नई दिल्ली, 27 मई 2025, मंगलवार। जम्मू-कश्मीर के घने जंगलों और ऊंची चोटियों के बीच, जहां हवाएं रहस्यमयी सायं-सायं करती हैं, एक नई ताकत जन्म ले रही है—’जंगली योद्धा’! ये हैं जम्मू-कश्मीर पुलिस के विशेष अभियान समूह (एसओजी) के सिपाही, जो अब बन रहे हैं आतंकियों के लिए यमदूत। घने जंगलों में छिपे, पहाड़ों की चोटियों पर डेरा जमाए इन आतंकियों को अब जिंदा बचने का कोई रास्ता नहीं। क्योंकि ये योद्धा, जंगल और पहाड़ों की हर चाल, हर धमक को सीख रहे हैं, ताकि आतंक का हर निशान मिटा सकें!
पहलगाम हमले ने जगाया जुनून
22 अप्रैल को पहलगाम के बैसरन मैदान में हुए खौफनाक आतंकी हमले ने सबको हिलाकर रख दिया। हमलावर? पाकिस्तानी आतंकी, जो जंगल युद्ध और ऊंचाई वाले इलाकों में माहिर थे। ये चालाक आतंकी हमला करके जम्मू-कश्मीर के घने जंगलों और खड़ी पहाड़ियों में गायब हो जाते थे, जैसे भूत! इस हमले ने सुरक्षा बलों को एक नया सबक दिया—अब समय है इन जंगली शिकारियों का शिकार करने का। अनंतनाग और दक्षिण कश्मीर के ऊंचे इलाकों में तलाशी अभियान तो चल ही रहे हैं, लेकिन अब जम्मू-कश्मीर पुलिस ने ठान लिया है कि हर आतंकी को उसकी सही जगह—जहन्नुम—पहुंचाया जाएगा!
‘जंगली योद्धा’ की ट्रेनिंग: आतंक का काल बनने की तैयारी
जम्मू-कश्मीर पुलिस ने अपने एसओजी जवानों को जंगल और पहाड़ी युद्ध का ‘सुपरहीरो’ बनाने का बीड़ा उठाया है। देश के शीर्ष युद्ध स्कूलों में इन जवानों को ऐसी कठिन ट्रेनिंग दी जा रही है, जो आतंकियों के होश उड़ा देगी। घने जंगलों में छिपने की कला, ऊंची चोटियों पर दुश्मन को ढूंढ निकालने का हुनर, और बिजली की तरह तेज हमला—ये सब अब इन योद्धाओं की रग-रग में बस रहा है।
जम्मू-कश्मीर पुलिस के पूर्व महानिदेशक एस पी वैद ने गर्व से कहा, “पाकिस्तानी आतंकी ऊंचाई वाले युद्ध में माहिर हो सकते हैं, लेकिन हमारे ‘जंगली योद्धा’ अब उनके लिए काल बनने वाले हैं। यह ट्रेनिंग आतंकवाद को जम्मू-कश्मीर से जड़ से उखाड़ फेंकने का सबसे बड़ा हथियार है!”
आतंकियों का आंकड़ा: 140 से कम, लेकिन खतरा बड़ा
आधिकारिक आंकड़ों की मानें तो जम्मू-कश्मीर में अब 140 से भी कम आतंकी बचे हैं। कश्मीर संभाग में 65 विदेशी और 13 स्थानीय आतंकी, जबकि जम्मू संभाग में 55-57 आतंकी, जिनमें ज्यादातर विदेशी हैं। ये विदेशी आतंकी जंगल युद्ध के उस्ताद हैं, लेकिन अब इनका सामना होगा उन ‘जंगली योद्धाओं’ से, जो न सिर्फ जंगल की हर पगडंडी को जानते हैं, बल्कि आतंकियों की हर चाल को भांपने में माहिर हो रहे हैं।
आतंक का अंत, अब दूर नहीं!
जम्मू-कश्मीर पुलिस का यह मिशन सिर्फ एक ट्रेनिंग प्रोग्राम नहीं, बल्कि एक जंग है—शांति के लिए, सुरक्षा के लिए, और हर उस नागरिक के लिए जो बिना खौफ के जीना चाहता है। ये ‘जंगली योद्धा’ अब तैयार हैं—जंगलों में, पहाड़ों पर, हर उस जगह जहां आतंकी सांस ले रहे हैं। अब न कोई छिप पाएगा, न कोई बच पाएगा। क्योंकि जब ‘जंगली योद्धा’ मैदान में उतरते हैं, तो आतंक का सिर्फ एक ही अंत होता है—खात्मा!