नई दिल्ली, 31 जुलाई 2025: कांग्रेस नेता राहुल गांधी का अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के ‘मृत अर्थव्यवस्था’ वाले बयान का समर्थन कर मोदी सरकार पर निशाना साधना उल्टा पड़ गया। न केवल बीजेपी ने इसे देश के खिलाफ बताया, बल्कि उनकी अपनी पार्टी के दिग्गजों और सहयोगियों ने भी इस पर कड़ा ऐतराज जताया।
राहुल ने ट्रंप के बयान को आधार बनाकर केंद्र सरकार पर हमला बोला, लेकिन कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर और राजीव शुक्ला ने भारतीय अर्थव्यवस्था की ताकत का हवाला देते हुए इसे खारिज किया। थरूर ने कहा, “भारत को वाशिंगटन की अनुचित मांगों के सामने नहीं झुकना चाहिए। हम यूरोपीय संघ, ब्रिटेन और अन्य देशों के साथ व्यापारिक रिश्ते मजबूत कर रहे हैं। हमारे पास विकल्पों की कमी नहीं।”
राज्यसभा सांसद राजीव शुक्ला ने ट्रंप के दावे को ‘भ्रम’ करार देते हुए कहा, “हमारी अर्थव्यवस्था कमजोर नहीं। कोई भी देश यह तय नहीं कर सकता कि भारत किसके साथ व्यापार करेगा।” शिवसेना (UBT) की प्रियंका चतुर्वेदी ने भी ट्रंप की आलोचना की और इसे ‘अहंकार या अज्ञानता’ बताया। उन्होंने एक्स पर लिखा, “आंकड़े साफ हैं- भारत दुनिया की शीर्ष पांच अर्थव्यवस्थाओं में है। ‘मृत अर्थव्यवस्था’ कहना हास्यास्पद है।”
बीजेपी का पलटवार, विपक्ष पर ‘पाकिस्तान प्रेम’ का आरोप
बीजेपी ने राहुल पर देश की छवि खराब करने का आरोप लगाया। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा, “ट्रंप ने टैरिफ बढ़ाए, लेकिन मोदी जी देशहित में फैसले लेंगे। विपक्ष को जवानों और देश के साथ खड़ा होना चाहिए, न कि पाकिस्तान की भाषा बोलनी चाहिए।” बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने आंकड़ों के साथ राहुल पर निशाना साधा, “मनमोहन सरकार में GDP 3.1% से 5.5% थी, जबकि मोदी सरकार में यह 8% से 9.1% तक पहुंची।”
क्या है विवाद?
राहुल के बयान ने न केवल सियासी तूफान खड़ा किया, बल्कि कांग्रेस के भीतर मतभेद भी उजागर कर दिए। जहां राहुल ने ट्रंप के बयान को हथियार बनाया, वहीं उनकी पार्टी के नेता और सहयोगी भारत की आर्थिक प्रगति का हवाला देकर ट्रंप के दावे को खारिज कर रहे हैं। यह विवाद ऐसे समय में सामने आया है, जब भारत वैश्विक मंच पर अपनी आर्थिक ताकत को और मजबूत करने की कोशिश में जुटा है।
सवाल यह है कि क्या राहुल का यह बयान उनकी रणनीति को और कमजोर करेगा, या बीजेपी इसे और भुनाएगी? फिलहाल, सियासी गलियारों में यह चर्चा जोरों पर है।