नई दिल्ली, 24 मार्च 2025, सोमवार। उत्तर प्रदेश में हाल के दिनों में अपराध का ग्राफ जिस तेजी से ऊपर चढ़ रहा है, वह न केवल चिंताजनक है, बल्कि राज्य की कानून-व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर रहा है। रेप, हत्या और अपहरण जैसी जघन्य घटनाओं की बढ़ती संख्या ने समाजवादी पार्टी (सपा) को सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर कर दिया है। आज, 24 मार्च 2025 को, सपा सांसदों ने लोकसभा के बाहर जोरदार प्रदर्शन किया, जिसमें उन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार के खिलाफ नारेबाजी की और इस्तीफे की मांग उठाई। “सरकार निकम्मी है” और “बेटियों को न्याय दो” जैसे नारों से संसद परिसर गूंज उठा, जिसने राज्य में बिगड़ती स्थिति को राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बना दिया।
अपराध का बेलगाम साया
उत्तर प्रदेश, जो कभी अपनी समृद्ध संस्कृति और इतिहास के लिए जाना जाता था, आज अपराधियों के बेलगाम होने की वजह से सुर्खियों में है। महिलाओं के खिलाफ अपराध, खासकर रेप की घटनाएं, दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही हैं। आए दिन समाचारों में बलात्कार, हत्या और अपहरण की खबरें सुनाई देती हैं, जो यह संकेत देती हैं कि अपराधियों में कानून का कोई खौफ नहीं बचा। अखिलेश यादव का कहना है कि यह स्थिति योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली सरकार की नाकामी का जीता-जागता सबूत है। प्रदर्शन के दौरान सपा सांसदों ने आरोप लगाया कि सरकार अपराध रोकने में पूरी तरह विफल रही है और राज्य में जंगलराज की स्थिति बन गई है।

सपा का आक्रामक रुख
लोकसभा के बाहर सपा सांसदों का प्रदर्शन केवल एक राजनीतिक कदम नहीं, बल्कि जनता की नाराजगी का भी प्रतीक बन गया है। हाथों में तख्तियां और मुंह से गूंजते नारे लिए सपा नेताओं ने सरकार को कठघरे में खड़ा किया। “बेटियों को न्याय दो” का नारा जहां पीड़ित परिवारों की पुकार को बयां कर रहा था, वहीं “निकम्मी सरकार” का तंज सीधे तौर पर प्रशासन की कार्यशैली पर हमला था। सपा का कहना है कि जब राज्य की बेटियां सुरक्षित नहीं, जब हर दिन अपराध की नई कहानी सामने आ रही है, तो सरकार के “रामराज्य” के दावे खोखले साबित हो रहे हैं।
जनता की नाराजगी और सरकार की चुप्पी
यह प्रदर्शन उस जनाक्रोश का हिस्सा है, जो उत्तर प्रदेश के गांव-शहरों में पनप रहा है। लोग सवाल उठा रहे हैं कि आखिर कब तक बेटियां असुरक्षित रहेंगी? कब तक अपराधी बेखौफ घूमेंगे? सपा नेताओं ने दावा किया कि सरकार न तो अपराधियों पर लगाम कस पा रही है और न ही पीड़ितों को न्याय दिलाने में सक्षम है। दूसरी ओर, सरकार की ओर से इस प्रदर्शन पर अभी तक कोई ठोस जवाब नहीं आया है, जिससे विपक्ष को और हमलावर होने का मौका मिल रहा है।
आगे क्या?
उत्तर प्रदेश में बढ़ते अपराध और इस प्रदर्शन ने एक बार फिर राज्य की कानून-व्यवस्था को कटघरे में ला खड़ा किया है। सवाल यह है कि क्या सरकार इस चुनौती से निपटने के लिए कोई ठोस कदम उठाएगी, या यह सियासी जंग और तेज होगी? जनता की नजर अब सरकार के अगले कदम पर टिकी है, जबकि सपा ने साफ कर दिया है कि वह इस मुद्दे को चुपचाप नहीं सहन करेगी। बेटियों के न्याय की यह लड़ाई सड़क से संसद तक पहुंच चुकी है, और इसका जवाब देना सरकार की जिम्मेदारी है।
यह समय न केवल सरकार के लिए, बल्कि पूरे समाज के लिए आत्ममंथन का है। क्या हम एक ऐसे उत्तर प्रदेश की कल्पना करते हैं, जहां अपराधियों का बोलबाला हो, या एक ऐसा राज्य, जहां हर नागरिक सुरक्षित और सम्मानित जीवन जी सके? जवाब भविष्य के गर्भ में है, लेकिन आज का यह प्रदर्शन उस बदलाव की पहली चिंगारी जरूर बन सकता है।