछले 18 सालों से डायलिसिस पर हैं। कई भक्तों ने उन्हें अपनी किडनी दान करने की पेशकश की, लेकिन महाराज जी ने इसे ठुकरा दिया। उन्होंने अपनी एक किडनी का नाम “राधा” और दूसरी का “कृष्ण” रखा, यह कहते हुए कि भगवान का अंश उनके शरीर में ही मौजूद है। उनकी यह आध्यात्मिक दृढ़ता और भक्ति की भावना लाखों लोगों के लिए प्रेरणास्रोत है।
भक्तों की पुकार: “राधारानी, महाराज को स्वस्थ करें”
संत प्रेमानंद जी महाराज की तबीयत बिगड़ने की खबर सोशल मीडिया पर भी तेजी से फैली। भक्तों ने एक स्वर में राधारानी से प्रार्थना शुरू कर दी कि उनके प्रिय गुरु को जल्द स्वास्थ्य लाभ मिले। एक भक्त ने लिखा, “महाराज जी के बिना वृंदावन अधूरा है। उनकी पदयात्रा हमारी आस्था का हिस्सा है। हे राधारानी, कृपा करें।” यह भावना हर उस भक्त के दिल में थी, जो महाराज जी के दर्शन के लिए रात-रात भर जागता था।
एक संत का अद्भुत जीवन
प्रेमानंद जी महाराज का पूरा नाम प्रेमानंद गोविंद शरण जी महाराज है। वृंदावन में राधावल्लभ संप्रदाय से जुड़े इस संत ने अपनी सादगी और गहरी आध्यात्मिकता से देश-विदेश में लाखों भक्तों का दिल जीता है। उनके सत्संग और प्रवचन सोशल मीडिया पर भी खूब सुने जाते हैं। क्रिकेटर विराट कोहली और अभिनेत्री अनुष्का शर्मा जैसे नामचीन लोग भी उनके आश्रम में आशीर्वाद लेने पहुंच चुके हैं। लेकिन उनकी असली पहचान उनकी भक्ति और भक्तों के प्रति समर्पण है।
उम्मीद की किरण
हालांकि महाराज जी की तबीयत अभी चिंताजनक है, लेकिन भक्तों का विश्वास अडिग है। उनकी प्रार्थनाएं और राधारानी के प्रति श्रद्धा इस उम्मीद को जिंदा रखे हुए है कि जल्द ही महाराज जी स्वस्थ होकर फिर से अपनी पदयात्रा शुरू करेंगे। तब तक, वृंदावन की गलियां और भक्तों के दिल उनके ठीक होने की प्रतीक्षा में हैं।
संत प्रेमानंद जी महाराज का यह स्वास्थ्य संकट न केवल उनके भक्तों के लिए, बल्कि पूरे आध्यात्मिक जगत के लिए एक चिंता का विषय है। लेकिन उनकी भक्ति और तपस्या की शक्ति को देखते हुए, हर कोई यही कामना कर रहा है कि वे जल्द ही ठीक हों और फिर से भक्तों के बीच अपनी दिव्य उपस्थिति दर्ज कराएं। राधे-राधे!