वाराणसी, 11 मई 2025, रविवार। देश की सुरक्षा के लिए एक गंभीर चुनौती बन चुके रोहिंग्या और बांग्लादेशी घुसपैठियों के खिलाफ वाराणसी पुलिस ने कमर कस ली है। तीन दशकों से पश्चिम बंगाल सरकार को संदिग्धों की जांच के लिए पत्र भेजने के बावजूद कोई जवाब न मिलने पर अब वाराणसी पुलिस और इंटेलीजेंस की संयुक्त टीम खुद पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले का दौरा करेगी। इस अभियान का मकसद है उन 250 से अधिक संदिग्धों की पहचान करना, जिनके पास बीरभूम से जारी आधार कार्ड हैं और जिन पर रोहिंग्या या बांग्लादेशी होने का शक है।
बीरभूम: सांस्कृतिक गौरव से घुसपैठ का गढ़ तक
कभी रवींद्रनाथ टैगोर और अमर्त्य सेन जैसे महान हस्तियों का गौरव रहा बीरभूम आज बांग्लादेशी घुसपैठ का पर्याय बन चुका है। पश्चिम बंगाल के बीरभूम, मुर्शिदाबाद, मालदा और परगना जैसे सीमावर्ती इलाके घुसपैठ का प्रमुख रास्ता हैं। पद्मा नदी के रास्ते घुसपैठिए मुर्शिदाबाद होते हुए बीरभूम पहुंचते हैं, जहां स्थानीय मदद से फर्जी दस्तावेज तैयार कर देश के कोने-कोने में फैल जाते हैं। ये लोग ज्यादातर मजदूर वर्ग से ताल्लुक रखते हैं, लेकिन इनकी मौजूदगी देश की सुरक्षा के लिए खतरा बन रही है।
आधार कार्ड स्कैम: वोटबैंक की साजिश
खुफिया एजेंसियों ने एक बड़े स्कैम का खुलासा किया है, जिसमें आधार कार्ड घुसपैठियों के लिए ‘पासपोर्ट’ बन गया है। पश्चिम बंगाल के सीमावर्ती इलाकों में घुसपैठियों को पहले ठहराया जाता है। उनकी भाषा को स्थानीय बंगाली जैसा बनाने की ट्रेनिंग दी जाती है। फिर स्थानीय पार्षदों की मदद से फर्जी पते पर आधार कार्ड और वोटर आईडी बनवाए जाते हैं। आधार कार्ड घुसपैठियों को थमा दिया जाता है, जबकि वोटर आईडी को वोटबैंक के लिए सुरक्षित रखा जाता है। इनके मोबाइल नंबरों की सूची बनाकर इन्हें देश के विभिन्न हिस्सों में भेज दिया जाता है। चुनाव के समय इन्हें फोन कर बुलाया जाता है, और वोटिंग के बाद ये फिर गायब हो जाते हैं।
वाराणसी पुलिस की मुहिम
पिछले कुछ समय में वाराणसी पुलिस ने 250 से अधिक संदिग्धों की सूची तैयार की है, जिनके दस्तावेजों पर बीरभूम का ठप्पा है। पुलिस कमिश्नर मोहित अग्रवाल ने बताया, अब पुलिस और इंटेलीजेंस की टीमें इनके वेरिफिकेशन के लिए बीरभूम जाएंगी। बीते तीन दशकों में 10 हजार से अधिक संदिग्धों के बारे में पश्चिम बंगाल को पत्र लिखे गए, लेकिन जवाब की कमी ने पुलिस को यह कदम उठाने के लिए मजबूर किया।
सुरक्षा के लिए जरूरी कदम
घुसपैठ का यह खेल न केवल वाराणसी, बल्कि पूरे देश की सुरक्षा के लिए खतरा है। फर्जी दस्तावेजों के जरिए घुसपैठिए न केवल देश में प्रवेश कर रहे हैं, बल्कि वोटबैंक की राजनीति का हिस्सा बनकर लोकतंत्र को भी प्रभावित कर रहे हैं। वाराणसी पुलिस की यह पहल न सिर्फ घुसपैठ पर लगाम लगाने की दिशा में एक बड़ा कदम है, बल्कि यह भी सवाल उठाती है कि आखिर पश्चिम बंगाल सरकार इस मुद्दे पर चुप्पी क्यों साधे हुए है?
यह समय है कि देश की आंतरिक सुरक्षा को मजबूत करने के लिए ऐसी कार्रवाइयों को और तेज किया जाए, ताकि घुसपैठ का यह खतरनाक खेल रोका जा सके।