N/A
Total Visitor
30.9 C
Delhi
Wednesday, June 25, 2025

लोकतंत्र की काली रात को याद कर वादा निभाने का संकल्प: वाराणसी में आपातकाल की 50वीं बरसी पर चित्र प्रदर्शनी

वाराणसी, 25 जून 2025: भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में एक दाग की तरह दर्ज आपातकाल की 50वीं बरसी पर आज वाराणसी के शहीद पार्क, नगर निगम परिसर में सूचना विभाग द्वारा “आपातकाल: संविधान पर हमला” थीम पर आधारित एक प्रभावशाली चित्र प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। इस प्रदर्शनी का मकसद 1975 के उस दमनकारी दौर की स्मृतियों को ताजा कर नागरिकों को लोकतंत्र की नाजुकता और उसकी रक्षा की जिम्मेदारी से अवगत कराना है।

50 चित्रों में बयां हुई दमन की दास्तां

प्रदर्शनी में 50 चित्र किट्स के जरिए आपातकाल की त्रासदी को जीवंत रूप से प्रस्तुत किया गया। प्रेस की स्वतंत्रता पर लगाम, नागरिक अधिकारों का हनन, शिक्षा व्यवस्था का दुरुपयोग, विपक्षी नेताओं और छात्र-कलाकारों पर अत्याचार, और संविधान में 38वें से 42वें संशोधनों के दुष्प्रभाव जैसी घटनाओं को चित्रों के माध्यम से उकेरा गया। प्रत्येक चित्र उस काले दौर की कहानी बयां करता है, जब लोकतंत्र को कुचलने की कोशिश की गई थी।

लोकतंत्र की रक्षा का संदेश

प्रदर्शनी का उद्घाटन करते हुए सूचना विभाग के अधिकारियों ने कहा, “यह आयोजन केवल अतीत को याद करने के लिए नहीं, बल्कि यह सुनिश्चित करने के लिए है कि ‘जेल अपवाद, जमानत नियम’ जैसे लोकतांत्रिक सिद्धांत हमेशा जीवित रहें।” इस दिन को “संविधान हत्या दिवस” के रूप में भी याद किया गया, जो उस दौर की विभीषिका को जन-जन तक पहुंचाने का प्रयास है।

जनता के लिए खुला मंच

प्रदर्शनी सुबह 11 बजे से रात 8 बजे तक नि:शुल्क खुली रहेगी, ताकि अधिक से अधिक लोग उस दौर की सच्चाई से रूबरू हो सकें। आयोजकों का कहना है कि यह प्रदर्शनी नई पीढ़ी को यह समझाने का प्रयास है कि लोकतंत्र कितना नाजुक हो सकता है और इसे बचाने की जिम्मेदारी प्रत्येक नागरिक की है।

“भूलें नहीं, दोहराएं नहीं”

1975 का आपातकाल वह दौर था, जब संविधान को ताक पर रखकर अभिव्यक्ति की आजादी छीनी गई, विरोध को अपराध घोषित किया गया, और न्यायपालिका पर दबाव बनाया गया। इस प्रदर्शनी ने न केवल उस दौर की स्मृतियों को ताजा किया, बल्कि एक सशक्त संदेश भी दिया कि लोकतंत्र की रक्षा जनता का कर्तव्य है। “हम भूलें नहीं, ताकि इतिहास दोहराया न जाए,” यह नारा प्रदर्शनी की आत्मा बनकर उभरा।

यह प्रदर्शनी न सिर्फ अतीत की एक झलक है, बल्कि भविष्य के लिए एक चेतावनी भी है कि लोकतंत्र को जीवित रखने के लिए सतर्कता और एकजुटता अनिवार्य है।

Advertisement

spot_img

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

2,300FansLike
9,694FollowersFollow
19,500SubscribersSubscribe

Advertisement Section

- Advertisement -spot_imgspot_imgspot_img

Latest Articles

Translate »