नई दिल्ली, 5 जून 2025, गुरुवार। बेंगलुरु का चिन्नास्वामी स्टेडियम, जहां क्रिकेट का जुनून अपनी चरम सीमा पर था, आज एक ऐसी त्रासदी की गवाही दे रहा है, जिसने न केवल शहर को, बल्कि पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। 18 साल के लंबे इंतजार के बाद रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) ने IPL का ताज अपने नाम किया। स्टेडियम में उत्साह का समंदर उमड़ रहा था, लेकिन इस जश्न की लहरों में एक ऐसी भगदड़ मच गई, जिसने 11 जिंदगियों को लील लिया और कई परिवारों को गम के अंधेरे में डुबो दिया।
जश्न से मातम तक: एक पिता का करुण क्रंदन
इस भगदड़ ने कई जिंदगियों को छीन लिया, लेकिन एक पिता की पुकार ने हर किसी का दिल दहला दिया। अपने इकलौते बेटे को खो चुके इस पिता के आंसुओं ने स्टेडियम के बाहर मौजूद हर शख्स को रुला दिया। “मेरे बेटे का पोस्टमॉर्टम मत करो, उसकी देह को टुकड़ों में मत काटो,” उन्होंने गिड़गिड़ाते हुए कहा। “वो मेरा इकलौता बेटा था। बिना बताए यहां चला आया था। अब सीएम, डिप्टी सीएम आएंगे, दौरा करेंगे, लेकिन मेरा बेटा… उसे कोई वापस नहीं ला सकता।” उनकी हर बात, हर आंसू, उस दर्द को बयां कर रहा था, जो शायद कभी कम न हो।
अफवाह ने बिगाड़ा खेल, जश्न बन गया मातम
RCB की ऐतिहासिक जीत का जश्न मनाने के लिए चिन्नास्वामी स्टेडियम में हजारों दीवाने प्रशंसक जुटे थे। क्रिकेट का जादू सिर चढ़कर बोल रहा था। लेकिन, एक छोटी सी अफवाह ने इस उत्साह को त्रासदी में बदल दिया। फ्री टिकट की खबर हवा की तरह फैली और देखते ही देखते भीड़ बेकाबू हो गई। स्टेडियम के बाहर हालात बिगड़ते चले गए। लोग अंदर घुसने की जद्दोजहद में जुट गए, और यहीं से भगदड़ ने जन्म लिया। अंदर जश्न की गूंज थी, तो बाहर चीख-पुकार और अफरा-तफरी का मंजर।
11 जिंदगियां खोईं, कई घायल
इस हादसे में 11 लोगों ने अपनी जान गंवाई, जबकि कई अन्य गंभीर रूप से घायल हुए। कुछ लोग भीड़ में दबकर बेहोश हो गए, जिन्हें तुरंत अस्पताल पहुंचाया गया। इस त्रासदी ने न केवल बेंगलुरु को, बल्कि पूरे देश को सदमे में डाल दिया।
सरकार का रुख: जांच के आदेश, माफी की गुहार
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने इस हादसे की गहन जांच के आदेश दिए हैं। अगले 15 दिनों में जांच रिपोर्ट सामने आने की उम्मीद है, जो यह साफ करेगी कि आखिर यह भगदड़ कैसे और क्यों हुई। दूसरी ओर, डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने माफी मांगते हुए कहा, “हमने कार्यक्रम को संक्षिप्त रखने की पूरी कोशिश की थी। लेकिन युवा भीड़ को काबू करने के लिए लाठीचार्ज नहीं किया जा सकता।”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस हादसे पर गहरा शोक जताया। उन्होंने कहा, “इस दुखद घड़ी में मेरी संवेदनाएं उन सभी परिवारों के साथ हैं, जिन्होंने अपनों को खोया। मैं प्रार्थना करता हूं कि घायल जल्द स्वस्थ हों।”
एक सबक, एक चेतावनी
यह हादसा सिर्फ एक त्रासदी नहीं, बल्कि एक कड़वा सबक भी है। जश्न का उत्साह कितना भी हो, भीड़ को नियंत्रित करने और अफवाहों पर लगाम लगाने की जरूरत है। एक पिता का यह दर्द, जो अपने बेटे को खोकर टूट चुका है, हमें याद दिलाता है कि खुशी और गम के बीच की रेखा कितनी नाजुक होती है। बेंगलुरु की यह रात, जो जीत का जश्न मनाने वाली थी, अब सिर्फ आंसुओं और सवालों के साथ याद की जाएगी।