वाराणसी, 23 मार्च 2025, रविवार। वक्फ संशोधन बिल को लेकर तीखी बहस छिड़ गई है। प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के मुफ्ती-ए-शहर मौलाना अब्दुल बातिन नोमानी ने इस बिल को सिरे से खारिज कर दिया है। उनका कहना है कि यह बिल न सिर्फ नाकाबिले-बर्दाश्त है, बल्कि इसमें खामियों का अंबार लगा हुआ है। मौलाना के मुताबिक, पुरानी व्यवस्था ही बेहतर थी और नए बिल में ऐसा कुछ भी नहीं जो स्वीकार करने लायक हो।
उन्होंने सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि यह बिल जबरदस्ती थोपा जा रहा है, जिससे वक्फ की संपत्तियों को नुकसान पहुंचेगा और यह मुस्लिम समुदाय के हाथ से निकल सकती है। मौलाना ने सरकार की मंशा पर भी सवाल उठाए और इसे गलत करार दिया। उनका साफ कहना है कि सरकार को इस बिल को तुरंत वापस लेना चाहिए, वरना इसका पुरजोर विरोध जारी रहेगा।
दिल्ली के जंतर-मंतर पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने भी इस बिल के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया, जिसमें AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी समेत सैकड़ों लोग शामिल हुए। अब वाराणसी से भी इस विरोध की आवाज बुलंद हो रही है। मौलाना नोमानी ने बिल तैयार करने वाली 31 सदस्यों की कमेटी को भी कटघरे में खड़ा किया। उनके मुताबिक, कमेटी ने ईमानदारी से काम नहीं किया और जनता के विरोध के बावजूद इसे लागू करने की सिफारिश कर दी, जो न तो जायज है और न ही दिल को सुकून देने वाला।
मौलाना ने दो टूक कहा कि इस बिल में कुछ भी अच्छा नहीं है जिसे अपनाया जा सके। यह पूरी तरह से खारिज करने लायक है। जब उनसे पूछा गया कि क्या वाराणसी में इसके खिलाफ कोई बड़ा प्रदर्शन होगा, तो उन्होंने कहा कि वह हर स्तर पर इसका विरोध करेंगे और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड व अन्य संगठनों के फैसले के साथ कदम से कदम मिलाकर चलेंगे। उनका इरादा साफ है- यह बिल किसी भी कीमत पर लागू नहीं होने दिया जाएगा।
इस बीच, सरकार इस बिल को ईद के बाद मौजूदा बजट सत्र में पेश करने की तैयारी में है, लेकिन बढ़ते विरोध के बीच यह देखना दिलचस्प होगा कि आगे क्या मोड़ आता है।