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Monday, September 16, 2024

RBI MPC Meeting : आज आएगा मौद्रिक नीति समीक्षा का फैसला , क्या आम लोगों की मिलेगी EMI में राहत?

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक समीक्षा नीति बैठक का आज फैसला आएगा। बीते चार महीनों की दो मौद्रिक समीक्षाओं में आरबीआइ गवर्नर डॉ. शक्तिकांत दास ने ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया लेकिन यह आश्वासन दिया कि इस पर आगे फैसला हो सकता है। वित्तीय विशेषज्ञों का कहना है कि लगातार र दो तिमाही में जीडीपी की नकारात्मक दर ने भारतीय अर्थव्यवस्था को मंदी में ला दिया है। इसके साथ ही खुदरा महंगाई अक्तूबर में बढ़कर 7.61 फीसदी पर पहुंच गई है। ऐसे में ब्याज दर में कटौती कर कर्ज सस्ता करना मुश्किल होगा।

उल्लेखनीय है कि महंगाई की दर लगातार रिजर्व बैंक के मध्यम अवधि के लक्ष्य चार फीसदी से ऊपर बनी हुई है। कोटक महिंद्रा एएमसी के अध्यक्ष और सीआईओ (ऋण), लक्ष्मी अय्यर ने कहा कि ऐसे में आने वाली मौद्रिक समीक्षा में ब्याज दरों में कटौती की गुंजाइश सीमित है। इस स्थिति में अर्थव्यवस्था में तरलता बढ़ाने के लिए आरबीआई दूसरे उपाय को अपना सकता है। गौरतलब है कि 2 दिसंबर से मौद्रिक समीक्षा समिति की बैठक शुरू हुई थी और समिति आज 4 दिसंबर को मौद्रिक पॉलिसी की घोषणा करेगी।

1. महंगाई पर काबू

कोरोना संकट के बीच बढ़ती महंगाई चिंता का विषय बन गया है। अक्तूबर में खुदरा महंगाई बढ़कर 7.61 फीसदी पर पहुंच गई जो आरबीआई के लक्ष्य चार फीसदी से काफी अधिक है। खाने-पीने की चीजें महंगी होने से महंगाई में उछाल आया है। ऐसे में महंगाई पर काबू आरबीआई के लिए बड़ी चुनौती बनने वाली है।

2. बेपटरी अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना

कोरोना महामारी और लॉकडाउन के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था मंदी की चपेट में है। दूसरी तिमाही में भी जीडीपी 7.5 फीसदी गिरी है। बढ़ती महंगाई के बीच मांग बढ़ाकर अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना बड़ी चुनौती है। अगर, मांग बढ़ाने के लिए आरबीआई ब्याज दर सस्ता करता है तो महंगाई औैर तेजी से बढ़ेगी। इस दोहरी चुनौती से आरबीआई को आगामी मौद्रिक समीक्षा में निपटने के लिए उपाय करने होंगे।

3. सरकारी बैंकों का एनपीए

आरबीआई की ओर से जारी फाइनेंशियल स्टेबिलिटी रिपोर्ट की माने तो बैंको का एनपीए यानी गैर-निष्पादित परिसंपत्ति चालू वित्त वर्ष के अंत तक बढ़कर 12.5 फीसदी हो सकता है। बैंकों का एनपीए मार्च 2020 में साढ़े आठ फीसदी था। इससे यह साफ होता है कि कोरोना वायरस की वजह से देशभर में लगाए गए लॉकडाउन से बिजनेस काफी प्रभावित हुए हैं और बैंकों की हालत खराब हुई है। बैंकों के बढ़ते एनपीए से निटपना आरबीआई के लिए बड़ी चुनौती होने वाला है।

4. सस्ते कर्ज की उपलब्धता

कोरोना संकट के बीच मांग बढ़ाने के लिए सस्ते कर्ज की उपलब्धता जरूरी है। सस्ते कर्ज से मांग बढ़ाने में मदद मिलती है लेकिन जिस तरह के हालात है उसमें आरबीआई के लिए दूसरी बार भी कर्ज सस्ता करना मुश्किल होगा। यह मांग बढ़ाने की राह में रुकावट पैदा करेगा जो अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की रफ्तार को धीमा करने का काम करेगा।

5. राजकोषीय स्थिति विकट

राजकोषीय स्थिति विकट है। केंद्र सरकार का राजकोषीय घाटा वित्त वर्ष 2021 में जीडीपी के आठ फीसदी से अधिक रह सकता है, जबकि वर्ष की शुरुआत में बजट अनुमान 3.5 फीसदी था। राज्यों के लिए भी बड़ी राजकोषीय समस्या रहेगी। राजकोषीय घाटे को कंट्रोल करने में सरकार की मदद करना आरबीआई के लिए बड़ी चुनौती बनने वाला है।

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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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