दंतेवाड़ा, 05 अप्रैल 2025, शनिवार: आज बस्तर की पावन धरती पर एक ऐतिहासिक क्षण का साक्षात्कार हुआ। चैत्र नवरात्रि की अष्टमी और राम नवमी के पवित्र संयोग के बीच, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बस्तर पंडुम महोत्सव के समापन समारोह में देश के सामने एक दृढ़ संकल्प रखा। माँ दंतेश्वरी के चरणों में आशीर्वाद लेकर उन्होंने घोषणा की, “अगली चैत्र नवरात्रि तक बस्तर की धरती लाल आतंक से पूरी तरह मुक्त होगी। यह मेरा प्रण है, और मैं इसे राम के ननिहाल से उद्घोषित कर रहा हूँ।”
बस्तर की नई पहचान: हिंसा नहीं, संस्कृति और समृद्धि
गृह मंत्री का यह संदेश केवल एक वादा नहीं, बल्कि बस्तर के भविष्य की नई तस्वीर है। उन्होंने मंच से स्पष्ट शब्दों में कहा कि अब बस्तर का नाम नक्सलवाद से नहीं, बल्कि उसकी समृद्ध लोक संस्कृति, आदिवासी परंपराओं और विकास की उड़ान से जाना जाएगा। “अगले साल जब हम यहाँ बस्तर पंडुम मनाएंगे, तो यह देश भर के आदिवासियों का संगम होगा। यहाँ भारत की विविध आदिवासी कलाओं का दर्शन होगा,” शाह ने आत्मविश्वास के साथ कहा। उन्होंने बस्तर को प्रभु श्रीराम के ननिहाल के रूप में याद करते हुए कहा, “यह वही पवित्र भूमि है, जहाँ राम ने अपने वनवास के दिन बिताए। अब यह धरती हिंसा और आतंक से नहीं, बल्कि राम के आदर्शों से प्रेरित होकर आगे बढ़ेगी।” यह भावनात्मक अपील न सिर्फ बस्तर के लोगों के दिलों को छू गई, बल्कि पूरे देश को एक नई उम्मीद से जोड़ गई।
विष्णुदेव साय की तारीफ: आदिवासियों के लिए ऐतिहासिक कदम
इस मौके पर अमित शाह ने छत्तीसगढ़ के पहले आदिवासी मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की जमकर प्रशंसा की। उन्होंने कहा, “मुख्यमंत्री साय ने बस्तर के आदिवासियों के लिए एक क्रांतिकारी कदम उठाया है। दशकों से बिचौलियों द्वारा लूटे जा रहे तेंदूपत्ता संग्रह की व्यवस्था को खत्म कर अब सरकार सीधे आदिवासियों से 4,000 रुपये प्रति मानक बोरा की दर से खरीद करेगी।” यह फैसला न केवल आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में एक बड़ा कदम है, बल्कि यह भी संदेश देता है कि अब आदिवासियों का शोषण नहीं होगा। शाह ने दो टूक शब्दों में कहा, “जो लोग आदिवासियों को डर, धोखे और दलाली के जाल में फँसाए हुए थे, उनका समय अब खत्म हो गया है। बस्तर अब विकास की राह पर तेजी से आगे बढ़ेगा।”
लाल आतंक का अंत: शांति और समृद्धि की शुरुआत
गृह मंत्री ने बस्तर को नक्सलवाद से मुक्त करने के लिए केंद्र और राज्य सरकार के संयुक्त प्रयासों पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में नक्सलवाद के खिलाफ सख्त कार्रवाई और विकास योजनाओं के जरिए बस्तर में शांति की नींव रखी जा चुकी है। “अब यहाँ डर की परछाईं नहीं, बल्कि गौरव का प्रकाश फैलेगा। बस्तर शांति, संस्कृति और समृद्धि का नया केंद्र बनेगा,” शाह ने विश्वास जताया।
राम के ननिहाल से संकल्प, देश के लिए प्रेरणा
अमित शाह का यह संकल्प केवल बस्तर तक सीमित नहीं है; यह पूरे देश के लिए एक संदेश है कि हिंसा और आतंक का अंत संभव है। माँ दंतेश्वरी की पावन भूमि से लिया गया यह प्रण नक्सलवाद के खिलाफ अंतिम लड़ाई का आगाज है। अगली चैत्र नवरात्रि तक ‘लाल आतंक मुक्त बस्तर’ का पर्व मनाने का उनका वादा न सिर्फ एक लक्ष्य है, बल्कि एक नई शुरुआत का प्रतीक भी है।
बस्तर की यह धरती, जो कभी नक्सलवाद के साये में थी, अब विकास और संस्कृति की रोशनी से जगमगाने को तैयार है। गृह मंत्री के शब्दों में छिपी यह शक्ति और संकल्प निश्चित रूप से बस्तर को एक नई पहचान देगा—एक ऐसी पहचान, जो गर्व और समृद्धि से भरी होगी।