अपने विवादित बयानों से चर्चा में रहने वालीं भोपाल की सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को एक बार फिर पीएम नरेंद्र मोदी ने नजरअंदाज किया। मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में हुए आदिवासी गौरव दिवस के कार्यक्रम के मंच पर न तो साध्वी प्रज्ञा को पीएम के स्वागत का अवसर मिला और न ही रानी कमलापति वर्ल्ड क्लास रेलवे स्टेशन के उद्घाटन के मौके पर मंच पर कोई स्थान।
सोमवार को पीएम मोदी जंबूरी मैदान में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करने के लिए जब मंच पर पहुंचे, तो उन्होंने वहां मौजूद सभी नेता और मंत्रियों का बारी-बारी से अभिवादन स्वीकार किया। लेकिन मौजूद सांसद मौजूद साध्वी प्रज्ञा को वे नजरअंदाज करते हुए आगे निकल गए।
पीएम नरेंद्र मोदी के साथ भोपाल की सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर के साथ मंच साझा करने पर कांग्रेस ने सवाल उठाए हैं। मध्यप्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता नरेंद्र सलुजा ने अपने ट्विटर हैंडल से पीएम के साथ साध्वी प्रज्ञा की फोटो शेयर करते हुए लिखा, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, जिस प्रज्ञा ठाकुर को गोडसे को देशभक्त बताने पर कभी भी मन से माफ नहीं करने की बात कह चुके हैं, वे आज उनके साथ मंच पर मौजूद थीं…?’
इधर, कांग्रेस के सवालों का भाजपा ने करारा जवाब दिया है। भोपाल से भाजपा विधायक रामेश्वर शर्मा ने अमर उजाला से कहा कि कांग्रेस पार्टी की शायद भारत के संविधान में आस्था नहीं है। क्योंकि कांग्रेस जिस अपराधिक प्रवृत्ति से राज करती है वह वैसे ही दूसरों को समझने की कोशिश करती है।
भारत के संविधान में जो निर्वाचित है और जहां उसका अधिकार क्षेत्र वहां वो उपस्थित रहता ही है। कांग्रेस पार्टी कब से साध्वी जी की इतनी चिंता करने लग गईं। जो कांग्रेस साध्वी को षड्यंत्र पूर्वक जेल में पहुंचती है। फिर आज साध्वी के प्रति प्रेम क्यों आ रहा है।
बतौर सांसद साध्वी के स्वागत नहीं करने और रेलवे स्टेशन उद्घाटन के मौके पर मौजूद नहीं होने के सवाल पर शर्मा ने कहा कि ये कार्यक्रम भाजपा और मध्यप्रदेश सरकार का कार्यक्रम था। इसकी चिंता कांग्रेस पार्टी क्यों कर रही है। कांग्रेस के मन में लड्डू क्यों फूट रहे हैं। पीएम का स्वागत और मंच पर कौन रहेगा कौन नहीं ये शासन और पीएमओ तय करता है।
आदिवासियों के महानायक बिरसा मुंडा की जयंती को लेकर राजधानी भोपाल में मध्यप्रदेश सरकार ने जनजातीय गौरव दिवस का आयोजन किया था। जंबूरी मैदान में हुए इस आयोजन में पीएम नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी आदिवासी रंग में रंगे हुए नजर आए।
इस दौरान मंच पर प्रदेश के आदिवासी नेताओं के अलावा केंद्र सरकार में प्रदेश से मंत्री और भोपाल से भाजपा सांसद प्रज्ञा ठाकुर भी नजर आईं। भोपाल की सांसद होने के नाते प्रज्ञा ठाकुर भी यहां परंपरा और प्रोटोकॉल के मुताबिक मौजूद रहीं। हालांकि इस दौरान भी उन्हें मंच पर पीएम मोदी का स्वागत करने का कोई मौका नहीं मिला।
पीएम मोदी जब सोमवार को भोपाल पहुंचे तो एयरपोर्ट पर प्रधानमंत्री के स्वागत के लिए राज्यपाल मंगू भाई पटेल और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मौजूद रहे। इसके अलावा सरकार के आठ मंत्री और अफसरों ने भी पीएम का स्वागत किया। इनमें विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम, मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस, डीजीपी विवेक जौहरी और दो सैन्य अफसर शामिल थे।
