आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा कि हम अपने देश से केवल प्रेम ही नहीं करते, बल्कि उसकी भक्ति करते हैं। यहां की नदियों का पानी पीते हैं। यहीं का अनाज खाते हैं। यहीं की हवा में सांस लेते हैं। यहां की परंपरा से लगाव रखते हैं।
जीवन कैसा होना चाहिए, ये हम भाषण, ग्रंथों में सुन और पढ़ सकते हैं। लेकिन, करने की हिम्मत तभी होती है, जब कोई अपने जैसा करके दिखाए। ये हमारे वीर जवानों ने करके दिखाया है, जो हमारे ही गांवों से गए हैं। इसलिए वे हमारे लिए मिसाल बन जाते हैं। हम अपने बच्चों को उनकी कहानियां बताते हैं।
उन्होंने कहा कि तमिलनाडु के कुछ लोग बोलते हैं कि हम भारत से अलग हैं। उत्तर के लोग अलग हैं। हिंदी हमको नहीं चाहिए। हम तमिल हैं। हमारा एक अलग राज्य है। लेकिन 1962 में चीन का भारत पर आक्रमण हुआ। उस समय चेन्नई मलिना ब्रिज के पास सेना की विशाल सभा हुई।
इस सभा में तत्कालीन मुख्यमंत्री ने कहा था कि यह हिमालय नहीं, तमिलनाडु पर हमला है क्योंकि वह अवसर ऐसा था कि जिसकी हम सब भक्ति करते हैं। भारत माता के सम्मान की बात थी तो जो अंदर का सच है, वह बाहर आ गया। हम सबका खान-पान अलग हो सकता है, लेकिन डीएनए एक है।