वाराणसी, 5 अप्रैल 2025, शनिवार। क्या आपने कभी सोचा है कि “संघ” शब्द के पीछे की गहराई क्या है? हाल ही में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने IIT-BHU के छात्रों के साथ एक ऐसी मुलाकात की, जिसने इस सवाल का जवाब तलाशने की कोशिश की। नीले कुर्ते में सादगी से कैंपस पहुंचे मोहन भागवत ने न सिर्फ छात्रों से संवाद किया, बल्कि उन्हें संघ की मूल विचारधारा से जोड़ने का प्रयास भी किया। इस दौरान कैंपस में सुरक्षा के कड़े इंतजाम थे, और मीडिया को 200 मीटर दूर ही रोक दिया गया, ताकि यह मुलाकात शांतिपूर्ण और सार्थक हो सके।

छात्रों के बीच संघ का परिचय
IIT-BHU के एनसीसी ग्राउंड में आयोजित शाखा में 100 से अधिक छात्रों ने योग किया, मंत्रोच्चारण हुआ और खेलकूद की गतिविधियां भी चलीं। मोहन भागवत पहले दूर से छात्रों की गतिविधियों को निहारते रहे, फिर उनके करीब जाकर उनसे सवाल पूछा- “आप संघ को कितना जानते हैं?” छात्र एक-एक कर खड़े हुए और अपने विचार रखे। किसी ने कहा, “संघ का मतलब हिंदुत्व को बढ़ावा देना है,” तो किसी ने इसे सनातन धर्म की रक्षा और युवा शक्ति को सही दिशा दिखाने वाला संगठन बताया। जवाब सुनकर भागवत मुस्कुराए और बोले, “संघ का उद्देश्य हिंदू धर्म को मजबूत करना, भारतीय संस्कृति और सभ्यता के मूल्यों को संजोना और हिंदुत्व की विचारधारा को फैलाना है।”
1 घंटा आत्म-विकास, 23 घंटे समाज के लिए
संघ प्रमुख ने छात्रों को जीवन का एक सूत्र दिया- “1 घंटा अपने आत्म-विकास के लिए और बाकी 23 घंटे समाज के कल्याण के लिए लगाएं।” उन्होंने कहा कि स्वयंसेवक निस्वार्थ भाव से सेवा करते हैं और यही संघ का दर्शन है। देश ने लंबे समय से संघ के कार्यकर्ताओं के प्रयासों को देखा है, जो बिना कुछ मांगे समाज के लिए समर्पित रहते हैं। भागवत ने यह भी जोड़ा कि हिंदुओं को आपसी सम्मान और सहयोग के साथ मंदिर, श्मशान और पानी जैसे संसाधनों को साझा करना चाहिए। उनका मानना है कि जातीय समूहों के बीच सांप्रदायिक सद्भाव और रिश्तों में मधुरता ही देश को सकारात्मक दिशा दे सकती है।

युवाओं को जोड़ने की रणनीति
IIT-BHU के गेस्ट हाउस में टोली प्रमुखों से बातचीत के दौरान भागवत ने कहा, “हमें अपने आचरण को ऐसा बनाना है कि लोग खुद हमसे जुड़ना चाहें।” उन्होंने युवाओं को संघ से जोड़ने पर जोर दिया और टोलियों को मजबूत करने की बात कही। इस मौके पर BHU और IIT के प्रोफेसरों व डायरेक्टरों ने भी उनसे मुलाकात की और आगे की रणनीति पर चर्चा हुई।
ट्रेनिंग में बदलाव
संघ ने अपने प्रशिक्षण ढांचे में भी नया प्रयोग किया है। पहले साल भर चलने वाला प्रशिक्षण वर्ग अब 15 दिनों का होगा, जिसे “संघ शिक्षा वर्ग” की जगह “कार्यकर्ता विकास वर्ग” नाम दिया गया है। यह बदलाव खास तौर पर उन स्वयंसेवकों के लिए है, जो चिकित्सा, इंजीनियरिंग या व्यवसायिक कोर्स में व्यस्त हैं और समय की कमी से जूझते हैं।
मोहन भागवत का काशी शेड्यूल
5 अप्रैल को मोहन भागवत श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन-पूजन करेंगे और काशी के प्रबुद्धजनों से मिलेंगे। 6 अप्रैल को मलदहिया लाजपत नगर की शाखा में शामिल होंगे, फिर शहर के गणमान्य लोगों और प्रांत टोली से बैठक करेंगे। 7 अप्रैल को लखनऊ रवाना होने से पहले काशी के अनुभवी कार्यकर्ताओं का मार्गदर्शन करेंगे।
संघ के 6 सूत्री लक्ष्य
संघ अपनी शताब्दी वर्ष की तैयारियों में जुटा है। विजयादशमी 2025 से शुरूआत होगी, जिसमें स्वयंसेवक गणवेश में मंडल और नगर स्तर पर कार्यक्रम करेंगे। नवंबर 2025 से जनवरी 2026 तक घर-घर संपर्क अभियान, हिंदू सम्मेलन, सामाजिक सद्भाव बैठकें, प्रबुद्धजन संवाद और युवाओं के लिए विशेष कार्यक्रम आयोजित होंगे।
एक प्रेरणादायक मुलाकात
IIT-BHU में मोहन भागवत की यह यात्रा सिर्फ एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि युवा मन को भारतीय संस्कृति और सेवा भाव से जोड़ने का एक प्रयास थी। “जय बजरंगी” और “भारत माता की जय” के नारों के बीच छात्रों ने न सिर्फ संघ को समझा, बल्कि इसके दर्शन को अपने जीवन में उतारने का संकल्प भी लिया। यह मुलाकात नई पीढ़ी और पुरानी परंपराओं के बीच एक सेतु बनकर उभरी।