चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में तेजी के बावजूद आरबीआई ने 2023-24 के लिए खुदरा महंगाई के अनुमान को 5.4 फीसदी पर बरकरार रखा है। साथ ही, वैश्विक खाद्य व ईंधन की कीमतों के किसी भी झटके से घरेलू अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए कदम उठाने की प्रतिबद्धता जताई है।
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) बैठक का ब्योरा पेश करते हुए कहा, महंगाई को काबू में लाने के लिए जरूरत पड़ने पर आरबीआई बैंकों से अतिरिक्त नकदी निकालने को बॉन्ड बिक्री पर विचार कर सकता है। बॉन्ड बिक्री का समय व मात्रा नकदी की स्थिति पर निर्भर करेगी।
गवर्नर ने कहा, हम महंगाई की उभरती परिस्थितियों को लेकर सतर्क हैं। मैं दोहराना चाहूंगा कि हमारा महंगाई लक्ष्य 4 फीसदी है, न कि 2 से 6 फीसदी। अच्छी बात है कि मुख्य महंगाई 5 फीसदी से नीचे है। खुदरा महंगाई में से खाद्य व ईंधन की महंगाई हटा दें तो वह मुख्य महंगाई कहलाती है। महंगाई दूसरी तिमाही में 6.4 फीसदी, तीसरी तिमाही में 5.6 फीसदी और चौथी तिमाही में 5.2 फीसदी रह सकती है।
चालू तिमाही से राहत
दास ने कहा, महंगाई में गिरावट का रुख जुलाई-अगस्त, 2023 में कुछ पलट गया था। इसकी वजह खाद्य महंगाई का दहाई अंक में होना है। हालांकि, सब्जियों खासकर टमाटर के दाम में कमी और रसोई गैस सिलिंडर की कीमतों में कटौती से जुलाई व अगस्त के असाधारण उच्च स्तर की तुलना में सितंबर में खुदरा महंगाई कम रहेगी। चालू तिमाही यानी अक्तूबर-दिसंबर में यह घटकर 6 फीसदी से नीचे आ जाएगी।
आत्मसंतुष्टि की गुंजाइश नहीं क्योंकि
- खाद्य वस्तुओं की महंगाई दहाई अंक में पहुंच गई है।
- मानसून सामान्य से कम है और बुवाई की रफ्तार धीमी है।
- जलाशयों का कम स्तर अच्छा संकेत नहीं है।
- कच्चे तेल में कुछ समय में काफी अस्थिरता देखी गई है।
भारत की आर्थिक बुनियाद मजबूत
आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के लिए आर्थिक वृद्धि दर अनुमान को 6.5 फीसदी पर कायम रखा है। कहा, भारत दुनिया की वृद्धि का इंजन बनने को तैयार है। दास ने कहा, सुस्त पड़ रही वैश्विक जीडीपी के उलट घरेलू आर्थिक गतिविधियां जुझारूपन दिखा रही हैं, जिसकी बुनियाद मजबूत घरेलू मांग है। गवर्नर ने कहा, वित्तीय बाजारों एवं ईंधन कीमतों में उतार-चढ़ाव और जलवायु संबंधी घटनाएं जोखिम पैदा करती हैं। इन सभी पहलुओं को देखते हुए चालू वित्त वर्ष के लिए 6.5 फीसदी वृद्धि दर का अनुमान रखा गया है।
नीतिगत मेल ने दी स्थिरता
गवर्नर ने कौटिल्य के ‘अर्थशास्त्र’ का हवाला देते हुए कहा, देश की प्रगति के लिए वृहद आर्थिक स्थिरता व समावेशी विकास बुनियादी तत्व हैं। नीतिगत मेल ने वृहद आर्थिक एवं वित्तीय स्थिरता को मजबूती दी है। आर्थिक वृद्धि दर 2023-24 की दूसरी तिमाही में 6.5 फीसदी, तीसरी तिमाही में 6 फीसदी व चौथी तिमाही में 5.7 फीसदी रहने का अनुमान जताया गया है।
सरकार की वित्तीय स्थिति समस्या नहीं
केंद्रीय बैंक के गवर्नर ने कहा, केंद्र सरकार की वित्तीय स्थिति को लेकर कोई बड़ी समस्या या कोई दूसरी चिंता नहीं है। सरकार ने महामारी के बाद राजकोषीय मजबूती का मसौदा जारी किया और मोटे तौर पर वह उस पर कायम हैं। इसमें अधिक खर्च से कुछ बढ़ोतरी देखी गई थी। महामारी के दौरान भी सरकार का खर्च सोचा-समझा और लक्षित था।
विदेशी मुद्रा भंडार 586.9 अरब डॉलर
देश का विदेशी मुद्रा भंडार 29 सितंबर को समाप्त सप्ताह तक 3.794 अरब डॉलर घटकर 586.9 अरब डॉलर रह गया। आरबीआई ने कहा, इस भंडार से हम अपनी बाहरी जरूरतें पूरी कर सकते हैं। 22 सितंबर वाले सप्ताह में भंडार 2.335 अरब डॉलर घटकर 590.7 अरब डॉलर रहा था।
बहीखाते लाभ में
बाह्य क्षेत्र काफी हद तक प्रबंधन के लायक बना हुआ है। दशक भर पहले के दोहरे बहीखाते के दबाव की जगह अब दोहरे बहीखाते के लाभ की स्थिति है। इसमें बैंकों एवं कंपनियों दोनों के खाते मजबूत हैं।