लखनऊ, 21 मई 2025, बुधवार। उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक बार फिर तीखी बयानबाजी और पुतला दहन का दौर शुरू हो गया है। पहले अखिलेश यादव और योगी आदित्यनाथ के बीच की सियासी जंग सुर्खियां बटोरती थी, लेकिन अब मैदान में नया टकराव देखने को मिल रहा है— समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव बनाम उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक। इस बार विवाद की जड़ है ‘डीएनए’ को लेकर शुरू हुई जुबानी जंग, जिसने न केवल सियासी गलियारों बल्कि सड़कों तक को गरमा दिया है। खासकर उन्नाव में मुस्लिम समुदाय के आक्रोश ने इस विवाद को नया रंग दे दिया है, जहां सपा प्रमुख अखिलेश यादव का पुतला फूंका गया और ‘अखिलेश यादव मुर्दाबाद’ के नारे गूंजे।
विवाद की शुरुआत: सपा की आपत्तिजनक पोस्ट
यह पूरा प्रकरण तब शुरू हुआ जब समाजवादी पार्टी के आधिकारिक ‘एक्स’ हैंडल से उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक के खिलाफ एक विवादित पोस्ट की गई। इस पोस्ट में बृजेश पाठक के ‘डीएनए’ पर आपत्तिजनक टिप्पणी की गई, जिसमें उनके माता-पिता और व्यक्तिगत जीवन को निशाना बनाया गया। सपा मीडिया सेल ने पाठक से उनका डीएनए टेस्ट करवाकर रिपोर्ट सार्वजनिक करने की मांग की, साथ ही बेहद अमर्यादित और अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया। इस पोस्ट में दिल्ली के जीबी रोड और कोलकाता के सोनागाछी जैसे संवेदनशील उल्लेखों ने विवाद को और हवा दी।

इस टिप्पणी ने न केवल बृजेश पाठक और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को आक्रोशित किया, बल्कि उन्नाव के मुस्लिम समुदाय में भी गहरी नाराजगी पैदा की। विवाद बढ़ता देख सपा ने यह पोस्ट हटा ली, लेकिन तब तक बात सड़कों तक पहुंच चुकी थी।
उन्नाव में मुस्लिम समुदाय का गुस्सा
उन्नाव में मुस्लिम समुदाय ने इस टिप्पणी को लेकर समाजवादी पार्टी और अखिलेश यादव के खिलाफ अपना गुस्सा जाहिर किया। दावतूल हक उमर समिति के बैनर तले, गंनसहीदा कब्रिस्तान के बाहर मुस्लिम समुदाय के लोगों ने अखिलेश यादव का पुतला फूंका और ‘सपा मुर्दाबाद’ के नारे लगाए। इस प्रदर्शन में भारी पुलिस बल की मौजूदगी रही, लेकिन समुदाय का आक्रोश स्पष्ट था।
मोहम्मद अहमद, एक स्थानीय निवासी, ने मीडिया से बात करते हुए कहा, “समाजवादी पार्टी ने बृजेश पाठक के डीएनए को लेकर ऐसी गंदी और अभद्र टिप्पणी की है, जो हम बर्दाश्त नहीं कर सकते। यह राजनीति का सबसे निचला स्तर है। राजनीति में मुद्दों पर बहस होती है, न कि निजी और घरेलू हमले किए जाते हैं।” उन्होंने आगे बताया कि बृजेश पाठक ने हमेशा मुस्लिम समुदाय के लिए काम किया है। “जब वे उन्नाव में थे, तो ईदगाह जाते थे, और अब लखनऊ में भी वे ईदगाह में शामिल होते हैं। उन्होंने कभी मुस्लिम समुदाय के खिलाफ बयानबाजी नहीं की और हमेशा सबके साथ बराबरी का व्यवहार किया।”
सड़कों पर भाजपा का हंगामा
सपा की इस टिप्पणी ने भाजपा कार्यकर्ताओं को भी सड़कों पर उतरने के लिए मजबूर कर दिया। लखनऊ के हजरतगंज और चारबाग में भाजपा समर्थकों ने अखिलेश यादव का पुतला फूंका और सपा के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। लखनऊ में भाजपा महानगर अध्यक्ष आनंद द्विवेदी के नेतृत्व में चारबाग के अंबेडकर प्रतिमा स्थल पर प्रदर्शन हुआ। वहीं, अमेठी में भाजपा जिला अध्यक्ष सुधांशु शुक्ला के नेतृत्व में राजर्षि तिराहे पर पुतला दहन किया गया।
