नई दिल्ली, 21 मार्च 2025, शुक्रवार। आज, 21 मार्च 2025 को बेंगलुरु की धरती पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की एक ऐतिहासिक बैठक शुरू होने जा रही है। अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा के इस तीन दिवसीय सम्मेलन का उद्घाटन संघ प्रमुख मोहन भागवत करेंगे। अगले तीन दिनों तक चलने वाली इस बैठक में देश और दुनिया के कई ज्वलंत मुद्दों पर गहन मंथन होगा, साथ ही संघ के 100 साल के गौरवशाली सफर को भी रेखांकित किया जाएगा। यह बैठक न सिर्फ संगठन के लिए, बल्कि देश की दिशा और दशा के लिए भी महत्वपूर्ण साबित होने वाली है।
दिग्गजों का जमावड़ा
इस बैठक में संघ के बड़े चेहरे शामिल होंगे। संघ के सर कार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, संगठन महासचिव बीएल संतोष सहित बीजेपी के कई प्रमुख नेता मौजूद रहेंगे। इसके अलावा, संघ से जुड़े 32 संगठनों के प्रतिनिधि भी इस मंथन में हिस्सा लेंगे। यह एक ऐसा मंच होगा, जहां विचारों का आदान-प्रदान और नीतियों का निर्धारण भविष्य के लिए एक मजबूत आधार तैयार करेगा।
बांग्लादेश से लेकर एनआरसी तक: चर्चा के केंद्र में बड़े मुद्दे
बैठक का एक प्रमुख एजेंडा बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों पर चर्चा करना है। हाल के दिनों में वहां हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा की खबरें चिंता का विषय बनी हुई हैं। आरएसएस इस मुद्दे पर अपनी आवाज बुलंद करने और ठोस कदमों की रूपरेखा तैयार करने की योजना बना रहा है। इसके साथ ही, राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) को लागू करने, अवैध प्रवासन और जनसंख्या असंतुलन जैसे संवेदनशील मुद्दों पर भी गहन विमर्श होगा। ये विषय न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े हैं, बल्कि सामाजिक समरसता और देश के भविष्य को भी प्रभावित करते हैं।
100 साल का स्वर्णिम सफर
इस साल आरएसएस अपने स्थापना के 100 साल पूरे कर रहा है। इस ऐतिहासिक पड़ाव पर प्रतिनिधि सभा में एक विशेष प्रस्ताव लाया जाएगा, जो संघ के एक सदी लंबे कार्यों, योगदान और उसकी दूरदर्शी सोच को सामने रखेगा। यह प्रस्ताव न सिर्फ अतीत की उपलब्धियों का उत्सव होगा, बल्कि आने वाले समय के लिए एक नई दृष्टि भी पेश करेगा। यह क्षण संघ के स्वयंसेवकों और समर्थकों के लिए गर्व का अवसर होगा, जब वे अपने संगठन के सामाजिक, सांस्कृतिक और राष्ट्रीय योगदान को याद करेंगे।
क्यों खास है यह बैठक?
अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा आरएसएस का सर्वोच्च निर्णयकारी मंच है। हर साल होने वाली यह बैठक संगठन के लिए नीतिगत दिशा तय करती है और राष्ट्रीय मुद्दों पर उसकी सोच को स्पष्ट करती है। बेंगलुरु में होने वाली इस बैठक का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है, क्योंकि यह संघ के शताब्दी वर्ष के साथ जुड़ी है। इसके अलावा, बीजेपी जैसे राजनीतिक संगठन और अन्य सहयोगी संगठनों की मौजूदगी इसे एक व्यापक मंच बनाती है, जहां विचारधारा और रणनीति का संगम होगा।
एक नई शुरुआत की ओर
तीन दिनों तक चलने वाली यह बैठक न केवल चर्चा का मंच होगी, बल्कि एक नई शुरुआत की नींव भी रखेगी। बांग्लादेश में हिंदुओं की सुरक्षा हो, एनआरसी का सवाल हो, या फिर जनसंख्या असंतुलन का मुद्दा- ये सभी विषय देश के सामने मौजूद चुनौतियों को दर्शाते हैं। आरएसएस इस बैठक के जरिए इन मुद्दों पर अपनी स्थिति स्पष्ट करेगा और समाज में जागरूकता फैलाने के लिए ठोस कदमों की घोषणा कर सकता है।
बेंगलुरु की यह बैठक एक संदेश है- एकता, शक्ति और संकल्प का संदेश। यह न सिर्फ संघ के स्वयंसेवकों के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए एक प्रेरणा बन सकती है। अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि अगले तीन दिन क्या नया इतिहास रचेंगे।