नयी दिल्ली, 13 जनवरी 2025:
अमेरिका से आई उम्मीद से बेहतर रोजगार रिपोर्ट के बाद यह अनुमान जताया जा रहा है कि फेडरल रिजर्व इस साल ब्याज दरों में कम कटौती करेगा। इसके परिणामस्वरूप डॉलर की मजबूती देखी गई और सोमवार को रुपया 86 के नीचे गिरकर 86.12 के रिकॉर्ड निचले स्तर पर खुला। कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि और विदेशी निवेशकों द्वारा पूंजी की निकासी ने भी रुपये पर दबाव डाला। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) भी पिछले कुछ दिनों से रुपये की गिरावट को नियंत्रित करने में सक्षम नहीं रहा है।
सोमवार के शुरुआती कारोबार में डॉलर के मुकाबले रुपया 86.31 तक गिर गया, जो इसका नया निचला स्तर था। शुक्रवार को रुपया 85.88 पर खुलने के बाद 85.97 पर बंद हुआ, जबकि उसने 85.98 का निचला स्तर भी छुआ।
रुपये में गिरावट के प्रमुख कारणों में मजबूत डॉलर, कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें और शेयर बाजार में विदेशी निवेशकों की बिकवाली शामिल हैं।
शुक्रवार को अमेरिकी नौकरियों की रिपोर्ट आई जो बाजार की आम सहमति से अधिक थी। हेडलाइन नॉन-फार्म पेरोल (NFP) प्रिंट 160,000 की अपेक्षा 256,000 पर आया। यहां तक कि बेरोजगारी दर भी 4.2 प्रतिशत से घटकर 4.1 प्रतिशत पर आ गई।