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Monday, June 30, 2025

सचिन वाझे केस : पूर्व कमिश्नर परमबीर सिंह के लेटर बम से महाराष्ट्र की सियासत में घमासान जारी

एंटीलिया-सचिन वाझे केस में मुंबई पुलिस के पूर्व कमिश्नर परमबीर सिंह के लेटर बम से महाराष्ट्र की सियासत में घमासान जारी है। अनिल देशमुख विपक्ष की रडार पर हैं और भाजपा के आरोपों का काउंटर कैसे किया जाएगा, इस पर आज शिवसेना और एनसीपी बैठक में मंथन करने वाले हैं। इस बीच शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के जरिए पलटवार किया है और सवाल किया है कि परमबीर सिंह की चिट्ठी कहीं किसी की साजिश तो नहीं। शिवसेना ने कहा है कि जिस परमबीर सिंह पर कल तक भाजपा भरोसा नहीं रख रही थी, उसी परमबीर सिंह को बीजेपी सिर पर बैठाकर क्यों नाच रही है। साथ ही भाजपा को चेताया है कि सरकार गिराने की कोशिश करोगे तो आग लगेगी।

मुखपत्र ‘सामना’ में शिवसेना ने परमबीर सिंह के पत्र पर सवाल खड़े किए हैं और पूछा है कि परमबीर सिंह के खिलाफ सरकार ने कार्रवाई की है इसलिए उनकी भावनाओं का विस्फोट समझ सकते हैं। मगर सरकारी सेवा में अत्यंत वरिष्ठ पद पर विराजमान व्यक्ति द्वारा ऐसा पत्राचार करना नियमोचित है क्या? गृहमंत्री पर आरोप लगाने वाला पत्र मुख्यमंत्री को लिखा जाए और उसे प्रसार माध्यमों तक पहुंचा दिया जाए, यह अनुशासन के तहत उचित नहीं है। परमबीर सिंह का दावा है कि अनिल देशमुख ने उन्हें 100 करोड़ की वसूली का टारगेट दिया था, मगर सवाल ये है कि बीते डेढ़ साल से जब रेस्टोरेंट-पब बंद हैं तो ये पैसे कहां से आते?

शिवसेना ने संपादकीय में लिखा- ‘परमबीर सिंह को थोड़ा संयम रखना चाहिए था। उस पर सरकार को परेशानी में डालने के लिए परमबीर सिंह का कोई इस्तेमाल कर रहा है क्या? ऐसी शंका भी है। असल में जिस सचिन वाझे के कारण ये पूरा तूफान खड़ा हुआ है, उन्हें इतने असीमित अधिकार दिए किसने? सचिन वाझे ने बहुत ज्यादा उधम मचाया। उसे समय पर रोका गया होता तो मुंबई पुलिस आयुक्त पद की प्रतिष्ठा बच गई होती। परंतु इस पूर्व आयुक्त द्वारा कुछ मामलों में अच्छा काम करने के बावजूद वाझे प्रकरण में उनकी बदनामी हुई। इस प्रकरण के तार परमबीर सिंह तक पहुंचेंगे ऐसी आशंका जांच में सामने आने से परमबीर सिंह ने खुद को बचाने के लिए इस तरह के आरोप लगाए हैं, यह सत्य होगा तो इस पूरे प्रकरण में भाजपा, सरकार को बदनाम करने के लिए परमबीर सिंह का इस्तेमाल कर रही है।’ 

शिवसेना ने कहा कि इस साजिश के पीछे सिर्फ सरकार को सिर्फ बदनाम ही करना है, ऐसा नहीं है बल्कि सरकार को मुश्किल में डालना है, ऐसी उनकी नीति है। देवेंद्र फडणवीस दिल्ली जाकर मोदी-शाह को मिलते हैं और दो दिन में परमबीर सिंह ऐसा पत्र लिखकर खलबली मचाते हैं। उस पत्र का आधार लेकर विपक्ष जो हंगामा करता है, यह एक साजिश का ही हिस्सा नजर आता है। महाराष्ट्र में विपक्ष ने केंद्रीय जांच एजेंसियों का निरंकुश इस्तेमाल शुरू किया है, महाराष्ट्र जैसे राज्य के लिए ये उचित नहीं है। एक तरफ राज्यपाल राजभवन में बैठकर अलग ही शरारत कर रहे हैं तो दूसरी तरफ केंद्र सरकार केंद्रीय जांच एजेंसियों के माध्यम से दबाव का खेल खेल रही है।

सामना में लिखा गया है कि महाराष्ट्र के संदर्भ में कानून व व्यवस्था आदि ठीक न होने का ठीकरा फोड़ा जाए और राष्ट्रपति शासन का हथौड़ा चलाया जाए, यही महाराष्ट्र के विपक्ष का अंतिम ध्येय नजर आता है और इसके लिए नए प्यादे तैयार किए जा रहे हैं। परमबीर सिंह का इस्तेमाल इसी तरह से किया जा रहा है, यह अब स्पष्ट दिखाई दे रहा है। अर्थात पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह ने जो आरोपों की धूल उड़ाई है, उसके कारण गृह विभाग की छवि निश्चित ही मलीन हुई है। यह सरकार की प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है और विपक्ष को बैठे-बैठाए मौका मिल गया है। 

परमबीर ने देशमुख पर लगाए हैं वसूली के आदेश देने का आरोप
मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को लिखे आठ पृष्ठों के लेटर में मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह ने आरोप लगाया है कि देशमुख अपने सरकारी आवास पर पुलिस अधिकारियों को बुलाते थे और उन्हें बार, रेस्तरां और अन्य स्थानों से उगाही करने का लक्ष्य देते थे। उन्होंने आरोप लगाया था कि देशमुख ने हर महीने 100 करोड़ रुपये की वसूली करने का टारगेट दिया था। हालांकि, देशमुख ने सिंह के आरोपों को निराधार बताकर खारिज कर दिया है और इसे आईपीएस अधिकारी द्वारा खुद को जांच से बचाने का प्रयास करार दिया है।

शिवसेना ने कहा कि परमबीर सिंह के निलंबन की मांग कल तक महाराष्ट्र का विपक्ष कर रहा था। आज परमबीर सिंह विरोधियों की ‘डार्लिंग’ बन गए हैं और परमबीर सिंह के कंधे पर बंदूक रखकर सरकार पर निशाना साध रहे हैं। महाविकास आघाड़ी सरकार के पास आज भी अच्छा बहुमत है। बहुमत पर हावी होने की कोशिश करोगे तो आग लगेगी, यह चेतावनी न होकर वास्तविकता है। किसी अधिकारी के कारण सरकार बनती नहीं और गिरती भी नहीं है, यह विपक्ष को भूलना नहीं चाहिए!

newsaddaindia6
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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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