N/A
Total Visitor
30.6 C
Delhi
Saturday, August 2, 2025

आरक्षण: रेलगाड़ी का डिब्बा या सामाजिक न्याय का सवाल?

नई दिल्ली, 6 मई 2025, मंगलवार। सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण को लेकर एक ऐसी टिप्पणी की, जो सुर्खियों में छा गई। महाराष्ट्र के स्थानीय निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा, “आरक्षण अब रेलगाड़ी के डिब्बे जैसा हो गया है—जो चढ़ गया, वो दूसरों को जगह नहीं देना चाहता।” यह बयान न केवल विचारोत्तेजक है, बल्कि आरक्षण की मौजूदा व्यवस्था पर गहरे सवाल उठाता है।

सुप्रीम कोर्ट ने क्यों कहा ऐसा?

जस्टिस सूर्यकांत की अगुवाई वाली बेंच ने महाराष्ट्र में ओबीसी आरक्षण को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की। कोर्ट का कहना था कि आरक्षण का लाभ केवल कुछ चुनिंदा वर्गों तक सीमित क्यों रहे? सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक रूप से पिछड़े अन्य समुदायों को यह अवसर क्यों नहीं मिलना चाहिए? यह सवाल राज्यों के लिए एक चुनौती है कि वे आरक्षण नीति को अधिक समावेशी और न्यायसंगत बनाने पर विचार करें। कोर्ट ने महाराष्ट्र राज्य चुनाव आयोग को चार सप्ताह के भीतर स्थानीय निकाय चुनावों की अधिसूचना जारी करने का भी आदेश दिया, ताकि लोकतंत्र की जड़ें मजबूत हों।

लोकतंत्र को बंधक नहीं बनाया जा सकता

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि ओबीसी आरक्षण 2022 की आयोग की रिपोर्ट से पहले लागू कानूनों के आधार पर दिया जाएगा। साथ ही, जरूरत पड़ने पर समय विस्तार की मांग पर विचार किया जा सकता है। कोर्ट ने जोर देकर कहा कि जमीनी स्तर का लोकतंत्र रुकना नहीं चाहिए। यह टिप्पणी तब आई, जब याचिकाकर्ता की वकील इंदिरा जय सिंह ने बताया कि महाराष्ट्र में 2,486 स्थानीय निकायों में लंबे समय से चुनाव नहीं हुए हैं। चुने हुए प्रतिनिधियों की जगह अधिकारी काम कर रहे हैं, जो लोकतांत्रिक भावना के खिलाफ है। कोर्ट ने इसे संवैधानिक कर्तव्य का उल्लंघन माना और तत्काल चुनाव कराने का निर्देश दिया।

Advertisement

spot_img

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

2,300FansLike
9,694FollowersFollow
19,500SubscribersSubscribe

Advertisement Section

- Advertisement -spot_imgspot_imgspot_img

Latest Articles

Translate »