उल्हासनगर, 23 जुलाई 2025: महाराष्ट्र के उल्हासनगर में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जहां दो बहनों से छेड़छाड़ के आरोप में जेल गए रोहित झा नामक युवक का जेल से जमानत पर रिहा होने के बाद भव्य स्वागत किया गया। स्थानीय लोगों के अनुसार, रोहित झा ने जेल से निकलते ही पीड़िताओं के घर के सामने जुलूस निकाला, जिसमें ढोल-नगाड़े बजाए गए और पटाखे फोड़े गए। इस घटना ने स्थानीय समुदाय में गहरे आक्रोश को जन्म दिया है।
सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो में पीली शर्ट पहने रोहित झा को भीड़ के साथ जुलूस निकालते देखा गया। वीडियो में लोग उसे फूल-मालाओं से सम्मानित करते नजर आए, मानो वह कोई बड़ा पुरस्कार जीतकर लौटा हो। कई स्थानीय निवासियों और सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं ने इस घटना की तुलना स्वतंत्रता संग्राम के नायकों के स्वागत से की, जिसे उन्होंने ‘न्याय व्यवस्था पर सवाल’ करार दिया।
पृष्ठभूमि और मामला
पुलिस सूत्रों के अनुसार, रोहित झा पर दो बहनों के साथ छेड़छाड़ का आरोप था, जिसके चलते उसे गिरफ्तार किया गया था। मामला उल्हासनगर के एक स्थानीय थाने में दर्ज हुआ था। हालांकि, हाल ही में उसे अदालत से जमानत मिली, जिसके बाद यह विवादास्पद जुलूस निकाला गया। पीड़िताओं के परिजनों ने आरोप लगाया कि जुलूस का मकसद पीड़िताओं को डराना और अपमानित करना था।
स्थानीय लोगों और नेताओं की प्रतिक्रिया
इस घटना ने स्थानीय समुदाय में व्यापक रोष पैदा किया है। एक स्थानीय निवासी ने कहा, “यह शर्मनाक है कि एक आरोपी का इस तरह स्वागत किया जा रहा है। इससे पीड़िताओं के मनोबल पर क्या असर पड़ेगा?” विपक्षी नेताओं ने भी इस घटना की निंदा की है और इसे महाराष्ट्र में कानून-व्यवस्था की स्थिति पर सवाल उठाने वाला बताया है।
पुलिस का बयान
उल्हासनगर पुलिस ने इस मामले पर जांच शुरू करने की बात कही है। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया, “हमें इस जुलूस की जानकारी मिली है। हम यह जांच कर रहे हैं कि क्या यह पीड़िताओं को धमकाने या कानून-व्यवस्था को प्रभावित करने की मंशा से किया गया। यदि आवश्यक हुआ, तो उचित कार्रवाई की जाएगी।”
सोशल मीडिया पर आक्रोश
सोशल मीडिया पर इस घटना को लेकर तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। कई यूजर्स ने इसे ‘न्याय व्यवस्था की विफलता’ करार दिया और मांग की कि पीड़िताओं को सुरक्षा और न्याय सुनिश्चित किया जाए। एक यूजर ने लिखा, “यह कैसा समाज है, जहां अपराधी का जुलूस निकलता है और पीड़िताएं डर में जीती हैं?”
आगे की कार्रवाई
कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह की घटनाएं न केवल पीड़िताओं के लिए मानसिक आघात का कारण बनती हैं, बल्कि समाज में गलत संदेश भी देती हैं। कुछ संगठनों ने मांग की है कि रोहित झा की जमानत रद्द की जाए और इस जुलूस में शामिल लोगों के खिलाफ भी कार्रवाई हो।
यह घटना एक बार फिर महिलाओं की सुरक्षा और न्याय व्यवस्था की प्रभावशीलता पर सवाल उठाती है। उल्हासनगर पुलिस ने आश्वासन दिया है कि मामले की गहन जांच की जाएगी और दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई होगी।