लोकसभा में हंगामा: प्रणीति शिंदे के भाषण से भड़के PM मोदी, फिर भी दी माफी

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नई दिल्ली, 30 जुलाई 2025: लोकसभा में हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर को लेकर तीखी बहस छिड़ी, जिसमें कांग्रेस की युवा सांसद प्रणीति शिंदे के एक बयान ने सियासी तूफान खड़ा कर दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मुद्दे पर कांग्रेस को आड़े हाथों लिया, लेकिन प्रणीति की युवावस्था को देखते हुए उन्हें माफ करने की बात कही। आखिर क्या था वह बयान, जिसने पीएम को नाराज कर दिया और फिर भी उन्होंने माफी का रास्ता चुना?

प्रणीति का बयान, जिसने मचाया बवाल

महाराष्ट्र के सोलापुर से कांग्रेस सांसद प्रणीति शिंदे ने लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के दौरान केंद्र सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, “ऑपरेशन सिंदूर कुछ और नहीं, बल्कि सरकार का मीडिया में तमाशा था। हमें कोई नहीं बता रहा कि इस ऑपरेशन में क्या हासिल हुआ? कितने आतंकवादी पकड़े गए? हमने कितने लड़ाकू विमान खोए? किसकी गलती थी और कौन जिम्मेदार है, इसका जवाब सरकार को देना चाहिए।”

प्रणीति के इस बयान ने सदन में हंगामा मचा दिया। ऑपरेशन सिंदूर को “तमाशा” कहना प्रधानमंत्री को नागवार गुजरा। उन्होंने तुरंत जवाब देते हुए कहा, “कांग्रेस की एक युवा सांसद को मैं क्षमा करता हूं, क्योंकि वह नई हैं। लेकिन कांग्रेस के आका, जिनमें खुद बोलने की हिम्मत नहीं है, वे अपनी सांसदों से ऐसी बातें लिखवाकर बुलवाते हैं। यह पहलगाम हमले पर तेजाब छिड़कने जैसा पाप है।” पीएम ने कांग्रेस नेतृत्व पर तंज कसते हुए कहा कि उनकी असहमति हो सकती है, लेकिन सैन्य कार्रवाई को तमाशा कहना देश के सम्मान के खिलाफ है।

कौन हैं प्रणीति शिंदे?

प्रणीति शिंदे, जिन्होंने इस बहस में सबका ध्यान खींचा, महाराष्ट्र के सोलापुर से पहली बार सांसद बनी हैं। वह पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे की बेटी हैं। 9 दिसंबर 1980 को जन्मीं प्रणीति ने मुंबई के प्रतिष्ठित बॉम्बे स्कॉटिश स्कूल और सेंट जेवियर कॉलेज से पढ़ाई पूरी की। इसके अलावा, उनके पास कानून की डिग्री भी है। सांसद बनने से पहले वह सोलापुर सेंट्रल से विधायक रह चुकी हैं और वर्तमान में महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस कमेटी की कार्यकारी अध्यक्ष हैं। 2024 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने जीत हासिल कर अपनी राजनीतिक पहचान को और मजबूत किया।

पीएम का कांग्रेस पर तीखा प्रहार

ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के दौरान पीएम मोदी ने कांग्रेस पर जमकर हमला बोला। उन्होंने विपक्ष के कूटनीतिक नाकामी के दावों का जवाब देते हुए 26/11 मुंबई हमले का जिक्र किया। पीएम ने कहा, “कांग्रेस हमें डिप्लोमेसी का पाठ पढ़ा रही है, लेकिन 2008 में मुंबई हमले के बाद उनकी सरकार ने क्या किया? विदेशी दबाव में आकर कुछ ही हफ्तों में पाकिस्तान से बातचीत शुरू कर दी। एक भी पाकिस्तानी राजनयिक को बाहर नहीं किया, एक वीजा तक रद्द नहीं हुआ।”

उन्होंने कांग्रेस की तुष्टीकरण की नीति और वोट बैंक की राजनीति को आतंकवाद के खिलाफ कमजोर रवैये का कारण ठहराया। पीएम ने कहा, “हमारी सरकार ने आतंकवाद पर नकेल कसी, लेकिन कांग्रेस की सरकारों की ऐसी क्या मजबूरी थी कि उन्होंने आतंकवाद को फलने-फूलने दिया?”

एक भाषण, कई सवाल

प्रणीति शिंदे का यह बयान न केवल लोकसभा में चर्चा का विषय बना, बल्कि यह सवाल भी उठा कि क्या युवा नेताओं को अपनी बात रखने की आजादी है या वे पार्टी के दबाव में बोलते हैं? पीएम मोदी ने प्रणीति को माफ कर एक तरफ उदारता दिखाई, लेकिन दूसरी ओर कांग्रेस नेतृत्व पर उनके तीखे हमले ने सियासी माहौल को गर्म कर दिया। यह घटना न केवल प्रणीति शिंदे को सुर्खियों में लाई, बल्कि ऑपरेशन सिंदूर जैसे संवेदनशील मुद्दों पर राजनीतिक बहस की गंभीरता को भी उजागर करती है।

क्या प्रणीति का बयान कांग्रेस की रणनीति का हिस्सा था या उनकी अपनी सोच? यह सवाल अभी भी चर्चा का विषय बना हुआ है। लेकिन इतना तय है कि इस युवा सांसद ने अपनी बात बेबाकी से रखकर सियासत में अपनी मौजूदगी का एहसास करा दिया।

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