भाजपा कार्यकर्ताओं ने इस टिप्पणी को न केवल बृजेश पाठक का अपमान बताया, बल्कि इसे संवैधानिक मर्यादाओं और सामाजिक मूल्यों की अवहेलना भी करार दिया। लखनऊ के हजरतगंज थाने में सपा मीडिया सेल के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई, जिसमें भारतीय दंड संहिता (बीएनएस) की धारा 352 (शांति भंग करने के इरादे से अपमान), 353(2) (समुदायों के बीच वैमनस्य फैलाने), 356(2) (मानहानि) और आईटी एक्ट की धारा 67 के तहत कार्रवाई की मांग की गई। बृजेश पाठक के वकील और यूपी बार काउंसिल के सदस्य प्रशांत सिंह अटल ने अखिलेश यादव को मानहानि का नोटिस भेजा है, जिसमें 15 दिन के भीतर माफी मांगने की मांग की गई है।
बृजेश पाठक का पलटवार
उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने इस पूरे प्रकरण पर कड़ा रुख अपनाया। उन्होंने ‘एक्स’ पर लिखा, “अखिलेश जी, ये आपकी पार्टी की भाषा है? किसी के दिवंगत माता-पिता के लिए ऐसी अभद्र टिप्पणी? क्या डिंपल यादव जी इस स्त्री-विरोधी और पतित मानसिकता को स्वीकार करेंगी?” पाठक ने सपा की राजनीति को जातिवाद और तुष्टिकरण पर आधारित बताते हुए कहा कि उनकी ‘डीएनए’ टिप्पणी का मतलब सपा की राजनीतिक सोच और चरित्र से था, न कि किसी व्यक्ति विशेष से। उन्होंने अखिलेश को चुनौती दी कि वे इस मुद्दे पर स्पष्ट जवाब दें या माफी मांगें।
अखिलेश की सफाई और नसीहत
विवाद बढ़ता देख अखिलेश यादव ने ‘एक्स’ पर एक लंबा पोस्ट लिखकर अपनी स्थिति स्पष्ट की। उन्होंने कहा, “हमने उपमुख्यमंत्री की डीएनए टिप्पणी का संज्ञान लिया और पार्टी स्तर पर उन कार्यकर्ताओं को समझाया है, जो इस अशोभनीय टिप्पणी से आहत होकर आपा खो बैठे। हमने उनसे आश्वासन लिया है कि भविष्य में ऐसा नहीं होगा, लेकिन हम उम्मीद करते हैं कि आप भी अपनी बयानबाजी पर संयम बरतेंगे।”
अखिलेश ने पाठक को नसीहत देते हुए कहा कि उनकी टिप्पणियां पद की गरिमा के अनुरूप नहीं हैं और डीएनए जैसे बयान न केवल व्यक्तिगत हमले हैं, बल्कि यदुवंश और भगवान श्रीकृष्ण से जुड़ी उनकी धार्मिक भावनाओं को भी ठेस पहुंचाते हैं। उन्होंने पाठक को स्वास्थ्य मंत्री के रूप में अपनी जिम्मेदारियों पर ध्यान देने की सलाह दी।
सियासत का नया रंग
यह विवाद उत्तर प्रदेश की सियासत में नया मोड़ ला सकता है। एक ओर जहां भाजपा इसे सपा की ‘तुच्छ मानसिकता’ और ‘स्त्री-विरोधी’ रवैये के रूप में पेश कर रही है, वहीं सपा इसे अपने कार्यकर्ताओं की भावनात्मक प्रतिक्रिया बता रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी इस मामले में हस्तक्षेप करते हुए सपा की भाषा की निंदा की और सार्वजनिक चर्चा में शिष्टाचार बनाए रखने की अपील की।
उन्नाव में मुस्लिम समुदाय का आक्रोश इस विवाद को सामुदायिक स्तर पर और गंभीर बनाता है। बृजेश पाठक की छवि को एक ऐसे नेता के रूप में देखा जा रहा है, जो सभी समुदायों के साथ मिलकर काम करते हैं, और इस घटना ने उनकी लोकप्रियता को और उजागर किया है। दूसरी ओर, सपा की इस टिप्पणी ने न केवल उसकी छवि को नुकसान पहुंचाया है, बल्कि मुस्लिम समुदाय जैसे उसके पारंपरिक वोट बैंक में भी असंतोष पैदा किया है।
क्या होगा आगे?
यह सियासी जंग अभी थमने के आसार नहीं दिख रहे। भाजपा ने सपा के खिलाफ कानूनी और सड़क पर आक्रामक रुख अपनाया है, जबकि अखिलेश यादव इस मामले को शांत करने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह विवाद यहीं खत्म होगा, या फिर यह उत्तर प्रदेश की सियासत को और गर्मा देगा? एक बात तो साफ है— इस ‘डीएनए’ विवाद ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि उत्तर प्रदेश की राजनीति में बयानबाजी और भावनाएं कितनी जल्दी भूचाल ला सकती हैं।