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Wednesday, December 18, 2024

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के आईएमएस को एम्स का दर्जा मिलने से पूर्वांचल में स्वास्थ्य सेवाओं की क्रांति!

✍️ विकास यादव
वाराणसी, 1 दिसंबर 2024, रविवार। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (आईएमएस) को एम्स का दर्जा मिल गया है! यह एक ऐतिहासिक पल है जो न केवल बीएचयू के लिए, बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश और आसपास के क्षेत्रों के लिए भी एक बड़ी उपलब्धि है। आईएमएस निदेशक एसएन शंखवार ने न्यूज़ अड्डा इंडिया को बताया कि एम्स का दर्जा मिलने के बाद अब हमारे यहां भी एम्स जैसी शैक्षणिक व्यवस्था और आधुनिक व्यवस्थाओं से युक्त इलाज की सुविधा मिलेगी। उन्होंने कहा कि हमारा प्रयास रहेगा कि उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और नेपाल से आने वाले मरीजों को कहीं और जाने की जरूरत न हो। आईएमएस को एम्स का दर्जा मिलने से वाराणसी और आसपास के क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार होगा। इसके अलावा, यह क्षेत्र में चिकित्सा शिक्षा और अनुसंधान को भी बढ़ावा देगा।
बीएचयू के आईएमएस में 2 और 3 दिसंबर को होगा स्वास्थ्य मेला!
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (आईएमएस) में 2 और 3 दिसंबर को स्वास्थ्य मेला का आयोजन किया जाएगा। इस मेले में लोगों को 100 वर्ष दीर्घायु जीवन प्राप्त करने के तरीकों के बारे में जानकारी दी जाएगी। आईएमएस निदेशक एसएन शंखवार ने बताया कि यह स्वास्थ्य मेला सुबह 10:00 बजे से शुरू होगा। विभिन्न विभागों की तरफ से स्टॉल लगाए जाएंगे, जहां लोगों को विभिन्न स्वास्थ्य संबंधी जानकारियां प्रदान की जाएंगी। इसके अलावा, 4 दिसंबर को आईएमएस के 64वें वार्षिकोत्सव का भी आयोजन किया जाएगा। इस अवसर पर विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा।
बीएचयू के सर सुंदर दास अस्पताल में इलाज के लिए आते हैं देश-विदेश से मरीज!
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के सर सुंदर दास अस्पताल में इलाज के लिए वाराणसी जनपद से कहीं अधिक जौनपुर, सुल्तानपुर, आजमगढ़, गोरखपुर, बलिया, चंदौली, भदोही सहित बिहार, झारखंड और नेपाल से भी मरीज इलाज के लिए आते हैं। यहां के चिकित्सा संस्थान के अलग-अलग विभागों की ओपीडी में लगभग 8 हजार से अधिक मरीज रोजाना चिकित्सा परामर्श लेते हैं। एम्स का दर्जा मिलने के बाद इन मरीजों को इसी केंद्र पर बेहतर इलाज मिल सकेगा। संभावना जताई जा रही है कि आईएमएस-बीएचयू के एम्स दर्जा का सकारात्मक परिणाम मई 2025 तक जमीन पर भी दिखने लगेगा। यह एक बड़ा कदम है जो उत्तर प्रदेश और आसपास के क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा।

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