जंबूरी मैदान, बरकतउल्ला विश्वविद्यालय हेलीपैड और भोपाल से रवाना होने के दौरान पीएम के स्वागत और सत्कार के लिए मध्यप्रदेश सरकार ने पांच मंत्रियों को मिनिस्टर इन वेटिंग नियुक्ति किया था। इन मंत्रियों में जगदीश देवड़ा, भूपेंद्र सिंह, अरविंद भदौरिया, उषा ठाकुर और हरदीप सिंह डंग शामिल थे। मिनिस्टर इन वेटिंग, ऐसे लोग होते हैं जिन्हें किसी खास कार्यक्रम के दौरान आने वाले गेस्ट के स्वागत, सत्कार और विदाई के लिए नियुक्त किया जाता है।
स्वागत के दौरान बतौर सांसद साध्वी के न रहने पर भाजपा नेताओं का कहना है कि पीएम स्वागत के दौरान कौन रहेगा या कौन नहीं यह मध्यप्रदेश सरकार और पीएमओं द्वारा तय किया जाता है। जहां तक सांसद प्रज्ञा की बात है वे मंच पर मौजूद थीं। लेकिन स्वास्थ्य कारणों से अन्य कार्यक्रम में नहीं पहुंच सकीं।
साल 2019 में साध्वी प्रज्ञा ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे को ‘देशभक्त’ तक करार दिया था। इसके बाद सियासी तूफान आ गया था। बढ़ते बवाल के बीच भाजपा ने भी साध्वी के इस बयान को नकार दिया और उन्हें नोटिस भी जारी किया। इसके बाद साध्वी ने मामला बिगड़ते देख इस बयान को लेकर माफी मांग ली थी। साध्वी के इस विवादित बयान को लेकर पीएम मोदी ने कहा था कि भले ही प्रज्ञा ठाकुर माफी मांग लें लेकिन मैं दिल से कभी उन्हें माफ नहीं कर पाउंगा।’
साध्वी प्रज्ञा पहले भी कई दफा अपने विवादित बयानों को लेकर सुर्खियों में रही हैं। लोकसभा चुनाव के दौरान साध्वी ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे को ‘देशभक्त’ तक करार दिया था। चुनाव प्रचार के दौरान फिल्म अभिनेता कमल हसन के गोडसे को लेकर आए बयान पर जब साध्वी से प्रतिक्रिया मांगी तो उन्होंने कहा था कि गोडसे देशभक्त थे, हैं और रहेंगे।
वहीं, इससे पहले साध्वी प्रज्ञा ने मुंबई में आतंकवादियों की गोली से शहीद हुए एटीएस के प्रमुख हेमंत करकरे की शहादत को लेकर विवादित बयान दिया था। उन्होंने मालेगांव बम धमाके के मामले में हुई गिरफ्तारी के दौरान हेमंत करकरे को दिए गए श्राप का ज़िक्र करते हुए कहा था, ‘उस समय मैंने करकरे से कहा था कि तेरा सर्वनाश होगा, उसी दिन से उस पर सूतक लग गया था और सवा माह के भीतर ही आतंकवादियों ने उसे मार दिया था।
‘ मामले के तूल पकड़ने पर प्रज्ञा को चुनाव आयोग ने नोटिस जारी कर प्रज्ञा से जवाब मांगा था। इसके बाद अयोध्या में विवादित ढांचे को गिराए जाने को लेकर दिए गए बयान पर प्रज्ञा के खिलाफ चुनाव आयोग ने मामला भी दर्ज किया है प्रज्ञा ने विवादित ढांचे को गिराए जाने को गर्व का विषय बताया था, साथ ही विवादित स्थान पर भव्य राम मंदिर बनने की बात कही थी।
इसके अलावा साध्वी ने चुनाव प्रचार के दौरान ही भोपाल से कांग्रेस उम्मीदवार और पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह को आतंकवादी बताया था। वहीं हाल ही में साध्वी ने बयान दिया था कि देश के मंदिरों को सरकार के संरक्षण से मुक्त करना चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार के संरक्षण के कारण मंदिरों को भक्तों की तरफ से दान में मिला। धन हिंदुओं के विकास की जगह अल्पसंख्यक और अधर्मियों के पास चला जाता है।
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