मथुरा, 26 जून 2025: वृंदावन के विश्व प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर में कॉरिडोर निर्माण का फैसला भले ही अंतिम चरण में पहुंच चुका हो, लेकिन गोस्वामी परिवार का विरोध थमने का नाम नहीं ले रहा। मंदिर के बाहर गोस्वामी परिवार की महिलाएं रोजाना धरने पर बैठ रही हैं, तो पुरुष सरकारी अधिकारियों से मुलाकात कर कॉरिडोर के फैसले को पलटने की गुहार लगा रहे हैं। इतना ही नहीं, परिवार की महिलाओं ने मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री को खून से पत्र लिखकर अपनी नाराजगी जाहिर की है।
क्यों हो रहा विरोध?
सरकार का दावा है कि बांके बिहारी कॉरिडोर से मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी। इससे न केवल दर्शन सुगम होंगे, बल्कि वृंदावन में तीर्थयात्रियों की संख्या भी बढ़ेगी। कॉरिडोर के लिए जिन गोस्वामी परिवार के लोगों का विस्थापन होगा, उन्हें मुआवजा, फ्लैट और कॉरिडोर में दुकानें देने का वादा किया गया है। लेकिन इसके बावजूद परिवार का विरोध कम होने के बजाय और उग्र हो रहा है।
गोस्वामी परिवार का कहना है कि कॉरिडोर बनने से मंदिर पर उनका पुश्तैनी अधिकार खत्म हो जाएगा। वे मंदिर को अपनी निजी संपत्ति मानते हैं और डरते हैं कि कॉरिडोर के बाद मंदिर का प्रबंधन पूरी तरह सरकारी नियंत्रण में चला जाएगा। परिवार के एक सदस्य ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “यह मंदिर हमारी विरासत है। कॉरिडोर के नाम पर हमारी जमीन और अधिकार छीने जा रहे हैं। मुआवजा कितना भी हो, हमारी आस्था का सवाल है।”
श्रद्धालुओं की बढ़ती भीड़, सरकार की मजबूरी
वृंदावन में हर साल लाखों श्रद्धालु बांके बिहारी के दर्शन के लिए आते हैं। खासकर त्योहारों के मौके पर मंदिर में पैर रखने की जगह नहीं बचती। पिछले कुछ सालों में कई बार भगदड़ की स्थिति बनी, जिसमें श्रद्धालुओं को चोटें भी आईं। सरकार का तर्क है कि कॉरिडोर से मंदिर परिसर व्यवस्थित होगा और श्रद्धालुओं को सुरक्षित दर्शन का मौका मिलेगा।
क्या है कॉरिडोर योजना?
बांके बिहारी कॉरिडोर परियोजना के तहत मंदिर के आसपास की तंग गलियों को चौड़ा किया जाएगा। मंदिर परिसर को और विस्तृत करने के लिए आसपास की जमीनों का अधिग्रहण होगा। इसके बदले प्रभावित परिवारों को मुआवजा, फ्लैट और दुकानों का प्रावधान है। लेकिन गोस्वामी परिवार का कहना है कि यह योजना उनकी सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान पर चोट है।
आगे क्या?
गोस्वामी परिवार और सरकार के बीच तनातनी बढ़ती जा रही है। परिवार ने साफ कर दिया है कि वे कॉरिडोर के खिलाफ अपनी लड़ाई को और तेज करेंगे। दूसरी ओर, सरकार इस परियोजना को जल्द से जल्द पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध दिख रही है। क्या गोस्वामी परिवार का विरोध कॉरिडोर के निर्माण को रोक पाएगा, या सरकार अपनी योजना पर अमल कर पाएगी? यह सवाल वृंदावन की गलियों में गूंज रहा है।
क्या कहते हैं स्थानीय लोग?
वृंदावन के कुछ स्थानीय लोगों का मानना है कि कॉरिडोर से शहर का विकास होगा, लेकिन गोस्वामी परिवार की भावनाओं को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। एक स्थानीय दुकानदार ने कहा, “बांके बिहारी हमारी आस्था का केंद्र हैं। कॉरिडोर बने, लेकिन गोस्वामी परिवार को भी विश्वास में लिया जाना चाहिए।”
फिलहाल, यह मामला धार्मिक, सामाजिक और प्रशासनिक दृष्टिकोण से उलझता जा रहा है। आने वाले दिन इस विवाद के भविष्य को तय करेंगे।