वाराणसी, 16 मई 2025, शुक्रवार। वाराणसी, जिसे संस्कृति और आध्यात्म का केंद्र माना जाता है, वहां एक सामूहिक विवाह समारोह की खुशियां उस वक्त फीकी पड़ गईं, जब खाने की कमी ने हंगामा खड़ा कर दिया। हरहुआ (पिंडरा) क्षेत्र में आयोजित मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह समारोह में 193 जोड़ों ने सात फेरे लिए, लेकिन समारोह का अंत दुखद रहा। करीब 100 से ज्यादा दूल्हा-दुल्हन और उनके परिजनों को बिना खाना खाए, सिर्फ खाली पत्तल थामे लौटना पड़ा। किसी को सिर्फ सब्जी मिली, किसी को पूड़ी, और कईयों को तो कुछ भी नसीब नहीं हुआ।

खुशी का माहौल बना हंगामे का मैदान
काशी कृषक इंटर कॉलेज में गुरुवार को आयोजित इस समारोह में 193 जोड़ों ने नई जिंदगी की शुरुआत की, जिनमें 4 मुस्लिम जोड़े भी शामिल थे। राज्य मंत्री रविंद्र जायसवाल और अजगरा विधायक त्रिभुवन राम समेत कई जनप्रतिनिधि मौजूद थे। शादी की रस्में पूरी होने के बाद जैसे ही खाना परोसना शुरू हुआ, भीड़ बेकाबू हो गई। देखते ही देखते खाना खत्म हो गया। बर्तन खाली देखकर वेटर और कर्मचारी काउंटर छोड़कर भाग खड़े हुए। नाराज परिजनों और बारातियों ने मंत्री-विधायकों के सामने ही हंगामा शुरू कर दिया।
एक वायरल वीडियो में हालात की भयावहता साफ दिखती है। एक शख्स गुस्से में कहता है, “पूड़ी दो, पूड़ी… कुछ नहीं मिल रहा!” जवाब में कर्मचारी पलटकर कहता है, “हम क्या करें, जाकर अफसरों से कहो!” एक अन्य व्यक्ति ने बताया, “बेटे, बहू और समधी को भी खाना नहीं मिला। सिर्फ पत्तल हाथ में है। सारी व्यवस्था धरी की धरी रह गई।”

कूपन थे, खाना नहीं
मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना के तहत हर जोड़े के लिए वर-वधू पक्ष से 10-10 लोगों के खाने की व्यवस्था होती है। इसके लिए कूपन भी जारी किए जाते हैं। 193 जोड़ों के हिसाब से लगभग 3,860 लोगों के लिए खाना तैयार किया गया था। फिर भी खाना कम क्यों पड़ा? इस सवाल पर बीडीओ बद्री प्रसाद वर्मा ने कहा, “अचानक भीड़ बढ़ने से अफरा-तफरी मच गई। वेटरों और लोगों के बीच बहस हुई, जिसके बाद वेटर भाग गए।” उन्होंने मामले की जांच का भरोसा दिलाया है।
सियासी तंज और आरोप-प्रत्यारोप
इस घटना ने सियासी रंग भी ले लिया। सपा नेता अखिलेश यादव ने भाजपा सरकार पर तंज कसते हुए X पर लिखा, “भाजपाइयों का पेट सुरसा के मुंह जैसा है। ‘कोरोना दान’ खा गए, अब ‘कन्या दान’ का भी? शर्मनाक!” उन्होंने सरकार की जिम्मेदारी पर सवाल उठाए।
वहीं, खाना कम पड़ने के कारणों पर डीएम और विधायक के बयान अलग-अलग हैं। डीएम सत्येंद्र कुमार ने कहा कि बाहरी लोगों के आने से भीड़ बढ़ गई, जिससे अव्यवस्था हुई। दूसरी ओर, विधायक त्रिभुवन राम ने ठेकेदार की लापरवाही को जिम्मेदार ठहराया और कहा, “ठेकेदार ने कम खाना बनाया। मैं इसकी शिकायत शासन से करूंगा।” डीएम ने ठेकेदार और अफसरों की भूमिका की जांच के आदेश दिए हैं।

51 हजार की सहायता, मगर खाने को तरसे
मंत्री रविंद्र जायसवाल ने बताया कि यह योजना आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों की बेटियों की शादी में मदद के लिए शुरू की गई है। हर जोड़े को 51 हजार रुपये की सहायता दी जाती है। लेकिन इस बार खाने की कमी ने सरकार की इस नेक पहल पर सवाल खड़े कर दिए।
आगे क्या?
यह घटना न सिर्फ प्रशासनिक लापरवाही को उजागर करती है, बल्कि सामाजिक स्तर पर भी शर्मिंदगी का सबब बनी है। नवविवाहित जोड़ों और उनके परिजनों के लिए यह दिन खुशियों की बजाय निराशा लेकर आया। अब सवाल यह है कि जांच के बाद जिम्मेदारों पर कार्रवाई होगी या यह मामला भी फाइलों में दबकर रह जाएगा? काशी जैसे पवित्र शहर में ऐसी घटनाएं न सिर्फ व्यवस्था पर सवाल उठाती हैं, बल्कि लोगों के भरोसे को भी ठेस पहुंचाती हैं।
जांच का इंतजार है, लेकिन सच्चाई यह है कि उस दिन कई दूल्हा-दुल्हन अपने सबसे खास दिन पर भूखे ही लौटे।