उद्यमी और अरबपति रिचर्ड ब्रेनसन अंतरिक्ष पर्यटन के अपने कारोबार की शुरुआत खुद अंतरिक्ष यात्रा से करने जा रहे हैं। उनकी कंपनी वर्जिन गैलेक्टिक रविवार को यात्रियों के साथ पहला अंतरिक्ष यान ‘वीएसएस यूनिटी’ भेजने जा रही है। वहीं सुनीता विलियम्स और कल्पना चावला के बाद भारत की एक और बेटी शिरिषा बांदला भी अंतरिक्ष की सैर करने वाली है। आंध्र प्रदेश के गुंटूर में जन्मीं और टेक्सास के ह्यूस्टन में पली-बढ़ी शिरिषा, अंतरिक्षयान बनाने वाली वर्जिन गैलेक्टिक कंपनी के अरबपति संस्थापक सर रिचर्ड ब्रेनसन और पांच अन्य सदस्यों के साथ न्यू मेक्सिको से अंतरिक्ष के सिरे तक का सफर करेंगी।
वयान में खुद ब्रिटिश ब्रेनसन सहित छह यात्री सवार होंगे। वीएसएस यूनिटी को इंजन युक्त वीएमएस ईव (ब्रेनसन की मां के नाम पर रखा नाम) रॉकेट 50,000 फुट की ऊंचाई पर जाएगा। यहां यूनिटी पृथ्वी के वातावरण के बाहरी किनारे पर करीब 8 किलोमीटर की यात्रा करेगा।
इसे न्यू मैक्सिको के रेगिस्तान के ऊपर उड़ाया जाएगा। यात्रियों को 6-8 मिनट भारहीनता महसूस होगी। इसके बाद उन्हें पृथ्वी पर लौटाया जाएगा। सब सफल रहा तो यात्रा 90 मिनट में पूरी होगी।
इससे पहले 22 परीक्षण मिशन पूरे किए गए हैं। कंपनी चौथी वास मानव को ऐसे मिशन पर ले जा रही है लेकिन यह पहली बार होगा कि पर्यटक को को भेजा जाएगा।
जोखिम भरा रोमांच
अंतरिक्ष यात्रा नया कीर्तिमान स्थापित कर सकती है पर इसमें जोखिम भी कई हैं। खुद वर्जिन गैलेक्टिक का एक रॉकेट प्लेन 2014 में कैलिफोर्निया में परीक्षण के दौरान दुर्घटनाग्रस्त हो चुका है। इसमें एक पायलट की मौत हुई थी।
वहीं ब्रेनसन सफल हुए तो प्रतिद्वंदी अरबपति बेजोस और उनकी अंतरिक्ष कंपनी ब्लू ओरिजन से आगे नजर आएंगे। बेजोस भी इसी माह अपने अंतरिक्ष यान न्यू शेफर्ड के जरिए अंतरिक्ष यात्रा करने जा रहे हैं। इस दौड़ में एलन मस्क भी हैं। जिनकी कंपनी स्पेस एक्स सितंबर में लोगों को अंतरिक्ष में ले जाएगी।
अंतरिक्षयान बनाने वाली दिग्गज कंपनी के निर्धारित पहले पूर्ण चालक दल युक्त उड़ान परीक्षण का हिस्सा बनने वाली एरोनॉटिकल इंजीनियर, 34 वर्षीय शिरिषा बांदला अंतरिक्ष जाने वाली भारतीय मूल की तीसरी महिला होंगी। उन्होंने ट्वीट किया, मैं यूनिटी 22 के अद्भुत क्रू और एक ऐसी कंपनी का हिस्सा बनने के लिए अविश्वसनीय रूप से सम्मानित महसूस कर रही हूं जिसका मिशन सभी के लिए अंतरिक्ष उपलब्ध कराना है।
वर्जिन गैलेक्टिक पर बांदला के प्रोफाइल के मुताबिक, वह अंतरिक्ष यात्री संख्या 004 होंगी और उड़ान के दौरान उनकी भूमिका ‘रिसर्चर एक्सपीरियंस’ की होगी। गैलेक्टिक की वेबसाइट के मुताबिक बांदला, यूनिवर्सिटी ऑफ फ्लोरिडा से एक प्रयोग का इस्तेमाल कर मानव-प्रवृत्त अनुसंधान अनुभव का मूल्यांकन करेंगी जिसमें हाथ में पकड़े जाने वाले ट्यूबों को उड़ान के दौरान विभिन्न मौकों पर सक्रिय किया जाएगा।
मैं नि:शब्द हूं
शिरिषा बांदला ने वर्जिन गैलेक्टिक के ट्विटर अकाउंट पर छह जुलाई को पोस्ट किए गए वीडियो में कहा, मैंने जब पहली बार सुना कि मुझे यह मौका मिल रहा है तो मैं नि:शब्द हो गई थी। यह अद्भुत अवसर है जब अंतरिक्ष में विभिन्न पृष्ठभूमि, स्थान और अलग-अलग समुदाय के लोग होंगे।
भारत में सिर्फ 5 साल तक रहीं
भारत में शिरिषा केवल 5 साल तक ही रही हैं। उन्होंने पड्रर्यू यूनिवर्सिटी से एयरोनॉटिकल/एस्ट्रोनॉटिकल इंजीनियरिंग में स्नातक के बाद जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी से एमबीए की डिग्री ली है। वे बचपन से ही अंतरिक्ष जाना चाहती थीं लेकिन दृष्टि कमजोर होने के कारण वे वायुसेना में पायलट नहीं बन सकीं। लेकिन अब वे अपनी अंतरिक्ष यात्रा के दौरान अंतरिक्षयात्रियों पर होने वाले असर का अध्ययन करेंगी।